पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर रोग :- पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या है,जिसका अत्यंत घातक प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है।इस रोग में पीयूष ग्रंथि से उत्पन्न होनेवाला हार्मोन्स शरीर के वृद्धि एवं विकास के साथ शरीर में उपस्थित अन्य ग्रंथियों पर भी घातक प्रभाव डालते हैं।वास्तव में पीयूष ग्रंथि डिसऑर्डर में हार्मोन्स का स्राव बहुत अधिक या बहुत काम हो जाता है।शरीर को सुचारु रूप से चलाने के लिए हार्मोन्स का संतुलन अतिआवश्यक है।इसके स्राव का बिगड़ना एक घातक एवं तकलीफदेह साबित होकर शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है।
लक्षण :- सिरदर्द,डिप्रेशन,उल्टी,कमजोरी,ठण्ड लगना,जोड़ों में दर्द,स्ट्रेच मार्क्स,मासिक धर्म में अनियमितता,पेशाब की मात्रा में वृद्धि,हड्डियों का कमजोर हो जाना,आँखों की रोशनी काम हो होना,वजन बढ़ना या घटना,पसीना अधिक आना,उच्च रक्तचाप,शुगर का बढ़ना,ह्रदय में परेशानी,शरीर पर बालों का अधिक उगना आदि पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण :- किसी तरह का आघात,विशेष प्रकार के दवाओं का सेवन,आंतरिक रक्तस्राव होना,पिट्यूटरी ट्यूमर आदि पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर के मुख्य कारण हैं।
पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर से होने वाली समस्याएं -
(1) ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजुरी
(2) हापोथायरॉइडिज्म
(3) डायबिटीज इंडिपिड्स
(4) हायपर प्रोलैक्टिनेमिया आदि ।
उपचार :- (1) अश्वगंधा पाउडर का सेवन प्रतिदिन सुबह- शाम करने से पीयूष ग्रंथि
डिसऑर्डर दूर हो जाता हैं।
(2) बच चूर्ण का सेवन प्रतिदिन खली पेट शहद के या देशी घी के साथ करने
से पीयूष या पिट्यूटरी ग्लैंड डिसऑर्डर दूर हो जाता हैं।
(3) ब्राह्मी,शंखपुष्पी,मालकांगनी समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन
सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से पीयूष ग्रंथि सम्यक रूपेण
कार्य करने लगता हैं।
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