vertigo disease

सिर का चक्कर रोग : सिर का चक्कर एक गंभीर समस्या है,जिसमें व्यक्ति को अपने शरीर पर नियंत्रण रखने में अत्यंत कठिनाई का अनुभव होता है और आसपास की सारी वस्तुएँ यानि सब कुछ घूमती हुई नजर आती है। वास्तव में शरीर तो स्थिर होता है किन्तु ऐसा अनुभव होता है कि कुछ भी स्थिर नहीं है।कभी -कभी तो सिर का चक्कर अत्यंत कष्टकारक स्थिति उत्पन्न कर देता है और ऐसी स्थिति होती है कि पीड़ित व्यक्ति अपने सिर को हिला - डुला पाने में असमर्थ पाता है और सिर में अत्यंत भयंकर दर्द का अनुभव करता है। यहाँ तक कि अपने आँखों को खोल पाने में अपने आपको असमर्थ पाता है।  वैसे तो सिर का चक्कर कोई गंभीर बीमारी नहीं है किन्तु किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इसलिए सिर का चक्कर आने को हल्के न लेकर चिकित्सक से परामर्श लेना और उनके सलाह के अनुसार उपचार करवाना अत्यंत आवश्यक है ताकि किसी गंभीर समस्याओं से बचा जा सके। 

सिर के चक्कर आने के कई कारण हैं ,किन्तु मुख्यतः दो कारण माने जातें हैं -(1 ) कान की आंतरिक समस्याओं के कारण : यह आम तरह की समस्याएँ हैं,जो कान की भीतरी भागों में सूजन,कान में संक्रमण आदि कई कारणों से सिर में चक्कर आते है। 

(2 ) मस्तिष्क के आंतरिक भागों की समस्याओं के कारण : सिर में चक्कर आना मस्तिष्क के आंतरिक भागों में संक्रमण,किसी प्रकार का ट्यूमर,सिर में आघात आदि कारणों से आता है। 

लक्षण : चक्कर आना,सब कुछ घूमता हुआ महसूस होना,सिर को हिलाने-डुलाने में असमर्थता,शरीर पर नियंत्रण रख नहीं पाना,सिर में दर्द का अनुभव,सिर में भारीपन,कान में आवाजें आना,उल्टी आना या उल्टी करने जैसा मन करना,बेचैनी,किसी कार्य में मन न लगना,आँखों में भारीपन,आँखों का हिलना,धुंधला,दिखाई देना,आँखों को खोल पाने में दिक्कत,चलने में परेशानी,भ्रम की स्थिति आदि सिर के चक्कर के मुख्य  लक्षण हैं। 

कारण : कान की आंतरिक समस्याओं का होना,कान के अंदर की नसों में सूजन,कान का गीला रहना या कान से मवाद का रिसाव होना,कान के आंतरिक भागों के क्रिस्टल के अपने स्थान से हट जाना,कान में किसी प्रकार के तरल पदार्थों का इकठ्ठा होना,सिर में चोट या आघात,लम्बे समय से सिर दर्द का होना,मस्तिष्क में ट्यूमर का होना,दवाई का दुष्प्रभाव,कान की शल्य चिकित्सा,यौनजनित समस्याएँ,आनुवंशिक रोग आदि सिर के चक्कर के प्रमुख कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) अश्वगंधा पाउडर को दूध या ताजे जल के साथ नियमित सेवन से सिर के चक्कर में अत्यंत लाभ मिलता है।

(2 ) ब्राह्मी के नियमित सेवन से मस्तिष्क को अत्यंत ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे सिर के चक्कर में काफी लाभ मिलता है । 

 (3 ) कौंच के बीज के सेवन से मस्तिष्क को ताकत मिलती है एवं वात-पित्त- कफ को संतुलित कर सिर के चक्कर में बहुत लाभ प्रदान करता है।

 (4 ) जिन्कोबा बिलोबा का सेवन से कान के आंतरिक रक्त परिसंचरण तंत्र को उत्प्रेरित करने में सहायक सिद्ध होती हैं,जिससे सिर के चक्कर में अत्यंत लाभप्रद है। 

(5 ) हरीतकी के सेवन से भी सिर के चक्कर में बहुत लाभ मिलता है। 

(6 ) शंखपुष्पी के सेवन से मस्तिष्क सम्बन्धी दोषों को दूर करने की अत्यंत गुणकारी शक्ति के कारण सिर के चक्कर में अत्यंत लाभकारी है। 

(7 ) आहार में फ़ास्ट फ़ूड एवं बाजार के दोषयुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करने से इन सब रोगों से बचा जा सकता है। 

(8 ) अपने आहार - विहार में सुधार द्वारा भी सिर के चक्कर से बचा जा सकता है। 

योग एवं प्राणायाम :- अनुलोम- विलोम,कपालभाति,भ्रामरी, सूक्ष्म व्यायाम आदि। 


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facial paralysis

चेहरे का लकवा :- चेहरे का लकवा अत्यंत कष्टदायक बीमारी है ,जो चेहरे की मांसपेशियों को नियंत्रित करनेवाली नसें मस्तिष्क में क्षतिग्रस्त होने के कारण होती हैं। नसों में क्षति होने की स्थिति में हँसना,बोलना एवं मुँह खोलने में परेशानी का अनुभव होती है एवं चेहरे की मांसपेशियां कमजोर होकर लटकी दिखाई पड़ती है।ऐसी स्थिति चेहरे के एक तरफ या दोनों ओर हो सकता है।जब भी ऐसी स्थिति हो तो आपातकालीन उपचार की आवश्यकता है।तत्काल उपचार न मिल पाने की स्थिति में यह जानलेवा साबित हो सकती है।

लक्षण :- मुँह का टेढ़ा हो जाना,गर्दन टेढ़ी हो जाना,मुँह से आवाज नहीं निकलना,गाल टेढ़े हो जाना,मुँह से लार गिरना,चक्कर आना,आँखों से आंसू काम आना,स्वाद महसूस करने में परेशानी,बोलने में दिक्कत,उलझन या भ्रम की स्थिति,शारीरिक तालमेल में कमी,देखने में परेशानी आदि चेहरे का लकवा के के प्रमुख कारण हैं।

कारण :- चेहरे की नसों में सूजन,सिर पर चोट लगना,सिर या गर्दन में ट्यूमर होना,स्ट्रोक,तंत्रिका तंत्र में विकार आदि चेहरे का लकवा के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) तिल के तेल की नियमित मालिश से चेहरे का लकवा दूर हो जाता है।

(2) दूध में एक चम्मच सोंठ और थोड़ी सी दालचीनी डालकर उबालें और छानकर थोड़ा सा शहद डालकर सुबह - शाम सेवन करने से चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है।

(3) धतूरा को सरसों या तिल के तेल में पकाकर मालिश करने से चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है।

(4) कलोंजी के तेल की मालिश से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

(5) तिल का तेल 50 ग्राम से 75 ग्राम की मात्रा गर्म करके पीने से एवं साथ लहसुन खाने से चेहरे का लकवा दूर हो जाता है।

(6) लहसुन की चार - पांच कलियाँ पीसकर मक्खन में मिलकर सेवन करने से चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है।

(7) आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालें और शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाने से चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है।

(8) सोंठ और साबुत उड़द दोनों को 250 ग्राम पानी में उबालें और छानकर पीने से चेहरे का लकवा ठीक हो जाता है।


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