mania disease
उन्माद :-उन्माद रोग एक प्रकार का मानसिक रोग है ,जो मानसिक दुर्वलता के कारण बाह्य एवं संवेगात्मक परिस्थितियों से सहज प्रभावित होता है ।इस बीमारी में रोगी में पल में खुश होने और दूसरे पल नाखुश हो जाने जैसा असामान्य परिवर्तन होता है । यह रोग स्त्री एवं पुरुष दोनों में होता है।
कारण:-(1 )मानसिक दबाव का होना ।
(2 )ऐसी घटना जिसका रोगी के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा हो ।
(3 )अत्यधिक चिंतित रहना,भ्रम,शोक,क्रोध,हर्ष,मैथुन में असफलता आदि ।
(4 )आर्थिक संकट या दिवालिया होना ।
(5 )काम- वासना की अतृप्ति ।
(6 )मादक पदार्थों का अधिक सेवन ।
(7 )दिमाग में रसायनों का असंतुलित होना आदि ।
लक्षण :-विना कारण बोलना,हंसना,रोना,नाचना,गाना;सामान्य रूप से ज्यादा खुश दिखना;अपने -आपको राजा महाराजा की तरह पेश करना;यौन इच्छा में बढ़ोतरी का अनुभव करना;सोने की इच्छा में कमी;छोटी -छोटी बातों पर बेवजह गुस्सा करना;बहुत सारे काम एक साथ करना परन्तु एक काम सही तरह नहीं कर पाना आदि उन्माद रोग के लक्षण हैं ।
उपचार ;-(1 )एक तोला इसवगोल शाम को पानी में तर कर रखने और सवेरे मिश्री मिलाकर खाने से उन्माद रोग नष्ट होता है ।
(2 )इमली को रात में भिगों कर सवेरे पन्ना बना,मिश्री मिलाकर पीने से उन्माद रोग दूर हो जाता है ।
(3 )चंपा के फूल 2 तोला ,शहद 1 तोला एक साथ मिलाकर एक सप्ताह प्रातः -सायं चाटने से उन्माद रोग का नाश होता है ।
( 4) पीपल ,दारू हल्दी ,मंजीठ ,सरसों ,सिरम के बीज ,हींग ,सोंठ काली मिर्च -सबको 10 -10 ग्राम लेकर कूट- पीस, कपड़छान कर
चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसकर नश्य देने से उन्माद रोग नष्ट हो जाता है ।
(5 )खिरेंटी (सफ़ेद फूलों वाली )का चूर्ण 4 तोला,10 ग्राम पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर -पाक विधि से दूध में पकाकर ठंडा
कर प्रतिदिन प्रातः काल पीने से घोर उन्माद रोग का नाश हो जाता है ।यह अचूक एवं अनुभूत औषधि है इसमें कोई संदेह नहीं ।