गर्भकालीन मधुमेह रोग : - मधुमेह एक अत्यंत गंभीर रोग है;किन्तु गर्भकालीन मधुमेह अत्यंत कष्ट देने वाली स्थिति होती है। वैसे तो गर्भावस्था में अधिकांश मामलों में मधुमेह स्थायी नहीं होता। गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने के कारण गर्भस्थ शिशु के लिए खतरा बढ़ जाता है। अधिकांश मामलों में यह देखा जाता है कि गर्भावस्था के प्रारम्भ में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य था;किन्तु बाद में रक्त में शुगर की मात्रा अधिक पाई गई। ज्ञात होने पर इसे नजरअंदाज नहीं कर उचित चिकित्सा की आवश्यकता होती है,जिसे अनदेखा करना गर्भस्थ शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
लक्षण : - अत्यधिक प्यास की अनुभूति,मुँह का सूखना,थकावट अनुभव करना,अधिक अधिक पेशाब आना,दृष्टि में धुंधलापन,सिरदर्द आदि गर्भकालीन मधुमेह रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - आनुवंशिक कारण,खान - पान में अनियमितता,हार्मोन्स का असंतुलित होना,मोटापा,उच्च रक्त छाप ,पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम,अल्कोहल का सेवन आदि गर्भकालीन मधुमेह रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार : - (1 ) कोदो के चावल के दानों को पकाकर खाने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभकारी है।
(2 ) एलोवेरा जूस को गुनगुने जल के साथ सुबह - शाम सेवन करना गर्भकालीन मधुमेह रोग में बहुत लाभकारी है।
(3 ) करेले का रस 30 - 40 मिलीलीटर सुबह खाली पेट सेवन करने से गर्भकालीन मधुमेह रोग दूर हो जाता है।
(4 ) मेथी के एक चम्मच दाने को रात में पानी में भिंगो दें और सुबह छानकर पानी को पीने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में बहुत लाभ होता है।
(5 ) जामुन के फलों के सेवन से भी गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभ मिलता है।
(6 ) दालचीनी के टुकड़े को एक कप पानी में भिंगो दे और सुबह पानी पीने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में अद्भुत लाभ होता है।
(7 ) जामुन की गुठली को छीलकर मिंगी निकालकर चूर्ण बनाकर ताजे जल के साथ सुबह खाली पेट सेवन करना गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभ होता है।
प्राणायाम एवं योग : - अनुलोम - विलोम,भ्रामरी ,भस्त्रिका आदि
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