tuberculosis disease
क्षय रोग: - क्षय रोग एक गंभीर एवं बैक्टीरिआ से फैलने वाली बीमारी है जो मुख्य रूप से फेफड़ों को संक्रमित करती है।यह मैकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होती है।यह रोग मुख्य रूप से श्वसन मार्ग से संक्रमण होने वाला रोग है,जो संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से फैलता है;जैसे छींकने,खांसने या हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं और उससे श्वसन के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति ग्रसित हो जाता है।यह रोग दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में अधिक फैलने वाला रोग है।
लक्षण:- सूखी खांसी,अजीर्ण,मितली,उल्टी,भूख की कमी,थकान,अधिक प्यास,छाती में दर्द,साँस लेने में कष्ट का अनुभव,जुकाम,स्वर भांग,रात्रि में अधिक पसीना,जीभ मैली,नाड़ी की गति तेज,कुछ दिनों के बाद पीला बलगम निकलना,वजन में कमी,अतिसार एवं शोथ आदि क्षय रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण:- प्रदूषित वायु का सेवन,अधिक परिश्रम,रक्त की अधिकता या कमी,अत्यधिक मैथुन में लिप्त होना,बार-बार गर्भ धारण,दुर्बलता,जीर्ण ज्वर,वीर्य दोष,खांसी का समुचित इलाज न होना आदि क्षय रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार:- (1) अडूसा के पत्ते का काढ़ा बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से क्षय रोग का नाश हो जाता है।
(2) मुलहठी चूर्ण,शहद,मिश्री और घृत( घृत असमान )समान भाग लेकर सबको मिलाकर सुबह पेट भर सेवन करें।दोपहर में भूख
लगने पर भोजन करें।इससे क्षय रोग के सभी विकारो से मुक्ति मिल जाती है।
(3) श्वेत या हरी कोमल दूब का स्वरस में बराबर शहद मिलाकर सेवन करने से क्षय रोग दूर हो जाता है।
(4) जावित्री,जायफल,लौंग,तेजपात,नागकेशर,दालचीनी,कमलगट्टा की मिंगी और छोटी इलायची के बीज 20 -20 ग्राम,मुनक्का
बीजरहित एक किलोग्राम,मिश्री तीन किलोग्राम और केसर पांच ग्राम लेकर सबको कूट पीस कर चूर्ण बनाकर कांच के बरतन में
रख दें और प्रतिदिन सुबह-शाम 10 ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से क्षय रोग का समूल नाश हो जाता है।
(5) गोखरू चूर्ण,पुराण गुड़ एवं देशी खांड 250 ग्राम की मात्रा लेकर एक लीटर जल में घोलकर कांच के पात्र में रखकर चार दिनों
तक धूप में रख दें और छानकर प्रतिदिन सुबह-शाम 20 मिलीलीटर की मात्रा सेवन करने से क्षय रोग दूर हो जाता है।