leucoderma
सफ़ेद दाग रोग ( ल्यूकोडर्मा या विटिलिगो):-आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार सफ़ेद दाग एक त्वचा रोग है । मानव शरीर की त्वचा बाहरी स्तर में
मैलेनिन नामक एक वर्णक (रंजक )द्रव्य गर्मी से त्वचा की रक्षा करता है ।जब यह मैलेनिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं ;परिणाम स्वरुप
शरीर के विभिन्न भागों पर सफ़ेद दाग बनने लगता है ।यह बीमारी कोई दर्दनाक नहीं है ,न ही इसके स्वास्थ्य से जुड़े कोई अन्य दुष्प्रभाव हैं,किन्तु इसके भावनात्मक और मनोवैज्ञानिकी परिणाम होते हैं । यह दो शब्दों ल्यूको एवं डर्मा से बना है ।ल्यूको का अर्थ सफ़ेद एवं डर्मा का अर्थ खाल है ;इसलिए इस बीमारी को ल्यूकोडर्मा या सफेद रोग कहते हैं ।
सफ़ेद रोग होने के कारण निम्नलिखित हैं -(1 )यह विकार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद रंग उत्पादन करने वाली कोशिका को नष्ट कर देता है ।
(2 )मधुमेह का प्रभाव या थायरायड रोग के कारण
(3 )त्वचा का अधिक धुप के संपर्क में आने के कारण
(4 )परिवार में पहले किसी को ये बीमारी होने के कारण आदि ।
उपचार:-चाकसू ,पंवार के बीज,वाकुची अंजीर की छाल और नीम की अंतर छाल सबको सामान भाग लेकर चूर्ण बनाकर रख लें । और प्रतिदिन छह माशा चूर्ण लेकर शाम को पानी में भिंगो दे और सवेरे पानी निथार कर पी लें और बची हुई दवा को दागों पर लगा लें ।रोगी को खाने में सिर्फ वेसन की रोटी और घी दें ।इस चूर्ण के सेवन से 40 दिन में सफ़ेद दाग नष्ट हो जायेगा और खाल पहले की तरह ज्यों की त्यों हो जाएगी ।