eosinphilia disease
इस्नोफीलिया रोग : - इस्नोफीलिया एक अत्यंत कष्टप्रदायक रोग है,जो रक्त में या शरीर की कोशिकाओं में असामान्य रूप से अधिक बनने एवं इकट्ठा होने की वजह होता है। वास्तव में यह श्वेत रक्त कणिकाओं का ही एक किस्म है जो अस्थिमज्जा में निर्मित होकर रक्तप्रवाह एवं आँतों की परतों में पाया जाता है। यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा होता है। हमारे रक्त में इस्नोफीलिया की एक निश्चित मात्रा होती है ;किन्तु जब इनकी मात्रा बढ़ जाती है तो इसे इस्नोफीलिया रोग के नाम से जाना जाता है। वास्तव में इस्नोफीलिया का प्रभाव मानव शरीर एवं मस्तिष्क पर बहुत बुरा पड़ता है। समय पर उपचार की आवश्यकता होती है , यदि चिकित्सा न मिलने पर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जा सकती है।
लक्षण : - सांस लेने में कठिनाई,सांस लेने में सीटी की आवाज आना,पेट दर्द,अतिसार,बुखार,खांसी,त्वचा पर निशान,वजन में गिरावट,रात में पसीना,लसिका ग्रंथियों का बढ़ जाना,नसों के क्षतिग्रस्त होने पर झुनझुनी,गले के आसपास सूजन,थकावट,मांसपेशिओं में दर्द,बलगम निकालने में परेशानी,आदि इस्नोफीलिया रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - एलर्जी,अस्थमा,एक्जिमा,रायनाइटिस,गठिया रोग,पेनिसिलिंस,सल्फोनामाइस का अधिक प्रयोग,ज्यादा खट्टी - मीठी एवं तेल मसाले का उपयोग,परजीवी कीटाणुओं का संक्रमण,दोपहर को सोना आदि इस्नोफीलिया रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार : - (1) पानी में नीलगिरी की कुछ बूंदें डालकर भाप लेने से जमा हुआ बलगम नरम होकर निकल आता है और इस्नोफीलिया में बहुत आराम मिलता है।
(2) चाय में अदरक या अदरक की आधा चम्मच रस डालकर पीने से इस्नोफीलिया रोग ठीक हो जाता है।
(3) काली मिर्च पाउडर एवं शहद का मिश्रण पानी में घोलकर सुबह - शाम सेवन करने से इस्नोफीलिया रोग दूर हो जाता है।
(4) दो चम्मच मेथी दाने को पानी में उबालकर उससे गरारे करने से भी इस्नोफीलिया ठीक हो जाती है।
(5) पर्याप्त मात्रा में जल के नियमित सेवन से भी इस्नोफीलिया में बहुत आराम मिलता है।
(6) नीम की पत्तियों का रस एक - दो चम्मच प्रतिदिन सेवन करने से खून शुद्ध होकर इस्नोफीलिया में बहुत राहत प्रदान करता है।
(7) एक चम्मच यष्टि मधु को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन इस्नोफीलिया में अत्यंत लाभकर होता है।
(8) एक गिलास पानी में एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से इस्नोफीलिया में बहुत में बहुत फायदा होता है।
(9) एक चम्मच मेथी चूर्ण को एक गिलास गुनगुने जल में डालकर गरारे करने से इस्नोफीलिया में बहुत फायदा मिलता है।
(10) शहद,हल्दी,काली मिर्च,अदरक,लहसुन आदि के सेवन से भी इस्नोफीलिया में बहुत लाभ होता है।
योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भस्त्रिका,भ्रामरी,शशकासन,वज्रासन,त्रिकोणप्रणायाम,सूर्य नमस्कार आदि।