seborrhoea disease
त्वचा वसास्राव रोग :- त्वग्वसास्राव या त्वचा वसास्राव रोग सिर की त्वचा का एक कष्टदायक रोग है,जो शरीर के तैलीय क्षेत्रों से स्रावित ऑइल की वजह से होता है।यह ज्यादातर सिर पर होता है,किन्तु यह चेहरा,नाक के किनारे,कान,पलकें,भौंहे एवं छाती के आसपास भी हो सकते हैं।त्वग्वसा स्राव रोग त्वचा की वसा निकालने वाली ग्रंथियों के अधिक स्रवण से उत्पन्न होता है।वैसे तो शरीर से स्वस्थ अवस्था में भी त्वग्वसा स्राव होता है;किन्तु रोगयुक्त स्राव का रंग,रुप एवं गंध में भिन्नता होती है।यह स्राव सूखकर पपड़ी जैसा मल बन जाता है।
लक्षण :- त्वचा पर चकत्ते,त्वचा की परत उतरना,त्वचा पर पपड़ी बनना,लालिमा,शुष्क त्वचा हो जाना,रुसी,खुजली होना,त्वचा में जलन,परतदार पैच,जिद्दी डैंड्रफ आदि त्वग्वसा स्राव रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- रक्त की कमी,कब्जियत,गर्भाशय के दोष,अमाशय के दोष,चिंता,आद्रता युक्त उष्ण जलवायु,स्वच्छता का अभाव,विटामिन की कमी,मौसमी परिवर्तन,तनाव,इम्युनिटी को दबाना आदि त्वग्वसा स्राव रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) नियमित रुप से त्वचा की स्वच्छता का ध्यान रखकर त्वग्वसा स्राव रोग से बचा जा सकता है।
(2) दैनिक खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में विटामिन एवं पोषक युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से भी त्वग्वसा स्राव रोग से बचा जा सकता है।
(3) नियमित रुप से सप्ताह में दो या तीन बार त्रिफला चूर्ण के सेवन से त्वग्वसा स्राव रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।
(4) मांसाहार खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करके भी त्वग्वसा स्राव रोग से मुक्त रहा जा सकता है।
(5) प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के कम सेवन से भी त्वग्वसा स्राव रोग से बचा जा सकता है।
(6) अत्यधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थों के कम सेवन करने से यानि संतुलित उपयोग से भी त्वग्वसा स्राव रोग से बचा जा सकता है।