irritable bowel syndrome
चिड़चिड़ा (क्षोभी)आंत्र विकार:- यह एक आँतों का रोग है,जो जठरांत्र पथ और मस्तिष्क के मध्य में सम्पर्क का एक विकार है।इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होकर चिरकालिक दर्द,थकान आदि का कारण बनती हैं।इस बीमारी को स्पैस्टिक कोलन,इर्रिटेबल कोलन,म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है।यह आँतों को क्षतिग्रस्त तो नहीं करता;परन्तु ख़राब होने का संकेत अवश्य देने लगता है,जिसे नजरअंदाज करने पर व्यक्ति को शारीरिक दुर्वलता एवं तकलीफें महसूस होने लगती हैं तथा पेट में दर्द,बेचैनी,मल त्याग करने में परेशानी आदि होती हैं।यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा पाईं जाती हैं।
लक्षण:-पेट में दर्द,बेचैनी के साथ लगातार दस्त या कब्ज,हाथ -पैरों में सूजन,आलस्य,चिड़चिड़ापन,पेट का साफ न होना यानि मल की अधूरी निकासी,थकान,सिरदर्द,पीठ में दर्द,मनोरोग के लक्षण जैसे -अवसाद एवं चिंता से सबंधित लक्षणों का पाया जाना,आँतों की आदतों में परिवर्तन के कारण अपक्व मलों का होना आदि क्षोभी आंत्र विकार के सामान्य लक्षण हैं |
उपचार:-(1)नागरमोथा,सोंठ,अतीश,गिलोय सबको समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर छान लें और बीस-तीस मिलीलीटर सुबह खली पेट पीने से क्षोभी आंत्र विकार का नाश हो जाता है।
(2) हरीतकी,शुंठी,पिप्पली,चित्रक समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर सुबह -शाम तीन से छह ग्राम छाछ के साथ सेवन से क्षोभी आंत्र विकार नष्ट हो जाता है।
(3)दालचीनी,सोंठ,जीरा समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर दो -तीन ग्राम की मात्रा शहद के साथ खाने से क्षोभी आंत्र विकार का नाश हो जाता है।
(4)तीन ग्राम इसबगोल गुनगुने जल के साथ सोते समय खाने से यह बीमारी दूर हो जाती है।
(5)एक गिलास जल में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिंगों दे और प्रातः खली पेट पीने से क्षोभी आंत्र विकारका नाश हो जाता है।
(6) त्रिकूट चूर्ण के सेवन करने से आँतों में जमे हुए विषाक्त मल के निकल जाने से क्षोभी आंत्र विकारका नाश हो जाता है।