osteoporosis disease
अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस रोग :- अस्थिसुषिरता हड्डी का एक अत्यंत गंभीर रोग है,जिसमें अस्थि में स्थित खनिज का घनत्व कम हो जाने के कारण अस्थि के टूटने या भंगुरता का जोखिम बढ़ जाता है।खासकर महिलाओं में रजोनिवृत्ति के उपरांत अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस सबसे ज्यादा पाया जाता है।वैसे यह पुरुषों में भी पाया जाता है;किन्तु महिलाओं के अपेक्षा बहुत कम पाया जाता है।मानव शरीर लगातार हड्डी के ऊतकों का अवशोषण करता है और उसे बदलती रहती है;किन्तु जब नई हड्डी उतनी जल्दी से नहीं बनती,जितनी जल्दी से पुरानी हड्डी नष्ट होती है।ऐसी स्थिति में हड्डियाँ कमजोर और नाजुक हो जाती है।इसे ही अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है।इसमें हड्डियों में भंगुरता जैसे लक्षण आ जाते हैं।वास्तव में जीवन शैली में बदलाव एवं शारीरिक कसरत - व्यायाम न करना भी इसका विशेष कारण है।
लक्षण :- मेरुदंड में विकार,पीठ दर्द,तंत्रिका मूल दर्द,रुक - रुककर होने वाली पीड़ा,नजरें दुर्बल हो जाना,संतुलन विकार,बेहोशी आना,खड़े होने पर रक्तदाब कम हो जाना,अनियमित धड़कन,कमजोरी और थकान,स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना,अवसाद,मन में घबराहट आदि अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- रजोनिवृत्ति होना,दीर्घकालिक रोगों से ग्रस्त होना,लम्बे समय तक ग्लुकोकार्टिकॉइड दवाओं का प्रयोग,कैल्सियम रहित खाद्य पदार्थों का सेवन,आनुवांशिक कारण,सेक्स हार्मोन का कम होना,अबटु ग्रंथि की अकर्मण्यता,विटामिन डी की कमी,धूम्रपान अधिक करना,कुपोषण,शारीरिक निष्क्रियता,गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑपरेशन आदि अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) 10 ग्राम अशोक वृक्ष की छल को 400 ग्राम पानी में डालकर धीमी आंच पर उबालें और जब 100 के लगभग शेष रह जाये तब
छानकर सुबह - शाम पीने से अस्थिसुषिरता या ऑस्टयोपोरोसिस ठीक हो जाता है।
(2) भाजी एवं हरी सब्जियां विशेषकर पालक,शलजम,सरसों का साग,ब्रोकली धनिया,पत्तागोभी,हरी फलियां,मशरूम,लेट्यूस आदि का प्रतिदिन सेवन करने से अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस ठीक हो जाता है।
(3) प्रतिदिन आहार में तुलसी,पुदीना,सोंफ के बीज,दालचीनी,लहसुन,अजवाइन,रोजबेरी,अजमोद आदि के सेवन से भी अस्थिसुषिरता में बहुत लाभ मिलता है।
(4) वसा युक्त मछली,लिवर,अंडे,संतरे,बादाम,तिल के तेल का सेवन अस्थिसुषिरता को दूर कर देता है।
(5) दूध,दही,पनीर,डेयरी उत्पाद को अपने दैनिक आहार में शामिल कर भी अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस से बचे रह सकते हैं।
(6) अश्वगंधा,शतावर,सुरंजान,सोंठ सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह - शाम ताजे जल से सेवन करने से अस्थिसुषिरता या ऑस्टियोपोरोसिस से मुक्ति पा सकते हैं।
(7) अश्वगंधा,हल्दी,मेथी,सोंठ समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर सुबह - शाम सेवन करने से अस्थिसुषिरता दूर हो जाता है।
(8) एक किलो चूना को पानी में भिगों दें और उसमें साबुत हल्दी डालकर दो महीने डूबा रहने दें और बीच - बीच में पानी देते रहे जिससे सूखे नहीं।उसके बाद निकालकर उसेअच्छी तरह से धो कर साफ कर सूखाकर चूर्ण बनाकर रख लें और सुबह - शाम आधा या एक चम्मच ताजे जल या दूध के साथ सेवन करने से जीवन में अस्थिसुषिरता रोग से बचे रहेंगे।यह बिलकुल रामबाण और निरापद है।