puerperal fever
प्रसूतिका ज्वर:- प्रसूतिका ज्वर स्त्रियों को होने वाली एक अत्यंत खतरनाक एवं घातक रोग है।यह रोग एक प्रकार के जीवाणु या जहर के कारण होता है।प्रसूतिका या सूतिका ज्वर प्रसव के पहले या प्रसव के उपरांत महिलाओं को होने वाला एक बीमारी है।यह गर्भाशय में नारवेल का कुछ अंश रह जाने की वजह से होता है।यह बुखार बच्चों के जन्म देने के बाद तीन -चार दिन बाद होता है।प्रसूति काल में गर्भाशय में रक्त में विष प्रविष्ट हो जाने या दूषित कीटाणु के संक्रमण की वजह से होता है।
लक्षण :- सर दर्द,नाड़ी की गति तेज हो जाना,पेट दर्द,बुखार,पसीना न आना,स्तनों में दूध न आना,अरुचि,अनिद्रा,चक्कर आना,पेशाब का पीलापन आदि प्रसूतिका ज्वर के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण:- प्रसव के समय साफ -सफाई का ध्यान न रखना,गर्भ नाल काटते वक्त नाख़ून का लग जाना,बैक्टीरिया का संक्रमण होना,गर्भनाल के कुछ अंश का अंदर रह जाना आदि प्रसूतिका ज्वर के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) पीपल,पीपलामूल,काली मिर्च,सोंठ,अजमोद,भारंगी,हींग,इंद्रा जौ सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह -शाम पीने से
प्रसूतिका ज्वर ठीक हो जाता है।
(2) पीपल,सोंठ,पीपलामूल,अजवाइन हल्दी सबको समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह -शाम पीने से प्रसूतिका ज्वर का
नाश हो जाता है।
(3) दालचीनी,सोंफ,धनिया,बेलगिरी समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह- शाम पीने से प्रसूतिका ज्वर नष्ट हो जाता है।
(4) द्राक्षा,नागकेशर,काली मिर्च,तमालपत्र,छोटी इलायची,पीपर समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर चार -पांच ग्राम की मात्रा ताजे जल
के साथ सेवन करने से प्रसूतिका ज्वर का नाश हो जाता है।
(5) चन्दन की लकड़ी,तिन्तुक फल,मुस्तकमूल,क्षीरकाकोली मूल और बचाकन्द समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह -
शाम पीने से प्रसूतिका ज्वर नष्ट हो जाता है।
(6) कुठफल,देवदारु,गुग्गुल एवं घी के सेवन से प्रसूतिका ज्वर नष्ट होता है।