आमातिसार रोग :- आमातिसार एक अत्यंत कष्टदायक रोग है,जो अमीबा जीवाणु के कारण होता है,इसलिए इसे अमीबिक प्रवाहिक अतिसार के नाम से भी जाना जाता है।इस रोग में शरीर से चिकना,सफ़ेद,लसदार मल बार-बार मरोड़ के साथ निकलता है। रोगी बहुत जल्द दुर्बल हो जाता है,आँखें धँस जाती है और बार-बार दस्त लगती है,जिसमें मल कम आँव की मात्रा ज्यादा होती है।एक-दो दिन में ही व्यक्ति चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है।
लक्षण :- मल के साथ आँव या कफ का आना,मितली,उलटी,पेट,नाभि में दर्द,भूख कम हो जाना,अधिक प्यास लगना,पेट में गुड़गुड़ाहट होना,दुर्बलता,किसी काम में मन न लगना,शरीर में पानी की कमी हो जाना,शरीर में कंपकंपी,बेचैनी,आँखें बैठना,जीभ मैली होना,नब्ज की गति धीमी होना,पानी जैसा मल आना,पसीना आना,सिरदर्द आदि आमातिसार रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- खान-पान की गड़बड़ी,फ़ास्ट फ़ूड का अत्यधिक सेवन करना,शराब का सेवन,दस्तावर खाद्य पदार्थों का सेवन,रात में अधिक जागना,उत्तेजक खाद्य पदार्थों का सेवन करना,बैक्टीरिया,वाइरस आदि का संक्रमण,मल के वेग को रोकना,म्यूकस कोलाइटिस,अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि आमातिसार के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) बेलगिरी का मुरब्बा दिन में तीन बार खाने से आमातिसार का नाश हो जाता है।
(2)इसबगोल की भूसी,तुख्मलंगा,तुख्मरिहाँ समान भाग लेकर पांच ग्राम की मात्रा दही में मिलाकर
सेवन करने से आमातिसार रोग ठीक हो जाता है।
(3) सोंफ एवं पोदीना का अर्क दिन में तीन बार लेने से आमातिसार का नाश हो जाता है।
(4) आम की छाल,जामुन की छाल,बबूल की छाल एवं अमरुद की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से
आमातिसार अतिशीघ्र दूर हो जाता है।
(5) पीपरमेंट 5 ग्राम,अजवाइन सत 10 ग्राम और कपूर 20 ग्राम एक शीशी में डालकर रख दें। कुछ
समय पश्चात् गल जाने पर उसकी 15 - 20 बूंदे जल में डालकर सेवन करने से आमातिसार एवं
उससे लगने वाली प्यास नष्ट हो जाती है।
(6) कच्चे केले को पानी में पकाकर सूखा लें और इसका महीन आटा बनाकर उसमें थोड़ा सा सूजी या
आटा मिलाकर रोटी बनाकर खाने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
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