otitis media disease
मध्य कर्ण की विद्रधि रोग : - मध्य कर्ण की विद्रधि एक गंभीर रोग है ,जो बहुत कष्टप्रदायक होती है। इसमें मध्य कर्ण के ऊपर छत की पतली हड्डी में सूजन होकर फोड़ा का रूप धारण कर लेती है और पूय न निकल पाने की वजह से कर्णपटह में छेद हो जाती है। पूय का ठीक तरह से न निकल पाने के कारण कान में संक्रमण हो जाता है जो मस्तिष्कावरण में भी शोथ का कारण बन जाती है। यह आमतौर पर दो से छः सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाता है। कभी - कभी यह पूय बहुत ज्यादा संक्रमित कर देता है और अत्यंत कष्ट दायक पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
लक्षण :- कान में दर्द,बुखार,कान से पूय निकलना,सुनने में दिक्कत,कान की झिल्ली में सूजन एवं फोड़ा आदि मध्य कर्ण की विद्रधि रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - विषाणु जनित संक्रमण,हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा,आनुवांशिक कारण,श्वसन तंत्र का संक्रमण आदि मध्य कर्ण की विद्रधि रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) गेंदे के पत्तों का रस कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग ठीक हो जाता है।
(2)नीम के पत्तों का रस कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग ठीक हो जाता है।
(3)गोमूत्र की कुछ बूंदें कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग दूर हो जाता है।
(4) कदम्ब के फूलों का रस कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग ठीक हो जाती है।
(5) अजवाइन के तेल की दो - तीन बूंदें कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग ठीक हो जाती है।
(6) सरसों तेल में लहसुन की कलियाँ जलाकर कान में डालने से मध्य कर्ण की विद्रधि रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।