fistula disease

 

भगन्दर रोग:- भगन्दर गुदा द्वार में होने वाला एक अत्यंत पीड़ादायक रोग है,जो भगन्दर पीड़िका से उत्पन्न होता है।इस रोग में मल द्वार पर फोड़ा पैदा होकर गुदा के अंदर तथा बाहर नली के रुप में घाव (व्रण) उत्पन्न करता है।फोड़ा फूटकर उसमें मवाद और दूषित रक्त बहने लगता है,जो अत्यंत दर्दनाक रुप धारण कर लेता है।इसे नालव्रण या नासूर रोग भी कहा जाता है।चटपटी चीजें अधिक खाने की वजह भी एक प्रमुख कारण है।भगन्दर एक छोटी नली सामान होता है,जो आंत के अंत के भाग को गुदा के पास त्वचा से जोड़ देता है।

लक्षण:- कब्ज होना,गुदा के आसपास सूजन,मल त्याग के समय दर्द,बुखार,ठण्ड लगना,थकान महसूस होना,पाखाना से बदबूदार पस या रक्त आना,गुदा में बार-बार फोड़े होना,उठते-बैठते या खांसते समय गुदा में दर्द होना,पैखाना की हाजत महसूस होने पर संयम रख पाना आदि भगन्दर के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण:- गुदा मैथुन में लिप्त होना,मोटापा,चटपटी चीजों का ज्यादा प्रयोग करना,डायविटीज होना,अत्यधिक शराब पीना,गुदा में चोट लगने के कारण,धूम्रपान करना,साईकिल लम्बी दूरी तक चलना,लम्बे समय तक कब्ज से ग्रसित होना,जंक फ़ूड,तली-भुनी,तेल,मिर्च -मसाला युक्त खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन करना आदि भगन्दर के मुख्या कारण हैं।

उपचार:- (1) लहसुन को पीसकर घी में भून कर भगन्दर के घाव पर लेप करने से भगन्दर रोग दूर हो जाता है।

             (2) नीम की पत्तियों को पीसकर भगन्दर के घावों पर लगाने से यह रोग नष्ट हो जाता है।

             (3) अनार के पत्तों का रस भगन्दर के घावों लगाने से भगन्दर रोग का नाश हो जाता है।

             () गिलोय,चमेली के पत्ते शुंठी एवं सेंधा नमक को कूट पीस कपड़छान कर उसमें मट्ठा मिलाकर

                  भगन्दर के व्रणों पर लगाने से भगन्दर रोग ठीक हो जाता है।

             (5) हल्दी पाउडर में आक का दूध मिलकर बत्ती बनाकर भगन्दर के घावों पर लगाने से भगन्दर रोग

                   का नाश हो जाता है।

             (6) समलैंगिक सहवास से दूर रहकर भी भगन्दर से बचा जा सकता है

 

 


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