hepatistis disease
यकृत शोथ या हेपेटाइसिस:-यकृत शोथ या हेपेटाइसिस यकृत को नुकसान पहुंचाने वाला एक बहुत ही गंभीर एवं खतरनाक बीमारी है।वायरल संक्रमण या अल्कोहल पदार्थों के सेवन के कारण यकृत में सूजन आ जाती है,जो आगे चलकर पीलिया का रूप ले लेता है और दीर्घ काल के पश्चात् हेपेटाइसिस में परिवर्तित होकर जानलेवा सिद्ध होती है। हेपेटाइसिस के कई प्रकार हैं: -1. हेपेटाइसिस ए-यह हेपेटाइसिस ए वायरस के कारण होता है,जो मुख्यतः मल संदूषण के माध्यम से फैलता है। 2.हेपेटाइसिस बी -यह हेपेटाइसिस बी वायरस के कारण होता है,जो रक्त और शरीर से निकलने वाले संक्रमित स्रावों; जैसे-वीर्य और योनि के तरल पदार्थों में पाया जाता है।आमतौर पर यह असुरक्षित यौन सम्बन्ध,इंजेक्शन का दोबारा प्रयोग एवं विशेष कर ड्रग्स लेने वालों को होता है।3.हेपेटाइसिस सी-यह हेपेटाइसिस सी वायरस की वजह से होता है,जो संक्रमित व्यक्ति के रक्त,लार,वीर्य और योनि से निकलने वाले तरल पदार्थों के कारण होता है। 4.एल्कोहॉलिक हेपेटाइसिस-कई सालों तक लगतार अधिक मात्रा में शराब के सेवन से लिवर को नुकसान पहुँचता है जो कालांतर में यकृत शोथ या हेपेटाइसिस का कारण बनती है। 5.हेपेटाइसिस डी-यह हेपेटाइसिस डी वायरस के कारण होता है,जो हेपेटाइसिस बी से ग्रसित होते हैं।. 6.हेपेटाइसिस इ-यह हेपेटाइसिस इ वायरस के कारण होता है,जो मुखगत या मल संदूषण द्वारा फैलता है।. 7.ऑटोइम्यून हेपेटाइसिस -यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने की वजह से होता है।
लक्षण:-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द,उच्च तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट या अधिक,अस्वस्थता का अनुभव करना,सिरदर्द,आँखों और त्वचा का पीलापन,यक्रिय शोथ,डिप्रेशन,पीलिया का हो जाना,हर वक्त थकान महसूस करना आदि यकृत शोथ या हेपेटाइसिस के प्रमुख लक्षण हैं।
उपचार:-(1)250 ग्राम पपीते के रस के साथ शहद को मिलाकर सुबह -शाम पीने से या पपीतों की छोटी -छोटी फांकें काटकर एक सफ्ताह के लिए सिरके में डुबों दें और दो सफ्ताह बाद सुबह -शाम एक से चार फांक खाने से हेपेटाइसिस या यकृत शोथ का नाश हो जाता है। (2)वंग भस्म रत्ती भर लेकर घी के साथ खाने से यकृत शोथ या हेपेटाइसिस नष्ट हो जाती है। (3)तुलसी स्वरस दो -तीन चम्मच दिन में तीन -चार बार पीने से यकृत शोथ का नाश हो जाता हैैl (4)बथुए की सब्जी एवं बथुआ उबालकर उसका पानी पीने से यकृत शोथ नष्ट हो जाता है।