metrorrhagia disease

रक्त प्रदर रोग :- मासिक धर्म महिलाओं को होने वाला एक स्वाभाविक क्रिया है।जब गर्भाशय से रक्त स्राव असामान्य रूप से मासिक धर्मों के बीच में होने लगे तो इसे रक्त प्रदर की बीमारी कहा जाता है । रक्त प्रदर रोग में अधिक दिनों तक और अधिक मात्रा में रजःस्राव होता है,जिससे महिलाएँ रक्त की कमी एवं दुर्वलता की शिकार हो जाती हैं।रक्त प्रदर में माहवारियों के बीच गर्भाशय से रक्तस्राव कुछ सप्ताह में होता है और प्रवाह सामान्य से बहुत अधिक होता है।रक्त प्रदर महिलाओं के लिए अत्यंत कष्टप्रदायक स्थिति है;इसलिए तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।

लक्षण :- पेट दर्द या ऐंठन,नियमित मासिक धर्म के बीच भरी रक्तस्राव,गर्भाशय में दर्द,आँखों के सामने अँधेरा छा जाना,चक्कर आना,नींद एवं आलस्य,शरीर गर्म रहना,ज्यादा प्यास लगना,कमर में दर्द,योनि के ऊपरी हिस्से में दर्द आदि रक्त प्रदर के प्रमुख लक्षण हैं ।

कारण :- हार्मोनल असंतुलन,गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग,फाइब्रॉएड,गर्भाशय ग्रीवा या योनि की सूजन,गर्भाशय में संक्रमण,कैंसर,यौन 

             संचारित संक्रमण,गर्भपात के कारण,अस्थानिक गर्भावस्था,मधुमेह,थायराइड,खमीर संक्रमण आदि रक्त प्रदर के मुख्य कारण हैं ।

उपचार :- (1) बबूल या कीकर की कच्ची फली का चूर्ण ताजे जल के साथ सुबह - शाम सेवन  करने से सभी प्रकार के प्रदर का नाश हो 

                    जाता है। यह अत्यंत प्रामाणिक एवं निरापद है ।

               (2) अशोक की छाल 100 ग्राम, सफ़ेद चन्दन,कमल का फूल,धाय का फूल,अतीस,आंवला,नागरमोथा,जीरा और चहेते की छाल 

                     50 -50 ग्राम लेकर कूट पीस कपड़छान कर चूर्ण बनाकर दश ग्राम की मात्रा लेकर उसमें सामान भाग मिश्री मिलाकर खाने 

                     और ऊपर से चावल का पानी पाई से रक्त एवं श्वेत दोनों प्रकार के प्रदर का नाश शत प्रतिशत हो जाता है।

                (3) सोंफ और सोंठ दश -दश ग्राम,ऊन की रख,और आंवला बीस-बीस ग्राम,नागकेशर पांच ग्राम और मिश्री 100 ग्राम कूट पीस 

                    कपड़छान कर चूर्ण बनाकर पांच ग्राम की मात्रा प्रतिदिन सुबह-शाम धारोष्ण जो दूध के साथ सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर 

                    का नाश हो जाता है।यह शत प्रतिशत अनुभूत एवं निरापद है ।

                (4) नागकेशर,खस पठानी,लोधा आंवला,100 -100 ग्राम,माजूफल और अशोक की छाल 100 ग्राम,पीपल की लाख 200 ग्राम 

                      कूट पीस कपड़छान कर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पांच ग्राम की मात्रा दूब के रस के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर 

                       का नाश हो जाता है ।

                 (5) पीपल की लाख,नागरमोथा और सोना गेरू पांच-पांच ग्राम,बबूल का गोंद,रसोंत शुद्ध और दारु हल्दी 10 -10 ग्राम,मिश्री 20 

                       ग्राम सबको कूट पीस कपड़छान कर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम 4 ग्राम की मात्रा  बकरी के दूध के साथ सेवन करने 

                       से रक्त प्रदर का समूल नाश हो जाता है।

                  (6) गूलर का फल (कीड़ा रहित) कूट पीस कपड़छान कर प्रतिदिन प्रातः काल पांच  ग्राम की मात्रा शहद के साथ सेवन करने से 

                        रक्त प्रदर का नाश हो जाता है।


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