psoriasis disease
सोरायसिस :-लक्षण :-सोरायसिस मानव शरीर के त्वचा की ऊपरी सतह पर होने वाला एक चर्मरोग है।इसमें त्वचा पर एक मोटी परत के रूप में सिर के बाल के पीछे गर्दन,हाथ की हथेलियों,पांव के तलवों,कोहनी,घुटनों,एवं पीठ पर ज्यादा होती है।इसे छाल रोग के नाम से भी जाना जाता है।इसमें लाल,शुष्क दाने से युक्त परतदार चकते के रूप में होती है।इसमें शुष्क त्वचा होने पर खुजली भी होती है और खुजाने पर चिपचिपा द्रव का श्राव भी होता है,जो बहुत कष्टदायक होता है।
कारण:(1)वंशानुगत ।
(2)प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी या अन्य कारणों से भी ।
(3)तनाव और अधिक आहार असमानता यथा :-दही और मछली खाने ,फ़ास्ट एवं जंक फ़ूड का ज्यादा प्रयोग ,धूम्रपान की अधिकता आदि।
(4)बैक्ट्रियल संक्रमण के कारण आदि।
उपचार :-सोरायसिस एक असाध्य बीमारी है ,जिसका आयुर्वेद के अतिरिक्त किसी भी चिकित्सा पद्धति में समूल नष्ट करने का इलाज उपलब्ध नहीं है।
आयुर्वेद इसे असाध्य बीमारी नहीं मानता है।कहने का तात्पर्य आयुर्वेद सोरायसिस को समूल नष्ट करने में सक्षम है।इसी कड़ी में मैंने यह प्रयोग स्वयं अनुभूत किया हुआ यहाँ दिया है।आशा है पाठक गण इसे अपनाकर लाभान्वित होंगे।
उपचार सामग्री:(-1 ).सफ़ेद आक का फूल 500 ग्राम( छाया में सुखाया हुआ )( 2 .)नारियल तेल 250 मिली ,(3 .)ढ़ेलेवाला कपूर
बनाने की विधि :-सर्वप्रथम कढ़ाही को आग चढ़ाकर उसमें नारियल तेल डालकर गरम करें ,गरम होने पर उसमें छाया में सुखाया हुआ सफ़ेद आक के फूल को डाल कर जलाएं ।जल जाने के बाद उसे उतार कर ठंडा कर उसमें ढ़ेलेवाला कपूर को पीसकर मिलाकर एक साफ शीशी में रख लें और दिन में दो बार लगाएं। ऐसा करने से सोरायसिस जड़मूल से नष्ट होगा।यह स्वयं अनुभूत एवं अचूक औधधि है,इसमें कोई संदेह नहीं है।
नोट :-यह सोरायसिस के आलावा दाद,एग्जीमा,खुश्क एग्जीमा,बहनेवाला एग्जीमा की भी यह अचूक एवं अनुभूत औधधि है।