depression disease

डिप्रेशन रोग : - डिप्रेशन रोग एक मानसिक विकार है ,जिसमें मस्तिष्क तक सन्देश सुचारु रूप से नहीं पहुँचता है। वास्तव में डिप्रेशन एक विचित्र स्थिति होती है ,जिसमें मस्तिष्क तक सन्देश ले जाने हेतु जो न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं वह भलीभांति प्रकार से कार्य करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। इनमें सेरेटोनिन मुख्य रूप से उत्तरदाई होता है। सेरेटोनिन की अल्पता ही डिप्रेशन की स्थिति उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है। सेरेटोनिन की कमी से नींद ठीक से नहीं आने से स्थिति और गंभीर हो जाता है। सेरेटोनिन के आलावा डोपामाइन को भी डिप्रेशन का करक माना गया है। डोपामाइन को ख़ुशी प्रदान करने वाला हार्मोन भी माना गया है। वास्तव में यूँ कहें कि इन सबके आलावा भी कई तरह के हार्मोन्स मानव शरीर में पाए जाते हैं , जो हमारी भावनाओं को नियंत्रण में रखते हैं। जब इनके स्तर में कमी आती है तो मानव चिड़चिड़ा,तनावयुक्त,उदास ,किसी कार्य में मन न लगना,बेचैनी आदि अनुभव करने लगता है। नतीजन उसके स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है और इसे डिप्रेशन की स्थिति मानी गई है। मानसिक अवसाद यदि 15  दिनों से अधिक रहे यानि स्थायी तनाव विद्यमान रहे तो तुरंत उपचार की आवश्यकता है एवं चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

लक्षण :- उदासी,किसी कार्य में मन न लगना,गुमसुम रहना,बेचैनी,चिड़चिड़ापन,अनिंद्रा,तनावग्रस्त,कमजोरी,थकान,एकांत में रहना,निराशा,आलस्य आदि डिप्रेशन रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- सेरेटोनिन,डोपामाइन आदि हार्मोन्स की कमी,आनुवांशिक,किसी प्रिय व्यक्ति के न रहने के कारण,एकांतवास,आर्थिक नुक़सान,दृढ  इच्छा शक्ति का अभाव, नकारात्मक सोच आदि डिप्रेशन रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) बच को कूट पीस कर चूर्ण बनाकर घी के साथ चाटने से डिप्रेशन रोग में अत्यंत लाभ मिलता है। 

(2 ) अश्वगंधा चूर्ण के सेवन से भी डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है। 

(3 ) ब्राह्मी एवं शंखपुष्पी के सेवन से भी डिप्रेशन रोग में अत्यंत लाभ मिलता है। 

(4 ) शतावरी के काढ़े एवं पाउडर के सेवन से डिप्रेशन में बहुत लाभ होता है। 

(5 ) यष्टिमधु के पाउडर को घी के साथ सेवन करने से डिप्रेशन में बहुत लाभ मिलता है। 

(6 ) चन्दन के लेप को ललाट पर लगाने से डिप्रेशन में अत्यंत लाभकारी होता है। 

(7 ) अदरक,सोंफ,शतावरी,हरीतकी,एवं ब्राह्मी सबको मिलकर काढ़ा बनाकर सुबह शाम सेवन करने से भी डिप्रेशन में अद्भुत लाभ मिलता है। 

(8 ) इंद्रवारुणी (चित्रफल ),विभीतकी,आमलकी,बूरा,हल्दी,मंजिष्ठा,चन्दन सबको मिलकर घृत के साथ सेवन डिप्रेशन में अत्यंत लाभकारी है। 

(9 ) कमल,मंजिष्ठा,कांचनार,यष्टिमधु,अंगूर सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर उसमें स्वादानुसार शक्कर मिलाकर सेवन करने से डिप्रेशन में लाभकारी है। 

योग एवं प्राणायाम : - भ्रामरी,कपालभाति,अनुलोम - विलोम  आदि। 


depression disease

अवसाद या डिप्रेशन रोग :- अवसाद या डिप्रेशन एक मनोरोग है,जो मनुष्य के भावनाओं,विचारों,कार्यकलापों एवं व्यवहारों से दृष्टिगोचर होता है।यह मानसिक विकार वास्तव में एक गंभीर मनोवैज्ञानिक स्थिति है ,जिसमें मनुष्य अपने - आपको असहाय,लाचार एवं अकेला महसूस करने लगता है।किसी के प्रति अत्यधिक लगाव ,आकर्षण, कोई हादसा या किसी प्रियजन से बिछुड़ना आदि इसका सबसे प्रमुख कारण  माना जाता है।सही  मायने में मनुष्य के दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर्स के अभाव या कमी के कारण होता है,जो रसायन दिमाग एवं शरीर के विभिन्न भागों में तारतम्य स्थापित करते हैं।इनके अभाव की स्थिति में शरीर की संचार व्यवस्था बाधित होती है और व्यक्ति में अवसाद के लक्षण देखने को मिलता है।मन में भय,चिंता,भ्रम की स्थिति में मन व्याकुल हो जाता है और कभी - कभी तो इतना भ्रमित हो जाता है कि उसकी जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है।आजकल मंदी एवं कॉम्पिटिशन के दौर में व्यापारीगण एवं परीक्षाओं एवं प्रतियोगिता में असफल होने पर विद्यार्थीगण अवसाद से ज्यादा पीड़ित देखे जा सकते हैं।

लक्षण :- किसी काम में मन न लगना,रूचि का अभाव,स्वयं को लाचार एवं निराश महसूस करना,स्वभाव उग्र हो जाना,नींद न आना,भय,भ्रम,चिंता युक्त होना,गुमसुम रहना,निर्णय न ले पाना,आलस्य से भरा हुआ लगना,चिड़चिड़ापन,तनावग्रस्त,अशांत मन वाला,कभी - कभी गाली- गलौज करना,अत्यधिक रोना आदि अवसाद या डिप्रेशन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- जैव रसायनों में बदलाव,आनुवांशिक कारण,हार्मोनल,मौसम,तनाव,किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होना,धूम्रपान,नशा,अप्रिय स्थितियों में अधिक संजय तक रहना,अनिंद्रा,विफल हो जाना या विफल होने का भय,कुपोषण,गंभीर आघात,प्रियजन से बिछुड़ना,नकारात्मक चिंतन,शारीरिक रुप से कमी आदि अवसाद या डिप्रेशन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) बच,शंखपुष्पी एवं शतावर को समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(2) अश्वगंधा पाउडर का सेवन देशी घी के साथ प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(3) बच,मुलेठी,शतावरी,ब्राह्मी,अश्वगंधा समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(4) शिलाजीत रसायन कल्प के सेवन से भी अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(5) ब्राह्मी चूर्ण को देशी घी के साथ सेवन करने से अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(6) चन्दन का लेप सिर पर करने से भी अवसाद या डिप्रेशन रोग दूर हो जाता है।

(7) अदरक,सोंफ,शतावरी,हरीतकी,ब्राह्मी के चूर्ण को जल में डालकर उबालें और छानकर सेवन करने से अवसाद रोग दूर हो जाता है।

(8) कल्याणघृत को गर्म दूध के साथ सेवन करने से अवसाद रोग दूर हो जाता है।

(9) ब्राह्मी आरक के सेवन से भी अवसाद रोग दूर हो जाता है।

(10) सारस्वतारिष्ट के सेवन से अवसाद रोग दूर हो जाता है।

(11) चंदनासव के से सेवन से अवसाद रोग दूर हो जाता है।

(12) इंद्र वारुणी,चित्रफल,बिभीतकी,आमलकी,तगार,हरिद्रा,मंजिष्ठा,चन्दन सबको जल में उबालें और छानकर पीने से अवसाद रोग दूर हो जाता है।


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