abscess disease

फोड़ा या विद्रधि रोग : - फोड़ा या विद्रधि शरीर की कोशिका के अंदर मवाद एकत्र होने से बनती है। यह त्वचा के निकट या अंदर भी हो सकता है। जब फोड़े के अंदर पूय का निर्माण हो जाता है तो अत्यंत कष्टदायक स्थिति हो जाती है ,जिसे उपचार द्वारा ही ठीक किया जाता है। आयुर्वेद में फोड़े को बिना चीड़ - फाड़ के ही ठीक किया जाता है किन्तु आधुनिक चिकित्सा पद्धति में सर्जरी के द्वारा ही इलाज संभव हो पता है। वास्तव में फोड़ा या फुंसी एक बहुत ही गहरा बालकूप संक्रमण का रूप है जो हमेशा स्टैफिलोकोकस और यूरु नामक जीवाणु के कारण होता है। 

लक्षण :- त्वचा का रंग लाल हो जाना,दर्द,गर्मी ,सूजन,बुखार,थकान,फोड़े से पूय निकलना,फोड़े के आसपास लालिमा युक्त सूजन आदि फोड़ा या विद्रधि रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- रोम कूप की सूजन,रक्त का दूषित होना,मीठी चीजों का अधिक प्रयोग,त्वचा में मौजूद जीवाणु का जमा होना,मधुमेह,मोटापा,कुपोषण,रोग प्रतिरोधक शक्ति को दबाने वाली दवाइयों का सेवन,कैंसर आदि फोड़ा या विद्रधि रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1)अमरुद की चार - पांच पत्तों को उबालकर पीसकर लेप करने से फोड़ा या विद्रधि रोग ठीक हो जाता है। 

(2) अरंडी के बीजों की गिरी को पीसकर पुल्टिस बांधने से फोड़ा या विद्रधि रोग ठीक हो जाता है। 

(3) आम की गुठली को पानी के साथ पीसकर फोड़े या विद्रधि पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(4) नीम के पत्तों को पीसकर विद्रधि या फोड़े पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(5) हल्दी को पीसकर तवे पर थोड़ा सा गर्म कर उसमें थोड़ा सा सरसों तेल डालकर गर्म कर उसे रुई की फाहों पर रखकर विद्रधि या फोड़े पर बांधने से ठीक हो जाता है। 

(6) अलसी के बीजों को बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर गर्म कर लेप करने से विद्रधि या फोड़ा बैठ जाता है या पककर फूटकर बह जाता है और ठीक हो जाता है। 

(7) जामुन की गुठलियों को पीसकर विद्रधि या फोड़ा पर लेप करने से ठीक हो जाता है। 

(8) मुलहठी को पीसकर विद्रधि या फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पककर फूट कर बह जाता है और बहुत जल्द ठीक हो जाता है।

(9) जमालगोटा और सरसों के बीजों को समान भाग लेकर पानी के साथ पीसकर लेप लगाने से विद्रधि या फोड़ा ठीक हो जाता है। 


abscess disease

फोड़ा - फुंसी रोग :- फोड़ा - फुंसी एक सामान्य त्वचा का संक्रमण रोग है,जो त्वचा के नीचे रोम छिद्रों के एक समूह में विकसित होता है।वास्तव में फोड़ा - फुंसी बैक्टीरिया की वजह से होता है,जो आमतौर पर त्वचा की सतह पर एवं नाक की परत में बिना नुकसान पहुंचाए रहते हैं।सर्वप्रथम संक्रमित क्षेत्र की त्वचा लाल हो जाती है और त्वचा के भीतर एक गांठ बन जाती है।दो -तीन दिनों में यह मवाद से भर जाता है।यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है।यह स्टेफिलोकोकस व युस नामक जीवाणु के कारण होता है।सामान्य तौर पर यह चेहरा,गर्दन,बगल,कंधे एवं नितम्बों पर होते हैं। इसके अतिरिक्त और भी दूसरी जगहों पर भी हो सकते हैं।

लक्षण :- त्वचा पर लाल रंग का सूजन,स्पर्श करने पर गर्म महसूस होना,बुखार आना,दर्द महसूस होना,मवाद से भरा हुआ सूजन,गुलाबी से गहरा लाल रंग वाला त्वचा आदि फोड़ा - फुंसी रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- बालों के रोम की सूजन,बैक्टीरिया का संक्रमण,कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली,कीमोथेरेपी,मधुमेह,एड्स का होना,परिधीय संवहनी विकार,अल्सरेटिव कोलाइटिस,खून में विषाक्त द्रव्यों का प्रवेश,एलर्जी आदि फोड़ा - फुंसी रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर पेस्ट बनाकर फोड़े - फुंसी पर एवं आसपास के भागों पर लगाने से फोड़ा -फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(2) एरंडी का तेल लगाने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(3) जीरे को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(4) प्याज और लहसुन को पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(5) चन्दन का लेप फोड़ा - फुंसी पर लगाने से जलन,सूजन और फोड़ा - फुंसी ठीक हो जाता है।

(6) ग्वारपाठा के गुदा में हल्दी मिलाकर लेप करने से फोड़ा पाक कर फूट जाता है और ठीक हो जाता है।

(7) नीम और तुलसी की पत्तियों को पीसकर उसका लेप लगाने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(8) नीम की कच्ची कोंपलें सुनह खाली पेट खाने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(9) पानी में नमक डालकर उबालें और उसमें सूती कपडा भिंगों कर उससे भिंगों कर कुछ देर रखने से फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।

(10) नीम की पत्तियों को पानी में उबालें और उससे फोड़े - फुंसी को धोने से ठीक हो जाता है।

(11) अशोक की ताज़ी छाल 30 से 40 ग्राम या सूखी छाल 10 से 15 ग्राम और मुलेठी मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से रक्त दोष विकार दूर हो जाता है,जिससे फोड़ा - फुंसी रोग ठीक हो जाता है।


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