heart attack disease

हृदयाघात या दिल का दौरा रोग :- हृदयाघात या दिल का दौरा एक अत्यंत घातक रोग जानलेवा बीमारी है,जो दिल के कुछ भागों रक्त संचरण में बाधा आ जाने के कारण होता हो।धमनी के मार्ग में रुकावट आ जाने के कारण रक्त संचार में बाधा और ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाने के परिणामस्वरूप हृदयाघात या दिल दौरा पड़ता है।वास्तव में रोधगलन या तीव्र रोधगलन को ही दिल के दौरे या हृदयाघात के नाम से जाना जाता है।इसमें दिल के कुछ भागों में खून का संचरण नहीं होने की वजह से दिल की कोशिकाएँ मर जाती है।रक्त संचरण में बाधा एवं ऑक्सीजन की अपर्याप्तता अधिक समय तक बिना उपचार किये रह जाने से क्षतिग्रस्त हो जाती है।

लक्षण :- अचानक छाती में दर्द,अकड़न,बांह में अत्यधिक दर्द,साँस लेने में तकलीफ होना,बाएं हाथ या गर्दन के बायीं ओर दर्द,साँस लेने में परेशानी,मिचली,उलटी,अत्यधिक पसीना आना,घबड़ाहट,थकान,अपच,अत्यधिक कमजोरी,हल्का सिरदर्द,नींद की गड़बड़ी,पेट दर्द,अनियमित दिल की धड़कन,चक्कर आना,बेहोश हो जाना,पेअर और टखने में सूजन आदि हृदयाघात या दिल के दौरे के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- तम्बाकू का सेवन,धूम्रपान,ट्राइग्लिसराइड,निम्न घनत्व लेपो प्रोटीन और उच्च घनत्व के लेपो प्रोटीन,का कम हो जाना,मधुमेह,उच्च रक्तचाप,मोटापा,गुर्दे की खराबी,हृदय का काम ठीक से न करना,अत्यधिक शराब का सेवन,ड्रग्स,अत्यधिक तनाव,आनुवांशिक कारण आदि हृदयाघात या दिल के दौरे के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) प्रतिदिन रात में खाने से आधा घंटे पहले 10 मिली एप्पल का सिरका आधा गिलास पानी में मिलाकर सेवन करने से हृदयाघात 

                    होने की सम्भावना नहीं रहती है।

              (2) रात्रि में उबलते दूध में छोटी पीपल,जायफल एवं हल्दी चूर्ण आधा चम्मच डालकर पीने से हृदयाघात या दिल के दौरे से बचा जा 

                    सकता है।

              (3) सुबह-शाम अर्जुन,नागकेशर,दालचीनी,पुष्करमूल,जटामांसी सब को मिलाकर चूर्ण बना लें और सेवन करने से हृदयाघात नहीं 

                    होता है।

              (4) एक कप नीम्बू का रस,एक कप अदरक का रस,एक कप प्याज का रस,एक कप सेब का सिरका सब को मिलाकर एक बर्तन में 

                    धीमी आंच पर पकाएं और जब 3 कप शेष बचे तो उसमें ठंडा होने पर 3  कप शहद मिलाकर प्रतिदिन 2 -2  चम्मच सेवन 

                    करने से हृदयाघात नहीं होता है।

             (5) अर्जुन वृक्ष की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से हृदयाघात या दिल के दौरे नहीं पड़ते है।


  बच्चों के रोग

  पुरुषों के रोग

  स्त्री रोग

  पाचन तंत्र

  त्वचा के रोग

  श्वसन तंत्र के रोग

  ज्वर या बुखार

  मानसिक रोग

  कान,नाक एवं गला रोग

  सिर के रोग

  तंत्रिका रोग

  मोटापा रोग

  बालों के रोग

  जोड़ एवं हड्डी रोग

  रक्त रोग

  मांसपेशियों का रोग

  संक्रामक रोग

  नसों या वेन्स के रोग

  एलर्जी रोग

  मुँह ,दांत के रोग

  मूत्र तंत्र के रोग

  ह्रदय रोग

  आँखों के रोग

  यौन जनित रोग

  गुर्दा रोग

  आँतों के रोग

  लिवर के रोग