diphtheria disease
डिप्थीरिया रोग : - डिप्थीरिया एक बैक्टीरियल इंफेक्शन रोग है,जो नाक एवं गले में होने वाली बीमारी है।इसे रोहिणी रोग के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी में नाक एवं गले की श्लैष्मिक झिल्ली में सूजन आ जाती है। डिप्थीरिया के वाहक कोरयने बैक्टीरियम डिपथीरी नामक बैक्टीरिया है,जो संक्रमित व्यक्ति से अन्य व्यक्ति में अत्यंत शीघ्रता से फैलाने में सक्षम होता है। यह रोग 2 से 10 वर्ष तक के आयु वर्ग के बालकों में ज्यादातर देखने को मिलता है। वैसे तो यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। डिप्थीरिया वास्तव में पीड़ित व्यक्ति के स्वर यंत्र,नाक,आँखें आदि को प्रभावित करती हैं। हृदय को विशेष रूप से प्रभावित करता है और अत्यंत घातक प्रभाव डालती है।
लक्षण : - नाक से खून मिश्रित स्राव,शरीर में पीड़ा,बुखार,ठण्ड लगना,गले में खराश,गला बैठ जाना,खाने एवं पीने में दिक्कत,खांसी,साँस लेने में परेशानी,नाक एवं गले की त्वचा में घाव,त्वचा में लाल हो जाना,ग्रंथियों में सूजन एवं कमजोरी आदि डिप्थीरिया या रोहिणी रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना,अस्वच्छता,संक्रमित व्यक्ति के खांसने,छींकने से,कोरयने बैक्टीरियम डिफ्तर्रिया वायरस,भीड़ वाली स्थानों में जाना आदि डिप्थिरया या रोहिणी रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार : - (1) एक चम्मच शहद,एक चम्मच नीम्बू रस को एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करने से डिप्थीरिया या रोहिणी रोग ठीक हो जाता है।
(2) पानी में तुलसी के पत्ते को डालकर गर्म कर सेवन करने से डिप्थीरिया रोग ठीक हो जाता है।
(3) नमक युक्त गुनगुने में के गरारे करने से भी डिप्थीरिया रोग ठीक हो जाता है।
(4) अदरक को टुकड़े कर उसमें शहद एवं नीम्बू की कुछ बूंदें डालकर सेवन करने से डिप्थीरिया रोग ठीक हो जाता है।
(5) एरंडी के पत्तियां,सहजन की पत्तियां एवं लहसुन की दो - तीन कलियों के पेस्ट को गुनगुने पानी में मिलाकर गरारे करने से डिप्थीरिया रोग में बहुत फायदा मिलता है।
प्राणायाम एवं योग : - अनुलोम - विलोम,भ्रामरी,उज्जायी,कपालभाति, ॐ का उच्चारण आदि।