chikungunya fever
चिकनगुनिया या संधि ज्वर:-आयुर्वेद एक परम्परागत भारतीय चिकित्सा पद्धति है।यह पद्धति न केवल भारत अपितु विश्व भर में अपना वर्चस्व स्थापित कर चुकी है।इसमें हर प्रकार की व्याधियों को दूर करने का कारगर इलाज मुमकिन है,जिनके बारें में आधुनिक चिकित्सा पद्धति (विज्ञान) मौन है।चिकनगुनिया भी उनमें एक है।यह लम्बे समय तक रहनेवाला जोड़ों का रोग है ,जिसमें जोड़ों में बहुत दर्द होता है और दो से पाँच दिनों तक तो बेहद कष्टप्रदायक होता है।किन्तु जोड़ों का दर्द तो महीनों या हफ़्तों तक बना रहता है।चिकनगुनिया का विषाणु अर्वोविषाणु है जो अल्फ़ाविषाणु परिवार का माना जाता है। यह एडिस मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है और चिकनगुनिया बीमारी को जन्म देता है।
लक्षण:-अचानक बुखार होना,102 डिग्री तक बुखार होना,हड्डियों में दर्द,मांसपेशियों में दर्द,हाथों एवं पैरों में चकत्ते
बन जाना,शरीर के जोड़ों में दर्द होना,सिरदर्द,प्रकाश से डर लगना,आँखों में पीड़ा होना,निर्वलता एवं
अनिद्रा,जी मिचलाना आदि चिकनगुनिया के मुख्य लक्षण हैं।
उपचार:-(1)हल्दी चूर्ण,गिलोय चूर्ण,आंवला चूर्ण,नीम के पत्ते का चूर्ण सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से
चिकनगुनिया बीमारी में बहुत आराम मिलता है।
(2)तुलसी के पत्ते,नीम की गिलोय,सोंठ,छोटी पीपर और गुड़ के साथ काढ़ा बनाकर सुबह -शाम पीने से
चिकनगुनिया बीमारी का नाश होता है।
(3)अंगूर को गाय के दूध के साथ खाने से चिकनगुनिया की बीमारी में राहत मिलती है।
(4)तुलसी पत्तियां,अजवायन,किशमिश,नीम की सूखी पत्तियाँ,गिलोय को उबालकर काढ़ा बनाकर पीने
से चिकनगुनिया की बीमारी का नाश होता है।
(5)लहसुन पीसकर उसमें लौंग का तेल मिलाकर दर्द वाले जोड़ों पर लगा कर ऊपर से कपड़े की पट्टी
बांधने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है और शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है।