आँखों का लेंस विकार रोग :- आँखों का लेंस विकार आँखों का एक गंभीर रोग है।आँखों का लेंस प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धांतों पर काम करता है और वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिम्ब बनाकर स्वच्छ छवि को दिखाता है।किन्तु जब लेंस में विकार आ जाता है तो तो प्रतिबिम्ब को रेटिना के आगे या पीछे दिखाने लगता है और प्रतिबिम्ब बनता है तो स्पष्ट दृष्टिगोचर नहीं हो पाता है।इसे ही आँखों का लेंस विकार रोग कहा जाता है।पीछे प्रतिबिम्ब बनने पर उत्तल लेंस और आगे बनने पर अवतल लेंस का चश्मा लगाकर इसे दूर किया जाता है,किन्तु आयुर्वेद में इसे ठीक किया जा सकता है।

लक्षण :- धुंधली दृष्टि,रात में कम दिखाई देना,एक आँख में दोहरी दृष्टि,आँख का रोग,प्रकाश की संवेदनशीलता,निकट दृष्टि दोष आदि आँखों का लेंस विकार रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आघात,उम्र का बढ़ना,आनुवांशिक विकार,विकिरण के संपर्क में,चर्मरोग,विटामिन सी की कमी,धूम्रपान,मधुमेह,मोटापा,उच्च रक्तचाप आदि आँखों का लेंस विकार रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) काली मिर्च के चूर्ण को घी बूराके साथ मिलाकर पतिदिन खाने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(2) चुकुन्दर,पालक,आंवला एवं गाजर के टुकड़े - टुकड़े करके दो गिलास जल में डालकर धीमी आंच पर उबालें और जब एक चौथाई शेष रहे तब छानकर प्रतिदिन सुबह - शाम पीने से लेंस विकार रोग ठीक हो जाता है।

(3) आंवला स्वरस,चुकुन्दर का रस एवं शहद समान भाग मिलाकर प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(4) अदरक स्वरस,गुलाब जल एवं शहद समान भाग मिलाकर एक - दो बून्द आँख में डालने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(5) गुलाब जल की दो -तीन बूंदें आँखों में डालने से लेंस विकार रोग ठीक हो जाता है।


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