आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है .यह आयुष और वेद दो शब्दों से बना है जिसका अर्थ है - जीवन का ज्ञान .चरक संहिता में कहा गया है -हित आयु (जीवन के अनुकूल ),अहित आयु (जीवन के प्रतिकूल ),सुख आयु (स्वस्थ जीवन )एवं दुःख आयु (रोग अवस्था)आदि का वर्णन जिसमें हो उसे आयुर्वेद कहते हैं .आयुर्वेद को अथर्ववेद का उपवेद भी माना गया है .
आयुर्वेद की परिभाषा एवं विश्लेषण
१.विश्व में विद्यमान आयुर्वेद वह साहित्य है,जिसके अध्ययनोपरान्त हम अपने जीवन शैली की व्याख्या कर सकते हैं२.स्वस्थ व्यक्ति एवं रोगी के लिए उचित मार्ग बताने वाला विज्ञान या साहित्य को आयुर्वेद कहते हैं.
३.जिस साहित्य में आयु ,ज्ञान ,आयु लक्षण ,आयु तंत्र (शारीरिक रचना एवं शारीरिक क्रियाएं)इन सारे विषयों का ज्ञान मिलता है वह आयुर्वेद है.
इस शास्त्र के आदि आचार्य अश्विनी कुमार माने जाते हैं ,जिन्होंने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था .अश्विनी कुमारजी से यह ज्ञान इन्द्र ने प्राप्त की .इन्द्र से धन्वंतरि के पास यह ज्ञान आया और काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार माने जाते हैं .दिवोदासजी से सुश्रुत ने ज्ञान प्राप्त किया .अत्रि और भारद्वाज भी इस शास्त्र के प्रवर्तक माने गए हैं.