hysteria disease
हिस्टीरिया :-यह एक दिमागी बीमारी है,जो ज्यादातर स्त्रियों को होने वाला रोग है। यह रोग स्त्री के गर्भाशय में खराबी होने, पति से स्वाभाविक प्रेम न होने से अत्यंत वियोग से अथवा बिधवा होने के कारण,दुःख या शोक से युवती स्त्रियों को एक प्रकार का अपस्मार होता है,जिसे योषापस्मार अथवा हिस्टीरिया कहते हैं।यह स्त्रियों का मानसिक रोग भी कहा जाता है,जो मस्तिष्क की मज्जा तंतुओं में खराबी के कारण ही होता है।
लक्षण :-हिस्टीरिया में स्त्रियों को मिर्गी के समान ही बेहोशी के दौरे आते हैं देखना,सुनना बंद हो जाता है,मुँह से आवाज निकलनी बंद हो जाती है,कुचेष्टाएँ तथा अजीब हरकत करने लगती हैं,हाथ पैर कांपने लगता है,बेहोशी समाप्त होने पर पेशाब आता है,प्रसङ्गेक्षा अत्यंत बढ़ी हुई होती है,गला घुटता हुआ महसूस होता है,जम्भाई लेती है,जोर -जोर से बिना कारण हँसने लगना,या रोने लगना आदि इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं।
कारण :- अश्लील फिल्म देखना या साहित्य को पढ़ना,गलत खान - पान, फ़ास्ट फ़ूड का अत्यधिक भक्षण,मन में हमेशा गलत विचारों का आना,सेक्स के बारे में हमेशा प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन,मूत्र मार्ग में संक्रमण,अत्यधिक मैथुन क्रिया,मस्तिष्क के न्यूरो ट्रांसमीटर का असामान्य स्तर,घबराहट,तनाव, सेक्स की अधूरी इच्छाएं,यौन शोषण की समस्याएं,आत्म विश्वास का अभाव,मस्तिष्क की तंतुओं में विकार हिस्टीरिया के प्रमुख कारण हैं।
उपचार :-(1 )जटामांसी की जड़ का चूर्ण 4 चम्मच, बच का चूर्ण 4 चम्मच और काला नमक 1 चम्मच सबको मिलाकर आधा चम्मच शहद के साथ प्रतिदिन सुबह -दोपहर -शाम तीन बार एक सप्ताह तक लेने से हिस्टीरिया की बीमारी का नाश हो जाता है।
(2 )मुलेठी 8 तोला लेकर पानी के साथ पीसकर लुगदी बनाकर एक कलईदार कढ़ाई में लुगदी तथा गाय का घी एक सेर और आंवले का रस 16 सेर डालकर आग पर चढ़ा कर मंदी आंच से घी सिद्ध करें,केवल घी बांकी रहने पर घी छान कर रख लें।इस घी का सेवन करने से हिस्टीरिया की बीमारी जड़ से नष्ट हो जाती है।