गॉचर रोग :- गॉचर एक दुर्लभ किस्म की बीमारी है,जिसका इलाज काफी महंगा है।इस बीमारी में शरीर में खून की मात्रा कम होना शुरू हो जाता है और साथ ही प्लेट्सलेट्स भी कम होने लगता है। परिणामस्वरूप लिवर का आकार बढ़ जाता है और लंग्स कमजोर होने लगता है।इस बीमारी में कुछ मरीजों के दिमाग पर भी प्रभाव पड़ता है और दौरे आने लगता है।इस दुर्लभ बीमारी के उपचार में प्रयोग होने वाले एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी के एक इंजेक्शन की कीमत एक लाख से अधिक होती है और प्रत्येक दो हफ्ते में एक इंजेक्शन दिया जाता है।हरेक व्यक्ति के लिए इस दुर्लभ गॉचर बीमारी का इलाज करा पाना अत्यंत कठिन होता है।वास्तव में गॉचर रोग विरासत में मिला हुआ एक दुर्लभ किस्म का खतरनाक रोग है।
लक्षण :- किस्म 1 :- त्वचा में बदलाव,प्लेट्सलेट्स कम होना,हड्डी का दर्द,गठिया,फ्रेक्चर,संज्ञानात्मक बधिरता,जिगर का बढ़ जाना,थकान,हृदय के वाल्व में विकार हो जाना आदि ।
किस्म 2 :- तिल्ली का बढ़ जाना,निगलने में परेशानी,वजन का स्थिर हो जाना,निमोनिया आदि ।
किस्म 3 :- आँखों को हिलाने-डुलाने में परेशानी,फेफड़ों की बीमारी का हो जाना,मानसिक परेशानी,हाथों और पैरों को कंट्रोल नहीं कर पाना,मांसपेशियों में ऐंठन होना आदि गॉचर रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- आनुवंशिक,जी बी ए जीन में बदलाव होने आदि गॉचर रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार :- (1) अश्वगंधा पाउडर के नित्य प्रतिदिन सेवन करने से गॉचर रोग से उत्पन्न मानसिक विकार को दूर किया जा सकता है , साथ ही बढ़ने से रोका जा सकता है।
(2) शरीर की इम्युनिटी को बढ़ा कर इस दुर्लभ बीमारी को रोका जा सकता है।इसके लिए महासुदर्शन चूर्ण का सेवन प्रतिदिन सुबह शाम सेवन करें।
(3) गिलोय, तुलसी के पत्ते,काली मिर्च,अदरक को एक गिलास पानी में उबालें और एक चौथाई शेष रहने पर सुबह शाम सेवन करने से भी शरीर में इस दुर्लभ बीमारी से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है।
(4) सहदेवी के पौधे का पंचांग का काढ़ा बनाकर पीने से भी गॉचर रोग से उत्पन्न लिवर की विकृति को ठीक किया जा सकता है।
(5) अश्वगंधा,शतावर,सोंठ,एवं सुरंजन के चूर्ण के सेवन से गॉचर रोग से उत्पन्न गठिया एवं हड्डी के फ्रेक्चर को ठीक किया जा सकता है।
(6) गॉचर रोग से उत्पन्न विकृति दौरे पड़ना जैसी समस्या को कंटकारी के पौधे के रस की दो तीन बूंदे नाक में डालने से दौरे बंद हो जाता है।
(7) गॉचर रोग की विकृति से उत्पन्न ह्रदय के वाल्व का बढ़ जाना आया अन्य विकृति को अर्जुन वृक्ष की छाल एवं अश्वगंधा की जड़ का काढ़ा सुबह शाम पीने से इस रोग को दूर किया जा सकता है।
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