filariasis disease
फाइलेरिया या हाथी पांव रोग : - फाइलेरिया या हाथी पांव अत्यंत गंभीर रोग है ,जिसमें पैरों वृषण कोषोंतथा शरीर के अन्य भागों में सूजन हो जाती है। इस रोग में हाथों या पैरों में बहुत ज्यादा सूजन हो जाने से अत्यंत मोटा हो जाने के कारण ही हाथी पांव रोग के नाम से भी लोग पुकारते है। फाइलेरिया रोग बैंक्रोफ्टाई नामक कृमि से होता है,जिसका संचारण क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से होता है। फाइलेरिया परजीवी द्वारा होने वाला एक संक्रामक उष्ण कटिबंधीय निमेटोड के द्वारा फैलने वाला रोग है ,जो लसिका ग्रंथि और नाड़ियों को प्रभावित करता है एवं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को क्षतिग्रस्त करती है। वास्तव में फाइलेरिया या हाथी पांव रोग अत्यंत कष्ट एवं दर्द प्रदायक बीमारी है।
प्रकार :- (1) लिम्फेटिक फाइलेरिया - यह लिम्फ ( लसिका )प्रणाली एवं लिम्फ नोड को प्रभावित करता है।
(2) सब क्यूटेनियम फाइलेरिया - यह त्वचा के नीचे की परत को प्रभावित करता है।
(3) सीरियस केविटी फाइलेरिया - यह पेट की सीरियस केविटी को प्रभावित करता है।
लक्षण :- सिरदर्द,बुखार एवं गिल्टियाँ हो जाना,ठण्ड लगना,पैरों में सूजन होना,दर्द,त्वचा की परत एवं त्वचा की परत के नीचे ऊतकों का मोटा हो जाना,स्तन एवं जननांगी क्षेत्र का आकार सामान्य से बढ़ जाना,त्वचा पर लाल चकत्ते,पेट में दर्द,नसों का फूल जाना,जांघ में गिल्टी होना आदि फाइलेरिया या हाथी पांव के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- बैंक्रोफ्टाई नामक कृमि, लिम्फेटिक फाइलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से,क्यूलेक्स,एडिस एवं एनोफिलिस के द्वारा संचारण आदि फाइलेरिया रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) लौंग की चाय पीने से फाइलेरिया परजीवी पनपने में रोकथाम करती है और रक्त से नष्ट कर देती है।
(2) काळा अखरोट के तेल को एक कप गर्म पानी में तीन - चार बूंदें डालकर पीने से फाइलेरिया के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।
(3) लहसुन,अनानास,मीठे आलू,शकरकंदी,गाजर एवं खुबानी आदि आहार में शामिल करने से फाइलेरिया के जीवाणुओं का नाश हो जाता है।
(4) आंवला के प्रतिदिन सेवन से फाइलेरिया रोग में बहुत फायदा होता है।
(5) अश्वगंधा पाउडर के प्रतिदिन सेवन से फाइलेरिया रोग दूर हो जाता है।
(6) ब्राह्मी को पीसकर फाइलेरिया से प्रभावित अंगों पर लेप करने से सूजन कम हो जाता है।
(7) अदरक का पाउडर या सोंठ का प्रतिदिन गरम पानी के साथ सेवन करने से शरीर में मौजूद परजीवी का नाश हो जाता है।
(8) शंखपुष्पी की जड़ को गरम पानी के साथ पीसकर प्रभावित अंगों पर लेप लगाने से सूजन समाप्त हो जाती है।
(9) अश्वगंधा एवं शिलाजीत के सेवन से फाइलेरिया ठीक हो जाती है।
(10) कुटज,विडंग,हरीतकी,गिलोय एवं मंजिष्ठा आदि के सेवन से भी फाइलेरिया रोग दूर हो जाता है।
(11) कल्क के पत्तियों के पेस्ट फाइलेरिया प्रभावित स्थानों पर लगाने से फाइलेरिया रोग दूर हो जाता है।
(12) धतूरा,एरंड,निर्गुन्डी,सहजन की छाल सफ़ेद पुनर्नवा सबको सरसों के के तेल में मिलाकर लगाने से भी फाइलेरिया में बहुत आराम मिलता है।