स्तनों का ढीलापन :- स्त्रियों की सुंदरता एवं यौवन का आकर्षक निखार विकसित एवं सुडौल स्तनों से दृष्टिगोचर होता है,किन्तु जब स्तनों का  विकसित एवं सुडौल न होना,यूँ कहें कि स्तनों का ढीलापन स्त्रियों को अत्यंत पीड़ा देती है।प्रायः सभी स्त्रियां अपना स्तन पुष्ट,उभार युक्त,विकसित एवं सुडौल बनाने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं।वास्तव में स्तनों का ढीलापन होना,उनमें कठोरता का अभाव होना एवं साथ ही समय एवं उम्र के हिसाब से विकास नहीं होना उन्हें सामाजिक एवं मानसिक रूप से तनावग्रस्त बना देती हैं,जो उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होती हैं।उन्हें घर -परिवार,स्त्री - समाज में लज्जा महसूस होती है।साथ ही हीन भावना से ग्रसित होकर चिंतित रहती हैं,जिसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है।

लक्षण :- स्तनों का ढीला होना,आकार में छोटा होना,स्तनों में कठोरता का अभाव होना,स्तनों का अविकसित होना,स्तनों की गोलाई कम होना आदि स्तनों के ढीलापन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- शारीरिक कमजोरी,अत्यधिक सहवास,मासिक धर्म का अनियमित होना,बुखार रहना,स्तनों को पुष्ट करने वालों है हार्मोन्स की कमी,कुपोषण,पौष्टिक आहारों का असंतुलित उपयोग आदि स्तनों के ढीलेपन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :-  (1) गाय का घी,काले तिल,निशोथ,बच एवं सोंठ को मिलाकर पीस लें और आधा किलो तिल के तेल में पकाकर रख लें।प्रतिदिन 

                    सुबह-शाम तेल की मालिश से स्तन पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

(2) जैतून के तेल में थोड़ी सी फ़िटकरी पीसकर मिलाकर मालिश करने से स्तन पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

(3) अनार के छिलके को पानी के साथ पीसकर उसमें चार ग्राम हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें और निप्पल को छोड़कर बांकी हिस्सों पर लेप लगाएं ।ऐसा करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(4) बरगद के दूध से स्तनों की मालिश करने से भी स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(5) माजूफल को पीसकर शहद में मिलाकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(6) एक अंडा,पांच ग्राम वेसन,पांच ग्राम नीम्बू का रस सबको दूध के साथ मिलाकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(7)एरंड के पत्तों को पीस लें और उसमें गन्ने का रस सिरका मिलाकर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(8) राई को पीस कर स्तनों पर लेप लगाने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है। 


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