hand-foot-mouth-disease

हाथ,पैर और मुँह की बीमारी : - हाथ, पैर और मुँह की बीमारी एक साधारण बीमारी है,किन्तु अत्यंत संक्रामक है,जो कोक्ससैकीय A 16 ( Coxsackie virus A 16 ) वायरस के कारण होता है। यह बीमारी श्वसन तंत्र के माध्यम से फ़ैल कर हाथ,पैर और मुँह में घाव बना देती है।  इस रोग में मुख्य रूप से हाथ,पैर और मुँह में ही प्रभाव या लक्षण दिखाई देते हैं,इसीलिए इसे हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के नाम से ही जाना जाता है। यह बीमारी विशेषकर 10 साल से कम आयु वर्ग के बच्चों को ज्यादा चपेट में लेती है। इस बीमारी में मुँह,हाथ एवं पैरों में दाने हो जाते हैं,खासकर मुँह के अंदरूनी भागों में लाल - लाल छाले के रूप में दिखाई देते हैं। यह रोग अपने आप 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाते हैं। यह रोग खासकर मई से जुलाई के महीने में अपना संक्रामकता दिखाता है। इस बीमारी से किसी के जान माल की क्षति नहीं के बराबर होती है,फिर भी पीड़ित व्यक्ति की हालत कष्टदायक होती है। 

लक्षण :- बुखार,गले में खराश एवं दर्द,खांसी,पेट में दर्द,थकान,उल्टी,चिड़चिड़ापन,खाने - पीने में परेशानी,मुँह के अंदर छाले,हाथ एवं पैरों में लाल - लाल दाने,जीभ एवं तालु के आसपास दाने,भूख की कमी,बेचैनी,असहजता महसूस होना आदि हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - कोक्ससैकीय A 16 वायरस,गंदगीयुक्त वातावरण,संक्रमित मरीज के संपर्क में आने,रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी,बरसाती मौसम की आद्रता आदि हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) मुँह के छालों के लिए अमरुद,बबूल,जामुन,तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने साथ ही साथ गरारे करने से मुँह के छाले शीघ्रता से ठीक हो जाते हैं। 

(2) संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से बचकर ( चुंबन,गले लगना आदि ) रहने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी के संक्रामकता को रोका जा सकता है। 

(3) गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर गरारे करने से मुँह के छालों में काफी लाभ होता है। 

(4) नीम की पत्तियों को पानी में डालकर उबालें और उस पानी से स्नान करने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी में बहुत लाभ मिलता है। 

(5) पानी में छोटा सा फिटकरी का टुकड़ा डालकर गरारे करने से भी हाथ,पैर एवं मुँह की बीमारी में विशेष लाभ मिलता है। 

(6) गुलाब जल में थोड़ा सा ग्लिसरीन मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से हाथ,पैर और मुँह की बीमारी ठीक हो जाती है। 

योग एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी आदि। 


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