paralysis disease
लकवा या पक्षाघात रोग :- पक्षाघात या लकवा दिमाग का एक अत्यंत घातक रोग है,जो मस्तिष्क में रक्त का परिसंचरण ठीक तरीके से न होने की या रीढ़ की हड्डी में किसी बीमारी या विकार के कारण होता है।लकवा या पक्षाघात किसी एक मांसपेशी या समूह या शरीर के बड़े हिस्से को प्रभावित कर सकता है।मस्तिष्क से अंगों में सन्देश पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं एवं रीढ़ की हड्डी में विकार उत्पन्न होता है,तब प्रभावित अंग तक सन्देश नहीं पहुँचता है और उस अंग पर मस्तिष्क का नियंत्रण समाप्त हो जाता है।इसीलिए वह अंग निष्क्रिय हो जाता है ;इसे ही लकवा या पक्षाघात कहा जाता है।
लक्षण :- लकवा ग्रस्त अंगों में सुन्नपन होना,मांसपेशियों पर नियंत्रण न होना,शरीर के एक तरफ या दोनों तरफ के अंगों का प्रभावित होना,शारीरिक समन्वय में कमी,सिरदर्द,मुंह से लार गिरना,बोलने,सोचने,समझने,लिखने -पढ़ने में कठिनाई,साँस फूलना,मूत्राशय या आँतों के नियंत्रण में कमी,देखने -सुनने में परेशानी,उल्टी आदि लकवा या पक्षाघात के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- स्ट्रोक,आघात,जन्मदोष विकार,दवाओं का कुप्रभाव,मस्तिष्क में विकार,रक्त संचरण में बाधा,रीढ़ की हड्डी में खराबी आदि लकवा या पक्षाघात के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) उड़द,कौंच के बीज,एरंड मूल,बला,हींग और सेंधा नमक का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह -शाम सेवन करने से लकवा या
पक्षाघात की बीमारी ठीक हो जाती है।
(2) बायबिडंग,अजमोद,पीपल,पीपलामूल,काली मिर्च,सोंफ,देवदारु,चीते की छाल,हरड़ और सेंधा नमक 10-10 ग्राम;सोंठ और
विधायरा 100-100 ग्राम लेकर कूट पीस कपड़छान कर चूर्ण बनाकर 4-5 ग्राम प्रतिदिन सुबह -शाम गर्म जल के साथ सेवन
करने से लकवा या पक्षाघात समूल नष्ट हो जाता है।
(3) एरंडी का तेल,गंधक,हरड़,बहेड़ा,आंवला और शुद्ध गूगल समान भाग लेकर और एक -एक ग्राम की गोली बनाकर प्रतिदिन
गर्म जल के साथ सेवन करने से लकवा या पक्षाघात की बीमारी दूर हो जाती है।
(4) पुनर्नवा,देवदारु,गोखरू,गिलोय,एरंडमूल,अमलताश का गूदा समान भाग लेकर जौ कूट कर इसकी 25 ग्राम की मात्रा आधा
लीटर जल में डालकर काढ़ा बनावें और जब 100 ग्राम शेष बचे तो उसमें 25 ग्राम एरंड का तेल और 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण
मिलकर पिला देने से लकवा या पक्षाघात की बीमारी दूर हो जाती है।