diarrhea disease
अतिसार रोग:- अतिसार या डायरिया प्रदूषित जल एवं खाद्य पदार्थों के सेवन से होने वाली एक आम बीमारी है।इसमें बार-बार मल त्याग करना पड़ता है,जो बहुत पतले,जिनमें जल का भाग अधिक होता है एवं थोड़े-थोड़े अंतराल से आते रहते हैं।अधिक समय तक बने रहने से या उग्र दशा में थोड़े ही समय में रोगी का शरीर दुर्बल जाता है और जल एवं खनिज तत्वों की कमी के कारण मृत्यु तक हो सकती है।
लक्षण:- दस्त का बार-बार आना,पेट के निचले हिस्से में पीड़ा,पेट में मरोड़ होना,मल त्याग के पूर्व बेचैनी होना,बहुत अधिक दुर्बलता होना,आँखों के सामने अँधेरा छा जाना,मुर्दा जैसी स्थिति हो जाना आदि अतिसार या डायरिया के मुख्य लक्षण हैं।
कारण:- (1) आंत में अधिक द्रव के इकठ्ठा हो जाने के कारण
(2) आंत द्वारा तरल पदार्थ को काम मात्रा में अवशोषित करने के कारण
(3) अंतड़ियों में मल के तेजी से गुजर जाने की वजह
(4) आहार जन्य विष जैसे -संखिया या पारद के लवण पेट में पहुँच जाने के कारण
(5) जीवाणुओं द्वारा संक्रमण तथा टॉक्सिन के कारण
(6) हायपर थायरॉडिज़्म के कारण
(7) भय,चिंता,या मानसिक व्यथाएँ के कारण
(8) आंत के रोग जैसे -अर्बुद आदि के कारण
(9) पसीना में होते हुए तेज हवा में जाने के कारण
(10) ख़राब या बासी भोजन खाने के कारण
(11) उत्तेजक औषधियों के सेवन के कारण
(12) क्षुदांत्र तथा बृहदान्त्र में शोथ के कारण से अतिसार के लक्षण हो सकते हैं।
(13) संक्रमण से भी प्रवाहिका ।
उपचार:- (1) बेल के गुदा पानी में मथकर थोड़ी शक्कर मिला कर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक सेवन करने से
अतिसार समाप्त हो जाती है।
(2) पीपल के पत्तों को पानी में उबालें और छान कर पीने से अतिसार ठीक हो जाता है।
(3) सोंफ,इसबगोल ,बेलगिरी और चीनी सबको 100 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें और
प्रतिदिन पाँच ग्राम की मात्रा सुबह-शाम छाछ या ताजे पानी के साथ सेवन से अतिसार के नाश हो
जाता है।
(4) दूब के रस या काढ़ा के सेवन से भी अतिसार समाप्त हो जाता है।
(5) जामुन और आम की गुठली के चूर्ण का सेवन मट्ठे या ताजे जल के साथ करने से अतिसार का नाश
हो जाता है।
(6) पके हुए जामुन का रस चार-पाँच चम्मच लेकर उसमें चीनी या जीरा या गुड़ मिलाकर सेवन करने से
अतिसार दूर हो जाता है।
(7) लौकी का रायता छाछ में बनाकर भोजन के समय सेवन करने से अतिसार की समस्या दूर हो जाती
है।
(8) शहद और छाछ मिला कर पीने से भी अतिसार का नाश हो जाता है।
(9) इंद्रा जौ,नागरमोथा,बेलगिरी,पठानी लोध और धायके फूल समान भाग लेकर कूट पीस कपड़छान
कर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन तीन से चार ग्राम सुबह छाछ के साथ सेवन करने से अतिसार का नाश हो
जाता है।
(10) पीपर,हरड़ और काला नमक का चूर्ण बनाकर तीन बार सेवन करने से ही अतिसार समाप्त हो
जाता है।