hand-foot-mouth-disease

हाथ,पैर और मुँह की बीमारी : - हाथ, पैर और मुँह की बीमारी एक साधारण बीमारी है,किन्तु अत्यंत संक्रामक है,जो कोक्ससैकीय A 16 ( Coxsackie virus A 16 ) वायरस के कारण होता है। यह बीमारी श्वसन तंत्र के माध्यम से फ़ैल कर हाथ,पैर और मुँह में घाव बना देती है।  इस रोग में मुख्य रूप से हाथ,पैर और मुँह में ही प्रभाव या लक्षण दिखाई देते हैं,इसीलिए इसे हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के नाम से ही जाना जाता है। यह बीमारी विशेषकर 10 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों को ज्यादा चपेट में लेती है। इस बीमारी में मुँह,हाथ एवं पैरों में दाने हो जाते हैं,खासकर मुँह के अंदरूनी भागों में लाल - लाल छाले के रूप में दिखाई देते हैं। यह रोग अपने आप 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाते हैं। यह रोग खासकर मई से जुलाई के महीने में अपना संक्रामकता दिखाता है। इस बीमारी से किसी के जान माल की क्षति नहीं के बराबर होती है,फिर भी पीड़ित व्यक्ति की हालत कष्टदायक होती है। 

लक्षण :- बुखार,गले में खराश एवं दर्द,खांसी,पेट में दर्द,थकान,उल्टी,चिड़चिड़ापन,खाने - पीने में परेशानी,मुँह के अंदर छाले,हाथ एवं पैरों में लाल - लाल दाने,जीभ एवं तालु के आसपास दाने,भूख की कमी,बेचैनी,असहजता महसूस होना आदि हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - कोक्ससैकीय A 16 वायरस,गंदगीयुक्त वातावरण,संक्रमित मरीज के संपर्क में आने,रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी,बरसाती मौसम की आद्रता आदि हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) मुँह के छालों के लिए अमरुद,बबूल,जामुन,तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने साथ ही साथ गरारे करने से मुँह के छाले शीघ्रता से ठीक हो जाते हैं। 

(2) संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से बचकर ( चुंबन,गले लगना आदि ) रहने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के संक्रामकता को रोका जा सकता है। 

(3) गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर गरारे करने से मुँह के छालों में काफी लाभ होता है। 

(4) नीम की पत्तियों को पानी में डालकर उबालें और उस पानी से स्नान करने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी में बहुत लाभ मिलता है। 

(5) पानी में छोटा सा फिटकरी का टुकड़ा डालकर गरारे करने से भी हाथ,पैर एवं मुँह की बीमारी में विशेष लाभ मिलता है। 

(6) गुलाब जल में थोड़ा सा ग्लिसरीन मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी ठीक हो जाती है। 

योग एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी आदि। 


angioneurotic-oedema-disease

वाहिकाशोफ रोग : - वाहिकाशोफ एक कष्टदायक ऐसा रोग है,जिसमें त्वचा,त्वचा कोशिकाएं,म्यूकोसा ऊतकों में शीघ्रता से सूजन आ जाती है। सूजन की वजह से श्वसन मार्ग में बाधा उत्पन्न होने से रोगी का दम घुट सकता है और जानलेवा स्थिति उत्पन्न हो सकती है। त्वचा की सूजन के अलावा पाचन नाल एवं अन्य अंगों में भी सूजन आने की सम्भावना बढ़ जाती है। कुछ मामलों में वाहिकाशोफ बहुत तेजी से बढ़ता है,जिसका उपचार आपातकालीन चिकित्सा के रूप में किया जाना चाहिए समय पर चिकित्सा नहीं मिलने पर जानलेवा साबित हो सकती है। 

लक्षण :- चेहरे की त्वचा में सूजन,मुंह के आस पास की त्वचा में भी सूजन,मुंह की म्यूकोसा,गले की म्यूकोसा एवं जीभ में भी सूजन,हाथों में सूजन,खुजली एवं दर्द,पित्ती का विकास,सांस लेने में अवरोध एवं घर्घर की आवाज, पतले दस्त,श्वेत रक्त कणों में ह्रास आदि वाहिकाशोफ रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - आनुवंशिक कारण,सिंथेटिक उत्पादों में पेनिसिलिन का प्रयोग,ड्रग्स का उपयोग,छाल रोग,दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव,त्वचा संक्रमण,लिवर सिरोसिस,चोट,नमक की अत्यधिक खपत,दिल की विफलता आदि वाहिकाशोफ रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) दूध से स्नान करने से वाहिकाशोफ में बहुत आराम देता है एवं राहत महसूस होती है। 

(2) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है। 

(3) बेकिंग सोडा और पोटेशियम विट्रेट्रेट को मिलाकर पेस्ट बनायें और प्रभावित क्षेत्र में लगाने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है। 

(4) एक चम्मच हल्दी पाउडर को गुनगुने दूध में मिलाकर प्रतिदिन पीने से वाहिकाशोफ रोग दूर हो जाता है। 

(5) एलोवेरा जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग में बहुत लाभ होता है। 

(6) अदरक स्वरस एक चम्मच एवं दो चम्मच शहद को मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से वाहिकाशोफ दूर हो जाता है। 

(7) नारियल तेल में कपूर मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से वाहिकाशोफ में बहुत लाभ मिलता है। 

(8) हल्दी पाउडर एवं नारियल तेल के मिश्रण का लेप प्रभावित स्थानों पर लगाने से वाहिकाशोफ रोग में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। 

योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी आदि। 


wrinkles of the face

चेहरे की झुर्रियाँ : - चेहरे की झुर्रियाँ वर्तमान परिवेश में एक अनियमित खान - पान,बढ़ती उम्र,तनावयुक्त जीवन शैली,प्रदूषण,प्रदूषित एवं केमिकल युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण एक आम समस्या के रुप में दृष्टिगोचर हो रहा है। वैसे तो चेहरे पर झुर्रियाँ बुढ़ापे में दिखाई पड़ती है,किन्तु आज अधिक भाग - दौड़, कार्य की व्यस्तता एवं कम सोने के कारण भी चेहरे का निस्तेज होना,असमय झुर्रियाँ नजर एक समस्या है। इसके अतिरिक्त अत्यधिक कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों के प्रयोग के कारण भी चेहरे पर झुर्रियाँ आ जाना एक आम समस्या के रुप में हमें देखने को मिलता है। वास्तव में आज लोग अपने चेहरे को ज्यादा सुन्दर बनाने या दिखाने के लिए बाजार में मिलने वाले खतरनाक एवं अत्यंत हानिकारक केमिकल युक्त प्रसाधनों का अत्यधिक इश्तेमाल करते हैं और उसके दुष्परिणाम चेहरे पर दिखाई देना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। 

लक्षण : - त्वचा पर ढीलापन आना,त्वचा पर महीन रेखाएं उभरना,त्वचा का पतला होना,आँखों,मुँह एवं गर्दन के आसपास त्वचा पर झुर्रियाँ आना प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - अनियमित दिनचर्या,आनुवांशिक कारण,बढ़ती उम्र,धूम्रपान,ज्यादा समय धूप में रहना,अनिद्रा,चिंता,तनाव,अनियमित खान- पान,त्वचा पर कोई क्रीम न लगाना,केमिकल युक्त क्रीम का ज्यादा इश्तेमाल करना,स्टेरॉइड का प्रयोग करना,शराब का अत्यधिक सेवन,फास्ड फ़ूड का अत्यधिक उपयोग आदि चेहरे की झुर्रियाँ के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) अंडे के सफ़ेद वाले भाग को अच्छी तरह त्वचा पर लगाएं एवं सूखने दें और गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में चेहरे की झुर्रियाँ समाप्त हो जाती हैं। 

(2) एलोवेरा जेल एवं अंडे के सफ़ेद भाग को मिलाकर चेहरे पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से धोने से कुछ दिनों में चेहरे की झुर्रियों में अत्यंत लाभ होता है। 

(3)पपीता एवं केले का फेस मास्क लगाएं और कुछ समय बाद गुनगुने जल से धो लें।  ऐसा करने से चेहरे की झुर्रियों में बहुत फायदा होता है। 

(4) एक चम्मच हल्दी पाउडर एवं आधा चम्मच गन्ने का रस मिलाकर चेहरे पर लगाएं और कुछ समय पश्चात गुनगुने जल से धोने से चेहरे की झुर्रियों में अत्यंत लाभ होता है। 

(5) कीवी फल के छिलके को हटाकर गूदे का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं और कुछ समय बाद गुनगुने जल से धो लेने से चेहरे की झुर्रियों में बहुत लाभ होता है। 

(6) ऑर्गेनिक नारियल तेल द्वारा चेहरे की मसाज से चेहरे की झुर्रियों में बहुत लाभ होता है। 

(7) अरंडी के तेल में रुई के फाहे को डुबोकर प्रभावित हिस्से पर रात को लगाएं और सुबह गुनगुने जल से धोने से चेहरे की झुर्रियों में बहुत फायदा मिलता है। 

(8) अंगूर के बीजों के तेल की मालिश से चेहरे की झुर्रियाँ दूर हो जाती हैं। 

(9) नियमित रुप से विटामिन ई के सेवन से चेहरे की झुर्रियाँ दूर हो जाती हैं। 

(10) एवोकाडो का पेस्ट बनाकर चेहरे की झुर्रियों पर लगाने से झुर्रियाँ दूर हो जाती है। 

(11) वेसलीन यानि पेट्रोलियम जेली चेहरे की झुर्रियों पर लगाने से अत्यंत लाभ होता है। 

(12) सेब के सिरके में शहद मिलाकर लगाने से चेहरे की झुर्रियां ठीक हो जाती हैं। 

(13) नीम्बू रस एवं शहद मिलाकर लगाने से भी चेहरे की झुर्रियां ठीक हो जाती हैं। 

(14) जोजोवा ऑयल की मालिश से चेहरे की झुर्रियां समाप्त हो जाती हैं। 

(15) ग्रीन टी एवं शहद के सेवन से भी चेहरे की झुर्रियों में बहुत लाभ होता है। 

(16) कलोंजी तेल एवं ऑलिव ऑयल मिलाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की झुर्रियां दूर हो जाती हैं। 

(17) गुलाब जल में थोड़ा सा ग्लिसरीन मिलाकर से चेहरे की झुर्रियों में अद्भुत लाभ होता है। 

(18) ब्रोकली,पालक,हरी पत्तेदार सब्जियों के नियमित सेवन से चेहरे की झुर्रियां दूर हो जाती हैं। 

(19) कॉड लिवर ऑयल ,अंडा,जाऊ,चना,मक्का,बाजरा,मलाई रहित दूध आदि के नियमित सेवन से भी झुर्रियां दूर हो जाती हैं।  

(20) बेकिंग सोडा में एक चम्मच पानी लेकर मास्क बनाकर चेहरे की झुर्रियों पर लगाने से बहुत लाभ होता है। 

योग,आसान एवं प्राणायाम :- अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी,उज्जायी आदि। 


abscess disease

फोड़ा या विद्रधि रोग : - फोड़ा या विद्रधि शरीर की कोशिका के अंदर मवाद एकत्र होने से बनती है। यह त्वचा के निकट या अंदर भी हो सकता है। जब फोड़े के अंदर पूय का निर्माण हो जाता है तो अत्यंत कष्टदायक स्थिति हो जाती है ,जिसे उपचार द्वारा ही ठीक किया जाता है। आयुर्वेद में फोड़े को बिना चीड़ - फाड़ के ही ठीक किया जाता है किन्तु आधुनिक चिकित्सा पद्धति में सर्जरी के द्वारा ही इलाज संभव हो पता है। वास्तव में फोड़ा या फुंसी एक बहुत ही गहरा बालकूप संक्रमण का रूप है जो हमेशा स्टैफिलोकोकस और यूरु नामक जीवाणु के कारण होता है। 

लक्षण :- त्वचा का रंग लाल हो जाना,दर्द,गर्मी ,सूजन,बुखार,थकान,फोड़े से पूय निकलना,फोड़े के आसपास लालिमा युक्त सूजन आदि फोड़ा या विद्रधि रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- रोम कूप की सूजन,रक्त का दूषित होना,मीठी चीजों का अधिक प्रयोग,त्वचा में मौजूद जीवाणु का जमा होना,मधुमेह,मोटापा,कुपोषण,रोग प्रतिरोधक शक्ति को दबाने वाली दवाइयों का सेवन,कैंसर आदि फोड़ा या विद्रधि रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1)अमरुद की चार - पांच पत्तों को उबालकर पीसकर लेप करने से फोड़ा या विद्रधि रोग ठीक हो जाता है। 

(2) अरंडी के बीजों की गिरी को पीसकर पुल्टिस बांधने से फोड़ा या विद्रधि रोग ठीक हो जाता है। 

(3) आम की गुठली को पानी के साथ पीसकर फोड़े या विद्रधि पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(4) नीम के पत्तों को पीसकर विद्रधि या फोड़े पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(5) हल्दी को पीसकर तवे पर थोड़ा सा गर्म कर उसमें थोड़ा सा सरसों तेल डालकर गर्म कर उसे रुई की फाहों पर रखकर विद्रधि या फोड़े पर बांधने से ठीक हो जाता है। 

(6) अलसी के बीजों को बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर गर्म कर लेप करने से विद्रधि या फोड़ा बैठ जाता है या पककर फूटकर बह जाता है और ठीक हो जाता है। 

(7) जामुन की गुठलियों को पीसकर विद्रधि या फोड़ा पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(8) मुलहठी को पीसकर विद्रधि या फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पककर फूट कर बह जाता है और बहुत जल्द ठीक हो जाता है।

(9) जमालगोटा और सरसों के बीजों को समान भाग लेकर पानी के साथ पीसकर लेप लगाने से विद्रधि या फोड़ा ठीक हो जाता है। 


allergy disease

एलर्जी रोग :- एलर्जी एक ऐसी स्थिति है ,जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली बाहरी पदार्थों के प्रति असामान्य रूप से अपनी प्रतिक्रिया करती है और मानव शरीर पर अपना प्रभाव दर्शाती है। एलर्जी का असर आमतौर पर त्वचा पर दिखाई देता है पर यह आँतों,मुँह,नाक,फेफड़ों आदि पर भी प्रभाव डालती है। सामान्य तौर पर हम कहें तो किसी न किसी तरह की एलर्जी हर एक मनुष्य को होती है | जैसे - झींगा,दूध,बादाम,सोयाबीन,अंडा,चिकन,नारियल,मछली,मूंगफली,चॉकलेट,काजू,प्याज आदि।   

एलर्जी के प्रकार :- नाक की एलर्जी,खाद्य पदार्थों की एलर्जी,ड्रग एलर्जी,एटॉपिक एलर्जी -यह रासायनिक प्रदूषण,पर्यावरण प्रदूषण एवं कॉस्मेटिक वगैरह के इस्तेमाल के कारण ,एलर्जिक अस्थमा,मौसमी एलर्जी,फंगल एलर्जी। 

लक्षण :- नाक बहना,छींके आना,आँखों से पानी आना या खुजली होना,त्वचा का लाल होना और चकत्ते पड़ना,शरीर में खुजली होना,चेहरे,आँखों,होंठ और जीभ पर सूजन होना,उल्टी होना,बुखार होना,थकान और बीमार महसूस करना,साँस फूलना,पेट की समस्या होना,चक्कर,त्वचा का रंग बदलना,बेहोशी आदि एलर्जी के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- एंजाइम के कारण,प्रदूषण,रासायनिक प्रदूषण,पर्यावरणीय कारणों,खाद्य पदार्थों की विषाक्तता,खाद्य संक्रमण रोगजनक जीवाणु,विषाणु आदि एलर्जी रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार :- (1) नारियल तेल में कपूर मिलाकर लगाने से एलर्जी दूर हो जाता है। 

(2) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर लगाने से त्वचा की एलर्जी शीघ्रता से दूर हो जाता है। 

(3) गाजर,चुकुन्दर और खीरे का जूस नियमित रूप से सेवन करने से एलर्जी दूर हो जाता है। 

(4) दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर पीने से एलर्जी दूर हो जाता है। 

(5) एक ग्राम गिलोय पाउडर एवं एक ग्राम सितोपलादि चूर्ण शहद के साथ प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से एलर्जी दूर हो जाती है। 

(6) आंवले का रस एक चम्मच,एक चम्मच गिलोय का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से एलर्जी रोग दूर हो जाता है। 

(7) त्रिकटु,तुलसी,लौंग,कपूर एवं धनिया को बराबर मात्रा में लेकर कूटपीस कर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन आधा चम्मच सुबह - शाम गुनगुने जल के साथ सेवन करने से एलर्जी रोग दूर हो जाता है। 

(8) गेंदा के पढ़े के पंचांग की चाय पीने से एलर्जी रोग दूर हो जाता है। 


stasis dermatitis disease

स्टैसिस डर्मेटाइटिस रोग :- स्टैसिस डर्मेटाइसिस एक गंभीर त्वचा रोग है,जो घुटने से नीचे की त्वचा में होता है। इस रोग में त्वचा में काले दाग हो जाते हैं और खुजली वाले दाने हो जातें ,जो चकत्ते के रुप में होते हैं। अत्यंत खुजली होने से पीड़ित बहुत खुजाते हैं जो अल्सर में भी परिवर्तित हो सकते हैं। वास्तव में यह रोग ऐसे लोगों को ज्यादा होता है ,जो ज्यादा देर तक खड़े रहते हैं। ज्यादा देर तक लगातार खड़े रहने के कारन खून का बहाव हृदय की ओर सुचारु रुप से नहीं हो पाता है एवं गुरुत्वाकर्षण की वजह से ऊपर वाला खून वेन के वाल्व पर दबाव डालकर कमजोर कर देता है। परिणामस्वरूप गन्दा खून पैर में जमने लगता है और त्वचा का रंग काला हो जाता है। 

लक्षण :- घुटने के नीचे की त्वचा में काला दाग का हो जाना ,खुजली होना ,चकत्ते जैसा दाग हो जाना ,घाव का जल्दी ठीक नहीं होना ,घाव का नहीं भरना ,पैर में दर्द आदि स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - लगातार खड़े रहना , खून का प्रवाह हृदय की ओर समुचित रुप से नहीं होना आदि स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर प्रतिदिन प्रभावित स्थानों पर लगाने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग में बहुत आराम मिलता है। 

(2) कच्चे दूध में सूती कपड़ा भिगों कर प्रभावित हिस्से पर आधा घंटा रखें और फिर हटा दें ,ऐसा करने से भी कुछ दिनों में स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(3) हल्दी को पीसकर पेस्ट बना लें और उसमे दूध या गुलाब जल मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से स्टासिस डर्मेटाइसिस रोग ठीक हो जाता है। 

(4) तुलसी के बीज को पीसकर नीम्बू के रस में मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से स्टासिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(5) थूअर के एक किलो रस में 250 ग्राम सरसों तेल डालकर धीमी आंच पर सात - आठ घंटे गरम करें और ठंडा कर उसे एक शीशी में रखकर प्रतिदिन लगने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(6) सफ़ेद आक के छाया में सुखाये हुए लगभग 100 ग्राम फूलों को नारियल के तेल में धीमी आंच में पकाएं और ठंडा कर उसमे ढेले वाला कपूर मिलाकर रख लें और प्रतिदिन सुबह शाम प्रभावित हिस्से पर लगाने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग निःसंदेह दूर हो जाता है। 

(7) शहद को प्रभावित हिस्से पर लगाने सभी स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 


atopic dermatitis disease

एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग : - एटॉपिक डर्मेटाइटिस त्वचा की एक गंभीर बीमारी है,जिसमें पीड़ित व्यक्ति की त्वचा को लाल बना देती है एवं उसमें बहुत अत्यधिक खुजली होती है। एटॉपिक डर्मेटाइटिस अधिकांशतः बच्चों में देखने को मिलता है ,किन्तु यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। यह एटॉपिक डर्मेटाइटिस एक जिद्दी किस्म का रोग है ,जो बहुत अधिक लम्बे अंतराल तक चलने वाली बीमारी है। साथ ही कभी तो ऐसा देखने को मिला है कि यह एटॉपिक डर्मेटाइसिस अत्यंत गंभीर रूप धारण पीड़ित व्यक्ति को बहुत कष्ट पहुंचाता है।इस बीमारी का आधुनिक चिकित्सा पद्धति में समुचित इलाज नहीं है ,किन्तु भारत की अत्यंत पुरातन,अतिगौरवशाली,अतिवैज्ञानिक आयुर्वेद में एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग का अत्यंत कारगर इलाज है,जो अत्यंत प्रामाणिक एवं निरापद है। 

लक्षण :- खुश्क त्वचा ,भूरे रंग के पैच हाथों, पैरों,टखने,कलाई,गर्दन,ऊपरी छाती,पलकें,कोहनी,एवं घुटनों के हिस्से में, छोटे फोड़े जिसमें खरोंचने पर तरल पदार्थ का निकलना,त्वचा मोटी हो जाना,त्वचा में सूजन हो जाना आदि एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- त्वचा की सुरक्षा करने में अयोग्यता,आनुवांशिक कारण,हे फीवर,अस्थमा,पर्यावरणीय कारण,अत्यधिक मांसाहार का सेवन,विजातीय खाद्य पदार्थों का सेवन आदि एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) एक किलो थूअर के रस में 250 ग्राम सरसों तेल मिलाकर एक कढ़ाई में डालकर धीमी आंच पर दो तीन घंटे तक गरम करें और जब तेल बच जाये तो उसे एक शीशी में रख लें और प्रतिदिन प्रभावित हिस्से पर लगाने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस का नाश हो जाता है। 

(2) सफ़ेद आक के 100 ग्राम छाया में सुखाये गए फूलों को को नारियल के तेल में डालकर धीमी आंच पर पकाएं और उसे एक शीशी में रख लें और प्रतिदिन प्रभावित हिस्से पर लगाने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग का समूल नाश हो जाता है। 

(3) गुलाब जल में थोड़ा सा ग्लिसरीन मिलाकर लगाने से भी एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग का नाश हो जाता है। 

(4) पेट्रोलियम जेली को प्रभावित हिस्से पर लगाने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस दूर हो जाता है। 

(5) एलोवेरा जेल को प्रतिदिन सुबह - शाम लगाने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग दूर हो जाता है। 

(6) दूध में सूती कपडे को भिगों कर प्रभावित हिस्से पर रखें और आधे घंटे बाद हटा लें। ऐसा प्रतिदिन कुछ दिनों तक करने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस दूर हो जाता है। 

(7) शहद को प्रभवित हिस्से पर लगाएं और आध घंटा बाद धो लें। ऐसा प्रतिदिन कुछ दिनों तक करने से एटॉपिक डर्मेटाइटिस रोग दूर हो जाता है। 

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small pox disease

चेचक छोटी माता रोग :- चेचक छोटी माता रोग एक अत्यंत संक्रामक रोग है ,जो वेरीसेल्ला जोस्टर नामक वायरस से फैलती है ।यह बीमारी अत्यंत संक्रामक होने के कारण संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले पदार्थों के संपर्क में आने से अन्य व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। यह बीमारी इतनी ज्यादा संक्रामक होती है कि संक्रमित व्यक्ति के निसृत पदार्थों को सांस के साथ अंदर ग्रहण करने से भी संक्रमित हो जाता है।चेचक छोटी माता रोग से संक्रमित व्यक्ति के पूरे शरीर पर फुंसियों जैसी चकत्ते विकसित हो जाती हैं और फुंसी खुजली के लिए बाध्य कर सकती है। इस रोग में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है ,नतीजन भूख नहीं लगती है।इस बीमारी से इन्फेक्टेड होने पर विकसित होने में 10 से 21 दिन तक का समय लग जाता है।कमजोर इम्यून वाले , गर्भवती ,शिशु , किशोर इस बीमारी से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।

लक्षण :- बुखार , दर्द ,सिरदर्द , भूख न लगना , खांसी और गले में खराश ,थकान , लाल फुंसियां ,तरल युक्त फफोले और बाद में पपड़ी निकलना , खुजली होना , उल्टी , जी मिचलाना कमर में दर्द , सीने में जकड़न आदि चेचक छोटी माता रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :-  वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस , चेचक से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने जैसे -लार , खाँसना , छींकना ,फफोले के तरल पदार्थों को छूने आदि चेचक छोटी माता के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) नारियल पानी प्रतिदिन पीने से छोटी माता चेचक में बहुत आराम मिलता है और शरीर को शीतलता प्रदान कर राहत देती है।

(2) फलों का रस अधिक सेवन करने से एवं साथ ही फलों को खाने से विशेष कर अंगूर , केले , सेब , खरबूजे आदि नरम फल ; शरीर को वायरस से लड़ने की शक्ति मिलती है और चेचक से जल्दी मुक्ति मिल जाती है।

(3) एक कटा हुआ गाजर और एक कप कटा हुआ धनिया पत्ता को दो तीन कप पानी में उबालें और छानकर दिन में दो बार पीने से छोटी माता चेचक रोग ठीक हो जाता है।

(4) तुलसी पत्ते की चाय के सेवन से भी छोटी माता चेचक रोग दूर हो जाता है।

(5) बेकिंग सोडा पानी में डालकर स्नान करने से भी छोटी माता चेचक रोग ठीक हो जाता है ।

(6) ताज़ी सब्जियां , कच्चे फलों के सेवन एवं ककड़ी , खीरा ,टमाटर , पालक , तरबूज , कीवी और अंकुरित अनाज के सेवन से चेचक रोग में बहुत आराम मिलता है और जल्दी ठीक हो जाते हैं ।

(7) चेचक हो जाने के बाद शरीर के सफाई का विशेष ध्यान रखकर भी हम जल्दी ठीक हो सकते हैं।

(8) विटामिन सी ,जैतून के पत्ते का अर्क , लहसुन , अजवायन के तेल आदि के सेवन से भी चेचक में बहुत आराम मिलता है।


contiguity dermatitis disease

संस्पर्श त्वचाशोथ एलर्जी रोग :- मानव शरीर की अतिसंवेदनशीलता के कारण संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी होने वाली एक सामान्य बीमारी है अत्यंत कष्ट प्रदान करने वाली होती है। इसमें किसी खास पदार्थ के संपर्क में आने  कारण त्वचा पर ददोरे हो जाना, लाल चकत्ते त्वचा में जलन या एलर्जी होना ,खुजली आदि हो जाने जैसी समस्या होती है।

संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी के प्रकार :- (१) बाह्य कारणों - रासायनिककारण जीवाणु का संक्रमण ।

                                                  (2) आंतरिक कारण - गठिया , मधुमेह आदि के कारण ।

                                                  (3) आनुवांशिक और उपापचयात्मक कारण - कैंसर पूय रुधिर आदि।

लक्षण :- त्वचा में खुजली, चकत्ते लाल रंग का हो जाना ,स्किन की परत उतरना , त्वचा में सूजन फफोले का पड़ना , त्वचा में सूजन होना त्वचा पर ददोरे पड़ना , छोटे -छोटे पित्ती का त्वचा पर हो जाना आदि संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- रासायनिक पदार्थों के कारण ,दवाओं का दुष्प्रभाव ,जीवाणुओं का संक्रमण आदि संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी रोग दूर हो जाता है।

(2) एलोवेरा जेल लगाने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी दूर हो जाता है।

(3) अदरक स्वरस ,आंवला एवं शहद का मिश्रण कुछ दिनों तक सेवन करने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी दूर हो जाता है।

(4) हल्दी चूर्ण एवं नारियल तेल के पेस्ट को लेप करने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी दूर हो जाती है।

(5) नारियल तेल एवं कपूर मिलाकर लगाने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी दूर हो जाता है।

(6) गेंदा के पत्तों का रस लगाने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी दूर हो जाता है।

(7) भूमि आंवला के पंचांग का काढ़ा पीने से संस्पर्श त्वचा शोथ एलर्जी रोग दूर हो जाता है।

(8) हरसिंगार के पत्ते को गरम कर पट्टी बांधने से भी संस्पर्श त्वचा शोथ दूर हो जाता है।


penniculitis disease

त्वचा उभार या पेनिक्युलाइटिस रोग :- त्वचा उभार या पेनिक्युलाइटिस रोग त्वचा की एक संक्रामक बीमारी है,जिसमें त्वचा की बाहरी या ऊपरी परत के नीचे उभार या सूजन हो जाती है।वास्तव में त्वचा में स्थित पेनिक्युला ऊतकों की सूजन जो एक रेशेदार वसाके रुप में होती है।सामान्य  तौर पर यह कोहनी,कलाइयों एवं जांघों के हिस्से और पैरों के आगे - पीछे के हिस्से एवं छाती तक फैलकर अत्यधिक घातक एवं संक्रामक रुप धारण कर सकती है।अत्यधिक संक्रामक स्थिति में फोड़े हो जाने की स्थिति बन जाती है और उससे तैलीय द्रव्य और पीप निकलना शुरु होकर अत्यंत घातक हो जाती है,जिसका तुरंत उपचार की जरुरत आ पड़ती है।

लक्षण :- त्वचा का सख्त हो जाना,दर्दयुक्त लाल उभार या निशान,बुखार,थकान,वजन में कमी,मितली एवं उल्टी आना,जोड़ो का दर्द,त्वचा पर धब्बे आदि त्वचा उभार या पेनिक्युलाइटिस रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- चोट लगना,संक्रमण,शारीरिक कारण- जैसे ठण्ड आदि के कारण,पैंक्रियाज सम्बन्धी विकार,संयोजी ऊतक सम्बन्धी विकार पेनिक्युला ऊतकों में सूजन आदि त्वचा उभार या पेनिक्युलाइटिस रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) मूँग,गेंहूं,मसूर,चना को अंकुरित कर प्रतिदिन खाने से पेनिक्युलाइटिस रोग दूर हो जाता है।

(2) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलकर लगाने से पेनिक्युलाइटिस रोग का समूल नाश हो जाता है।

(3) सफ़ेद आक के छाया शुष्क फूल को नारियल तेल में जलाकर उसमें ढेलेवाला कपूर मिलाकर लगाने से पेनिक्युलाइटिस रोग ऐसे दूर हो जाता है जैसे सूर्य उदय होते ही अँधेरा ।

(4) नारियल तेल में हल्दी पाउडर मिलाकर लेप करने से भी पेनिक्युलाइटिस रोग दूर हो जाता है।

(5) एलोवेरा जेल एवं नीम की पत्तियों को पीसकर मिलाकर लेप करने से भी पेनिक्युलाइटिस रोग ठीक हो जाता है।

(6) नीम की पत्तियों को जल में उबालकर संक्रमित हिस्से को धोने से पेनिक्युलाइटिस रोग ठीक हो जाता है।

(7) अदरक एवं शहद मिलाकर सेवन करने से पेनिक्युलाइटिस रोग में बहुत आराम मिलता है।

(8) सब्जियों,साबुत अनाजों एवं फलों के समुचित मात्रा में सेवन से भी पेनिक्युलाइटिस रोग में लाभ होता है।

(9) ट्रांस फैटी एसिड एवं संतृप्त वसा युक्त आहार के सेवन से परहेज द्वारा भी पेनिक्युलाइटिस रोग को दूर किया जाता है।


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