angioneurotic-oedema-disease
वाहिकाशोफ रोग : - वाहिकाशोफ एक कष्टदायक ऐसा रोग है,जिसमें त्वचा,त्वचा कोशिकाएं,म्यूकोसा ऊतकों में शीघ्रता से सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से श्वसन मार्ग में बाधा उत्पन्न होने से रोगी का दम घुट सकता है और जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो सकती है। त्वचा की सूजन के अलावा पाचन नाल एवं अन्य अंगों में भी सूजन आने की सम्भावना बढ़ जाती है। कुछ मामलों में वाहिकाशोफ बहुत तेजी से बढ़ता है,जिसका उपचार आपातकालीन चिकित्सा के रूप में किया जाना चाहिए समय पर चिकित्सा नहीं मिलने पर जानलेवा साबित हो सकती है।
लक्षण :- चेहरे की त्वचा में सूजन,मुंह के आस पास की त्वचा में भी सूजन,मुंह की म्यूकोसा,गले की म्यूकोसा एवं जीभ में भी सूजन,हाथों में सूजन,खुजली एवं दर्द,पित्ती का विकास,सांस लेने में अवरोध एवं घर्घर की आवाज, पतले दस्त,श्वेत रक्त कणों में ह्रास आदि वाहिकाशोफ रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - आनुवंशिक कारण,सिंथेटिक उत्पादों में पेनिसिलिन का प्रयोग,ड्रग्स का उपयोग,छाल रोग,दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव,त्वचा संक्रमण,लिवर सिरोसिस,चोट,नमक की अत्यधिक खपत,दिल की विफलता आदि वाहिकाशोफ रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार : - (1 ) दूध से स्नान करने से वाहिकाशोफ में बहुत आराम देता है एवं राहत महसूस होती है।
(2) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है।
(3) बेकिंग सोडा और पोटेशियम विट्रेट्रेट को मिलाकर पेस्ट बनायें और प्रभावित क्षेत्र में लगाने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है।
(4) एक चम्मच हल्दी पाउडर को गुनगुने दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है।
(5) एलोवेरा जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग में बहुत लाभ होता है।
(6) अदरक स्वरस एक चम्मच एवं दो चम्मच शहद को मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से वाहिकाशोफ दूर हो जाता है।
(7) नारियल तेल में कपूर मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से वाहिकाशोफ में बहुत लाभ मिलता है।
(8) हल्दी पाउडर एवं नारियल तेल के मिश्रण का लेप प्रभावित स्थानों पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी आदि।