जापानी मस्तिष्क ज्वर:-जापानी मस्तिष्क ज्वर या शोथ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में चावल के खेतों में पनपने वाले मच्छरों द्वारा फैलने वाला एक घातक संक्रामक बीमारी है,जिससे एशिया महाद्वीप के कुल 14 देश इस बीमारी से प्रभावित हैं।सर्वप्रथम इस बीमारी का पता 1871 ईस्वी में जापान में चला था,इसलिए इस बीमारी को "जापानी मस्तिष्क ज्वर"कहा जाता है। यह ज्वर ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों की झुग्गी -झोपड़ियों में रहने वाले विशेषकर बच्चों,बुजुर्गों एवं कमजोर प्रतिरक्षा क्षमता वाले व्यक्तियों में पाया जाता है।जापानी एनसिफेलिसिस वायरस पालतू सूअर एवं जंगली पक्षियों के रक्त प्रणाली में विकसित होते हैं और इनसे मानव और जानवरों में आ जाते हैं।भारत में सर्वप्रथम तमिलनाडु राज्य में 1975 ईस्वी में इस ज्वर का पता चला था। आज वर्तमान समय में पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर जिला इस बीमारी का मुख्य केंद्र हैं।
लक्षण:-तेज बुखार एवं सिरदर्द,गर्दन में अकड़न,मांसपेशियों का अनायास ही उग्र रुप से संकुचित हो जाना,झटके आना,गंभीर स्थिति में लकवे की संभावना,बच्चों के मस्तिष्क में गंभीर समस्याएँ पैदा होना,खोपड़ी में एक पूरा या उभरी हुई चित्ती,दूध कम पीना,चिड़चिड़ापन,बात -बात में रोना,सुनने -समझने की शक्ति का क्षीण होना आदि इस बीमारी के लक्षण हैं।
उपचार:- (1)ब्राह्मी,शंखपुष्पी,बच,हल्दी,दारू हल्दी,लौंग,पीपर एवं छोटी इलायची सबको समान भाग लेकर कूट पीस कर मिट्टी के बर्तन में एक लीटर पानी डालकर उबाले और जब पानी आधा रह जाय तो छानकर रख लें।इसे सुबह- शाम एक चम्मच पीने से जापानी मस्तिष्क ज्वर नष्ट हो जाता है।
(2)आंवला चूर्ण,छोटी हरड़ चूर्ण,पीपर,नागरमोथा,बच,दारू हल्दी सबको समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर सुबह -शाम पीने से जापानी मस्तिष्क ज्वर का नाश हो जाता है।
(3)पीपर दो ग्राम,मिर्च दो ग्राम,मूँगा भस्म दो ग्राम सबको बारीक़ कूट पीस कपड़छान कर मकोय के स्वरस एवं अदरक के स्वरस में दो दिन खरल करके गोली मूंग प्रमाण बनाकर सुबह -शाम अदरक के रस के साथ सेवन करने से जापानी मस्तिष्क ज्वर नष्ट हो जाता है।
(4)बंग भस्म रत्ती भर पान के स्वरस के साथ सेवन करने से जापानी मस्तिष्क ज्वर एवं शरीर की जकड़न समाप्त हो जाती है।
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