मधुमेही न्यूरोपैथी:-आज वर्तमान परिवेश में खान -पान में बढ़ते मिलावट एवं प्रदूषित पदार्थों के प्रयोग के कारण लोगों में मधुमेह की बीमारी एक आम समस्या है।दीर्घकालिक महुमेह के रोगियों के रक्त में ग्लूकोज की अत्यधिक मात्रा और वसा जैसे का उच्च स्तर उनकी नसों या रक्त वाहिकाओं के नसों को नुकसान पहुँचाती है;परिणामस्वरूप तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो जाती है,जो ऑक्सीजन और पोषक तत्त्व पहुँचाती है।इससे खोपड़ी के बाहर,रीढ़ की हड्डी,ह्रदय,मूत्राशयआँतों एवं पेट की तंत्रिका के काम -काज प्रभावित होतीं हैं।वास्तव में मधुमेही न्यूरोपैथी एक प्रकार की तंत्रिका तंत्र की क्षति है,जो डायविटीज से पीड़ित व्यक्तियों को ही होती है,जो निम्न हैं - (1)पेरिफेरल न्यूरोपैथी: -यह पैरों को प्रभावित करती है।(2)ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी: -यह अनैच्छिक कार्यों को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका को प्रभावित करती है।(3)फोकल न्यूरोपैथी: -यह हाथ,पैर,सिर,धड़ के एकल नसों को प्रभावित करती है।(4)प्रॉक्सिमलन्यूरोपैथी:-यह कूल्हों या जांघ की तंत्रिका की क्षति करता है।

लक्षण:-कब्ज या अतिसार,लैंगिक असमर्थता,मूत्र असंयम,नपुंसकता,चेहरे,मुँह और पलकों का झुकना या झुलना,दृष्टि परिवर्तन,चक्कर आना,मांसपेशियों में कमजोरी,निगलने में दिक्कत,बोलने में दुर्बलता,मांसपेशी संकुचन,अग्रांगों की सुन्नता और झुनझुनी,शरीर के किसी भाग में असामान्य संवेदना,जलन या तीव्र दर्द आदि मधुमेही न्यूरोपैथी के प्रमुख लक्षण हैं।

उपचार:-(1)अश्वगंधा की जड़ का पाउडर सुबह -शाम जल के साथ सेवन करने से मधुमेही न्यूरोपैथी से उत्पन्न विकार से मुक्ति मिल जाती है।

     (2)नीम के पत्ते,जामुन के पत्ते,बेल के पत्ते,तुलसी के पत्ते,अमरुद के पत्ते और आम के पत्ते,सबको समान मात्रा में लेकर पीस कर चटनी बनाकर सुबह खाली पेट एवं शाम को खाने से पहले सेवन करने से मधुमेही न्यूरोपैथी से होने वाले विकार से मुक्ति मिल जाती है।

     (3)शिलाजीत के सेवन से भी रोग प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत हो जाती है ,जिससे मधुमेही न्यूरोपैथी से होने वाले विकार दूर हो जाते हैं।

   (4) इवनिंग प्राइमरोज तेल के प्रयोग से भी इस बीमारी में बहुत फायदा होता है।


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