hemolytic uremic syndrome
हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम :- हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम एक अत्यंत कष्टदायक रोग है,जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली की एक प्रतिक्रिया के कारण लाल रक्त कोशिकाओं व प्लेटलेट्स का स्तर कम हो जाने के कारण किडनी क्षतिग्रस्त होकर ख़राब हो जाती हैं।यह समस्या जठरांत्र पथ में इन्फेक्शन होने की वजह से होती है और यह संक्रमण ई कोली नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।इसके अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने एवं कच्चे भोज्य पदार्थों के सेवन से भी यह बीमारी फैलने या होने की ज्यादा सम्भावना होती है।
लक्षण :- दस्त के साथ खून आना,पेशाब कम और खूनयुक्त आना,पेट दर्द,उलटी,बुखार,पीलापन युक्त त्वचा,मुँह एवं नाक से खन आना,थकन,उलझन,मिर्गी के दौरे,उच्च रक्तचाप,हाथ,पैर,चेहरे पर सूजन आदि ।
कारण :- ई कोली बैक्टीरिया के कारण,संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से,अधपके भोजन एवं पेय पदार्थों के सेवन से,जैसे-दूध व मांस ।
उपचार :- (1) 200 ग्राम गोखरू को तीन लीटर जल में उबालें और जब एक लीटर बच
जाये तो छानकर एक साफ बोतल में रख लें और सुबह शाम 100 ग्राम
की मात्रा पीने से हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम ठीक हो जाता है।
(2) सेब के सिरके के प्रतिदिन सेवन से हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम का
नाश हो जाता है।
(3) मुनक्के के चार -पाँच दानों को बीज रहित करके रात में पानी में भिगों दें
और सुबह इस दानेके सेवन से हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम दूर हो
जाता है।
(4) एलोवेरा जूस के प्रतिदिन सेवन से भी हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम
का नाश हो जाता है।
(5) खीरा एवं लौकी के जूस का सेवन सुबह-शाम करने भी हीमोलाइटिक
यूरीमिक सिंड्रोम दूर हो जाता है।