hyper thermia disease

अतिताप रोग : - अतिताप एक अत्यंत गंभीर स्थिति है ,जिसमें शरीर तापमान को नियंत्रित करने में विफल हो जाता है। वास्तव में अतिताप होने की स्थिति में मानव शरीर के अंगों में तालमेल का अभाव हो जाता है और स्मृतिशून्यता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वैसे मानव शरीर का तामपान 37। 5 डिग्री सेल्सियस से 38। 3 डिग्री सेल्सियस ( 99। 5 डिग्री फारेनहाइट - 100। 9 डिग्री फारेनहाइट ) के बीच होता है। अतिताप की स्थिति जीवन के लिए जोखिम भरा होता है और तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। मानव शरीर के तापमान को वहां करने की क्षमता से अधिक उत्पादन होना ही अतिताप कहलाता है।वास्तव में अतिताप की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शरीर अत्यधिक ताप का उत्पादन करने लगती है और उसे अवशोषित करने में शरीर विफल हो जाती है। 

लक्षण :- मिचली,उल्टी,बेहोशी,चक्कर आना,सिरदर्द,श्वसन की गति तेज हो जाना,त्वचा का रंग पीला पड़ जाना,मूर्च्छा की स्थिति आदि अतिताप रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - वातावरणीय कारक,गर्मी में अत्यधिक श्रम करना,कम पानी पीना,दवाओं का कुप्रभाव,नशा का सेवन,ट्यूमर होना,जीवाणु का संक्रमण,कैफीन,शराब का सेवन,गर्मी एवं आर्द्र वातावरण में कार्य करना,हाइपोथैलेमस ग्रंथि का कार्य न करना,मसालेदार खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन आदि अतिताप रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) अतिताप की स्थिति में ठन्डे पानी में सूती कपडा भिंगो कर शरीर को पोंछना बहुत लाभदायक होता है। 

(2) हरसिंगार की छाल तीन ग्राम,दो - तीन पत्तियां एवं तुलसी की दो - तीन पत्तियां का काढ़ा बनाकर पीने से अतिताप बहुत शीघ्रता से दूर हो जाता है। 

(3) ओ आर एस, ग्लूकोस एवं नीम्बू पानी जैसे तरल पदार्थों के सेवन करने से अतिताप में बहुत आराम मिलता है। 

(4) मौसमी फलों के सेवन जैसे - ककड़ी,तरबूज,संतरा,अंगूर,आम आदि अतिताप से सुरक्षा करता है। 

(5) दही,मट्ठा,जलजीरा,आम पन्ना,आदि तरल पदार्थों के सेवन से भी अतिताप में बहुत आराम मिलता है एवं जीवन रक्षा होती है। 

(6) ताजा अनानास के जूस में तीन - चार बूंदें बादाम के तेल को मिलाकर सेवन करने से अतिताप ठीक हो जाता है। 

(7) प्रतिदिन एक चम्मच मेथी के दाने को भिंगो कर खाने से अतिताप से बचे रह सकते हैं। 

(8) ठन्डे दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से अतिताप से निश्चित सुरक्षित रह सकते हैं। 

आसान एवं प्राणायाम :- अनुलोम - विलोम,भ्रामरी,शीतली प्राणायाम आदि। 


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