stomach worms

पेट के कीड़े :- पेट में कृमि होना एक आम समस्या है।आमतौर पर ये बीमारी छोटे बच्चों को ज्यादा होती है,किन्तु बड़े भी इससे अछूते नहीं रहते । मानव के दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से उनके उदर में कृमि हो जाता है।यह परजीवी नेमाटोड फायलम के संक्रमण के कारण होता है। यह संक्रमण हैलिमिंथियासिस जैसा संक्रमण होता है,जो परजीवी कीटाणु मानव शरीर में प्रवेश करके बाहर या ऊतकों से जुड़कर सारे पोषक तत्त्वों को चूसकर अपना पोषण करता है।नतीजन मनुष्य दुर्बल होकर त्वचा,मांसपेशियां,फेफड़ा या आंत की बीमारी से ग्रसित हो जाता है।

लक्षण :- पेट में दर्द,सोते हुए दाँत कटकटाना,नाक में खुजली होना,मल में सफ़ेद कीड़े आना,त्वचा में रूखापन,जीभ का रंग सफ़ेद होना,गालों पर धब्बे दिखना,आँखों का रंग लाल रहना,हल्का बुखार,मिचली आना,भोजन में अरुचि,शारीरिक कमजोरी,बदहजमी,भूख कम लगना,वजन कम होना,मुंह से बदबू आना,गुप्तांग में खुजली होना आदि पेट में कृमि होने के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- दूषित जल का सेवन करना,घाव में सड़न होने,जमीन पर गिरे हुए चीजों को खाने से,गंदे हाथों से खाना खाने,परिश्रम न करना,दही एवं संयोग विरुद्ध पदार्थ खाने,भूख न लगने पर खाना खाना,मक्खियों से दूषित भोजन खाना आदि पेट में कृमि होने के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) कुटज के बीजों का चूर्ण आधा चम्मच प्रतिदिन रात को सोते समय खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (2) अनार की जड़ की छल 50 ग्राम,पलाश के बीज का चूर्ण 5 ग्राम,बायबिडंग 10 ग्राम,सबको 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर 

                    छानकर रख लें और चार दिन तक 50 मिलीलीटर की मात्रा एक -एक घंटे में पिलाने पर पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

              (3) अनार की जड़ का काढ़ा बनाकर मीठे तेल को मिलाकर तीन दिन सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (4) अनार के छिलके का चूर्ण तीन ग्राम दही या छाछ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (5) बायबिडंग,सेंधा नमक,हरड़,निशोथ,पीपल,सेचर नमक,भुनी हींग सामान भाग लेकर सुबह शाम गर्म जल के साथ एक चुटकी 

                    छोटे को और दो चुटकी बड़ों को खिलने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।  

              (6) प्याज के रस में सेंधा नमक मिलाकर पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।   

              (7) 50 ग्राम सोनामक्खी,50 ग्राम गुलकंद,20 ग्राम मुनक्का,20 शहद ग्राम,20 ग्राम हरड़ की छाल, 20 ग्राम सोंठ सबको पीसकर 

                   मिला लें और छोटी छोटी गोली बनाकर दूध के साथ लेने से कुछ ही दिनों में पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (8) बायबिडंग और सोंठ को पीसकर सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (9) कद्दू के रस पीने से भी पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (10) आंवले का रस पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (11) बथुआ के बीजों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

              (12) गुड़ और लहसुन समान भाग लेकर खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।


ulcerative colitis

 आँतों में सूजन- आज भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों की दिनचर्या एवं जीवन शैली में जितना बदलाव आया है,मनुष्य उतना ही छोटी -बड़ी बीमारियों से परेशान हो रहे हैं।लोगों का खान-पान एवं प्रदूषित जहरीला वातावरण,जो हमारे जीवन की सभी गतिविधियों को प्रभावित कर गंभीर समस्या उत्पन्न कर रही है।बीमारी की इसी कड़ी में आंत में सूजन पाचन तंत्र की एक गंभीर समस्या है।आंत में दीर्घकालिक सूजन अल्सर की बीमारी का रूप धारण कर लेती है,जो मनुष्य के लिए जानलेवा साबित होती है।यह बड़ी आंत और मलाशय की अंदरूनी सतह को प्रभवित करती है।आधुनिक चिकित्सा पद्धति में में इसका कोई निश्चित उपचार नहीं है;किन्तु आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका अचूक एवं कारगर उपाय है,जिसकी सहायता से आंत की सूजन की बीमारी से मुक्ति पाया जा सकता है।

लक्षण:- पेट में ऐंठन व दर्द,खुनी दस्त,वजन काम हो जाना,थकान महसूस होना,पेट में बायीं तरफ दर्द होना,बुखार आना,खाने की अरुचि,तनाव,गुदा में दर्द,बार-बार मल त्याग करने की इच्छा,बच्चों के शरीर में वृद्धि न होना आदि आंत में सूजन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण:- आनुवांशिक कारण,प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी,प्रदूषित खाद्य पदार्थों का सेवन,बैक्टीरिया का संक्रमण,मांसपेशी में चोट,लम्बे समय तक खड़े रहना,अधिक नमक खाना आदि आंत में सूजन के प्रमुख कारण हैं।

उपचार:- (1) लौंग चार -पांच लेकर एक कप पानी में डालकर उबालें और छानकर पिने से आंत की सूजन दूर हो जाती है।

             (२) लहसुन की तीन- चार कलियाँ चबाकर खाने और गरम पानी पीने से आंत की सूजन समाप्त हो जाती है।

             (3) जौ को पानी में उबालें और छानकर उसमें आधा चम्मच नींबू का रस मिलकर पिने से आंत का सूजन दूर हो जाती है।

             (4)नीम की नई-नई पत्तियों को चबाकर खाने से आंत की सूजन दूर होती है।

             (5) एक कप सफ़ेद चावल आधा लीटर पानी में उबालें और छानकर उसमें एक चम्मच शहद और दालचीनी पाउडर मिलकर पिने से 

                  आंत की सूजन दूर हो जाती है।

             (6) नींबू पानी का सेवन,ग्रीन टी का सेवनऔर पिपरमिंट का सेवन भी आंत की सूजन को समाप्त कर देती है।

             (7) लहसुन की कलियों को छील कर शहद में डुबो दें और प्रतिदिन तीन -चार कलियाँ सुबह खाने से आंत की सूजन समाप्त हो जाती 

                   है।यह अचूक एवं निरापद है।


celiac disease

सीलिएक रोग:-सीलिएक छोटी आंत का एक अत्यंत गंभीर आनुवांशिक रोग है।यह पाचन तंत्र सम्बन्धी समस्याएं पैदा करती हैं,जो मुख्य रुप से ग्लूटन के कारण होता है।ग्लूटन गेहूं,जौ,राई आदि में मिलनेवाला एक प्रोटीन है।ग्लूटन में कई तरह के तत्त्व होते है,जिनमें एक है ग्लियाडिन।ग्लूटन इसी ग्लियाडिन की वजह से खतरनाक एवं हानिकारक सिद्ध होता है।जब ग्लूटन सेंसिटिव व्यक्ति ग्लूटन प्रोडक्ट खाता है तो शरीर ग्लूटन को अपना दुश्मन समझता है और प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा रिएक्शन होता है।इस प्रकार सीलिएक रोग एक स्वप्रतिरक्षित विकार है। जिन्हें सीलिएक होता है वह ग्लूटन प्रोटीन को पूरी तरह पचा नहीं पाता और छोटी आंत की म्यूकोसा परत को नुकसान पहुँचता है और उनमें अत्यंत छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं ,इसलिए इसे लीके गट रोग भी कहा जाता है।ये छेद इतने छोटे होते हैं कि आसानी से इसका पता ही नहीं चलता।ग्लूटन से होने वाली समस्याएं निम्नलिखित हैं -(1) मुंह -अल्सर,गले में खराश ।(२)दिमाग -माइग्रेन,थकान,सिरदर्द,डिप्रेशन,भूख कि कमी ।(3) पेट -अपच,गैस,कब्ज,पेटदर्द ।      (4) छोटी आंत -सीलिएक बीमारी,डायरिया ।(5) बड़ी आंत -डायरिया,कब्ज,मलद्वार का सूजन ।(6) त्वचा -एक्जीमा,डर्मटाइसिस ।(7) ग्रोथ -लम्बाई और वजन कम होना।(8) इम्यून -प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना,बार-बार इन्फेक्शन होना ।

लक्षण:-पेट में सूजन या फुलाव,मितली एवं उल्टी,दस्त ,उदासी,चिड़चिड़ापन,कब्ज,लम्बाई कम होना,वजन नहीं 

          बढ़ना,डायरिया,हड्डियों की कमजोरी,असाधारण मल स्थूल,पतला एवं झागयुक्त आदि सीलिएक रोग के 

          प्रमुख लक्षण हैं।

कारण:- आनुवांशिक कारण,पर्यावरणीय करक,थायराइड के कारण,अल्सरेटिव कोलाइटिस,न्यूरोलॉजिकल 

             डिसऑर्डर,डायबिटीज आदि सीलिएक रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार:-(1) मकई,बाजरा,ज्वार और चावल जैसे खाद्य पदार्थों को अपने खान-पान में शामिल करने से सीलिएक की बीमारी से बचाव होता है। 

            (२) आलू,केला,साबूदाना,और गारबेंजो बीन्स के सेवन से सीलिएक की बीमारी से बच सकते हैं।

            (3) ताजा मीट,मछली और पोल्ट्री चिकन के प्रयोग से सीलिएक रोग से बच सकते हैं।

            (4) सब्जियां या सलाद के रूप में गाजर,मूली,प्याज,शकरकंद आदि चीजें जो जड़ के रूप में जमीन के अंदर पाए जाते हैं,का सेवन 

                 कर सीलिएक रोग से बच सकते हैं।


intestinal obstruction

बद्धांत्र रोग:- बद्धांत्र रोग आँतों की एक गंभीर एवं भयंकर कष्टप्रदायक रोग है।जब हम भोजन करते हैं तो अन्नमार्ग खाद्य पदार्थों को जमा कर,पाचन कार्य के उपरांत सूक्ष्म रूपों में विभक्त कर रक्त में पहुंचा देते हैं और अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकाल देता है। बद्धांत्र वह स्थिति है जब किसी कारणवश आंत्र मार्ग में अवरुद्धता (रुकावट)आ जाती है,यह छोटी या बड़ी किसी भी आंत में हो सकती है,जो बिना उपचार के घातक सिद्ध हो सकती है।यह एक चिकित्सीय आपात स्थिति है।

लक्षण:- पेट में दर्द होना,उलटी होना,गैस पेट से न निकलना,पेट में सूजन,कब्ज आदि बद्धांत्र के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण:-आंत का सिकुड़ जाना,आंत में मल का जम जाना,पित्ताशय में पथरी,पेट के अंदर अर्बुद,पित्ताशय प्रदाह,आंत का ऐंठन,आंत का अपनी स्थिति से हट जाना आदि बद्धांत्र के मुख्य कारण हैं।

उपचार:- (1) अमलताश की फली का गूदा दो कप पानी में डालकर उबालें और जब एक कप पानी रह जाये तो 

                   छान कर पीने से बद्धांत्र की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

             (२) अजवाइन,सोंफ,संजय पत्ती,अम्बा हल्दी,सोंठ सामान भाग लेकर चूर्ण बना कर गुनगुने जल के साथ 

                   सेवन से बद्धांत्र ठीक हो जाता है।


Colorectal cancer

बृहदान्त्र कैंसर :-यह कैंसर एक सामान्य प्रकार की बीमारी है ,जो ग्रंथि शोथ के रूप में होती है।यह श्लैष्मिक झिल्ली पर विकसित होती है,जो बड़ी आंत की रेखा की होती है;इसे एडेनोमा भी कहा जाता है।जब एडिनोमा कैंसर होता है तो उन्हें एडेनोकार्कीनोमा कहा जाता है।यह कैंसर का सामान्य प्रकार है।इस कैंसर के कई चरण हैं-

1.बृहदान्त्र या मलाशय के चारों ओर स्थित झिल्ली में प्रवेश करता है ,लेकिन अंगों की भित्तियों में नहीं फैलता है।

2.बृहदान्त्र या मलाशय की भित्तियों में फ़ैल जाता है ,लेकिन लसिका ग्रंथियों(लिम्फ नोड्स)या आसपास के ऊतकों को प्रभावित नहीं करता।

3.कैंसर लसिका ग्रंथियों में फ़ैल जाता है ,किन्तु शरीर के अन्य हिस्से तक नहीं फैलता।

4.कैंसर शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है ;जैसे लिवर या फेफड़े।

लक्षण:- बार -बार शौचालय जाना,दस्त,कब्ज,मल त्यागने के बाद भी दोबारा शौच जाने की इच्छा महसूस होना,मल में रक्त आना,पेट में दर्द,पेट फुला हुआ महसूस करना,उल्टी,थकान का अनुभव ,भूख में कमी आदि बृहदान्त्र कैंसर के मुख्य लक्षण हैं।

कारण:-बृहदान्त्र कैंसर के कई कारण हैं -आनुवंशिक ,आंत के अजीर्ण रोग ,मधुमेह ,मोटापा ,अल्कोहल का अधिक प्रयोग आदि।

उपचार:-1.अश्वगंधा पाउडर का प्रयोग प्रतिदिन सुबह -शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से बृहदान्त्र कैंसर का 

               नाश हो जाता है।

            2.लहसुन के रस में अदरक के रस को मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से बृहदान्त्र कैंसर नष्ट हो 

               जाता है।

            3.हल्दी,दारू हल्दी,अम्बा हल्दी सबको समान भाग लेकर कूट पीस कपड़छान कर सुबह ताजे जल के 

               साथ सेवन करने से बृहदान्त्र कैंसर का नाश हो जाता है।

            4.एलोवेरा जूस का सेवन प्रतिदिन सुबह खाली पेट करने से बृहदान्त्र कैंसर नष्ट हो जाता है ।

            5.ग्रीन टी के प्रयोग से भी बृहदान्त्र कैंसर का नाश हो जाता है ,क्योंकि उसमें एपिगलाटॉक्सिन पाया जाता 

               है,जिसमे कैंसररोधी गुण बहुतायत रूप में पाए जाते हैं।


irritable bowel syndrome

चिड़चिड़ा (क्षोभी)आंत्र विकार:-  एक आँतों का रोग है,जो जठरांत्र पथ और मस्तिष्क के मध्य में सम्पर्क का एक विकार है।इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होकर चिरकालिक दर्द,थकान आदि का कारण बनती हैं।इस बीमारी को स्पैस्टिक कोलन,इर्रिटेबल कोलन,म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है।यह आँतों को क्षतिग्रस्त तो नहीं करता;परन्तु ख़राब होने का संकेत अवश्य देने लगता है,जिसे नजरअंदाज करने पर व्यक्ति को शारीरिक दुर्वलता एवं तकलीफें महसूस होने लगती हैं तथा पेट में  दर्द,बेचैनी,मल त्याग करने में परेशानी आदि होती हैं।यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाईं जाती हैं।

लक्षण:-पेट में दर्द,बेचैनी के साथ लगातार दस्त या कब्ज,हाथ -पैरों में सूजन,आलस्य,चिड़चिड़ापन,पेट का साफ न होना यानि मल की अधूरी निकासी,थकान,सिरदर्द,पीठ में दर्द,मनोरोग के लक्षण जैसे -अवसाद एवं चिंता से सबंधित लक्षणों का पाया जाना,आँतों की आदतों में परिवर्तन के कारण अपक्व मलों का होना आदि क्षोभी आंत्र विकार के सामान्य लक्षण हैं |

उपचार:-(1)नागरमोथा,सोंठ,अतीश,गिलोय सबको समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर छान लें और बीस-तीस मिलीलीटर सुबह खली पेट पीने से क्षोभी आंत्र विकार का नाश हो जाता है।     

           (2) हरीतकी,शुंठी,पिप्पली,चित्रक समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर सुबह -शाम तीन से छह ग्राम छाछ के साथ सेवन से क्षोभी आंत्र विकार नष्ट हो जाता है।

           (3)दालचीनी,सोंठ,जीरा समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर दो -तीन ग्राम की मात्रा शहद के साथ खाने से क्षोभी आंत्र विकार का नाश हो जाता है।

          (4)तीन ग्राम इसबगोल गुनगुने जल के साथ सोते समय खाने से यह बीमारी दूर हो जाती है।

          (5)एक गिलास जल में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिंगों दे और प्रातः खली पेट पीने से क्षोभी आंत्र विकारका नाश हो जाता है।

          (6) त्रिकूट चूर्ण के सेवन करने से आँतों में जमे हुए विषाक्त मल के निकल जाने से क्षोभी आंत्र विकारका नाश हो जाता है।


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