kidney disease

मधुमेही नेफ्रोपैथी:-मधुमेही नेफ्रोपैथी गुर्दे की एक प्रगतिशील बीमारी है,जो गुर्दे की विफलता,अपशिष्ट पदार्थों को छानने की क्षमता के अभाव को उत्पन्न या जन्म देती है। शुरुआत में ग्लोमेरुलस का मोटा होना इसका लक्षण है,जिसके कारण मूत्र के द्वारा गुर्दे से अधिक मात्रा में सीरम एब्ल्यूमिन (प्लाज्मा प्रोटीन )का निकलना शुरू हो जाता है।यह गुर्दे की ग्लोमेरुली की कोशिकाओं में वाहिक रुग्णता की वजह से होती है।वास्तव में यह दीर्घकालिक मधुमेह के कारण उत्पन्न होनेवाली बीमारी है,जो मरीजों को बड़ी संख्या में डायलिसिस की अवस्था तक लाने वाली स्थिति पैदा कर देती है।

लक्षण:-सुबह के समय आँखों के पास सूजन,बाद में पूरे शरीर में सूजन होना,पैरों में सूजन,शरीर में तरल बढ़ने से वजन का बढ़ जाना,मूत्र में अधिक झाग होना,भूख में कमी,जी मिचलाना एवं उल्टी होना,बीमार महसूस करना,थकान का अनुभव करना ,सिरदर्द होना,शरीर के कई भागों में खुजली होना,लगातार हिचकी होना,रक्तचाप का बढ़ जाना आदि मधुमेही नेफ्रोपैथी के प्रमुख लक्षण हैं।

उपचार:-(1)नागरमोथा की जड़,हरीतकी,लोध्रा,कायफल की छाल सबको समान भाग लेकर एक लीटर जल में उबालें ,जब आधा रह जाए तो छान कर सुबह -शाम एक चम्मच पीनेसे मधुमेही नेफ्रोपैथी से उत्पन्न विकृति नष्ट हो जाती है और गुर्दा सही तरह से काम करने लगता है। 

             (2)नीम की अंतर छाल,जामुन की छाल,आम की छाल,बबूल की छाल,अमरुद की छाल सबको समान भाग लेकर मिट्टी के पात्र में एक लीटर जल में डालकर उबालें,जब आधा रह जाए तो छानकर सुबह - शाम एक-एक चम्मच सेवन करने से मधुमेही नेफ्रोपैथी से उत्पन्न विकृति का नाश हो जाता है।


  बच्चों के रोग

  पुरुषों के रोग

  स्त्री रोग

  पाचन तंत्र

  त्वचा के रोग

  श्वसन तंत्र के रोग

  ज्वर या बुखार

  मानसिक रोग

  कान,नाक एवं गला रोग

  सिर के रोग

  तंत्रिका रोग

  मोटापा रोग

  बालों के रोग

  जोड़ एवं हड्डी रोग

  रक्त रोग

  मांसपेशियों का रोग

  संक्रामक रोग

  नसों या वेन्स के रोग

  एलर्जी रोग

  मुँह ,दांत के रोग

  मूत्र तंत्र के रोग

  ह्रदय रोग

  आँखों के रोग

  यौन जनित रोग

  गुर्दा रोग

  आँतों के रोग

  लिवर के रोग