ग्लूकोमा :आँख कुदरत की एक खूबसूरत उपहार है ;किन्तु नेत्र सम्बन्धी विकार ईश्वर की अनमोल दृष्टि क्षमता को नष्टकर मानव के दर्शनीय अद्भुत आनंद को किरकिरा कर देते हैं ।उन विकारों में ग्लूकोमा प्रमुख रोग है ।इस रोग में आँखों में भरे हुए द्रव्य के प्रवाह में अवरोध आ जाने के कारण आँखों में दबाव बनने लगता परिणामस्वरुप यह बीमारी हो जाती है । कभी -कभी निकट दृष्टिदोष,मधुमेह अथवा आँखों में चोट लगने से भी हो जाता है । होली के त्यौहार में आँखों में गुलाल ,रंग ,आदि जाने से भी ग्लूकोमा की बीमारी हो सकती है ।
लक्षण :ग्लूकोमा में धीरे-धीरे देखने की क्षमता का ह्रास के अलावा कोई विशेष लक्षण नहीं होता फिर भी निम्न लक्षण होता है -(1 )गंभीर आँखों का दर्द (2)जी मिचलाना (3 )आँखों में लालपन (5)अकस्मात् दृष्टि की गड़बड़ी (5 )रौशनी के चारों और रंग के छल्ले को देखते हुए अचानक धुंधला दिखना आदि ।
उपचार :-(1)भीमसेनी कपूर को स्त्री के दूध में घिसकर प्रतिदिन लगाने से यह बीमारी दूर हो जाती है ।
(2 )छोटो पीपल ,लाहोरी नमक ,समुद्री फेन और काली मिर्च 10 -10 ग्राम लेकर इसे 200 काले सुरमे के साथ 500 मिलीलीटर गुलाब अर्क या सोंफ अर्क में सारा अर्क सूखने तक घोटें और इसे प्रतिदिन लगाएं ग्लूकोमा की बीमारी से निजात मिल जाएगी ।
(3 )10 ग्राम गिलोय का रस ,1 ग्राम शहद ,1 ग्राम सेंधा नमक को बारीकपीसकर सभी को मिलाकर अंजन की तरह रोज लगाने से ग्लूकोमारोग से मुक्ति मिलती है \
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