तंत्रिका शोथ रोग : - तंत्रिका शोथ तंत्रिका तंत्र की गंभीर एवं अत्यंत कष्टप्रद स्थिति है,जिसमें तंत्रिका की हानि किसी आघात,गंभीर बीमारी या रासायनिक पदार्थों के शरीर में प्रवेश हो जाने के कारण होती है। वास्तव में तंत्रिका शोथ के कारण पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कई विसंगतियाँ आ जाती है और पीड़ित व्यक्ति का अपने ऊपर नियंत्रण भी नहीं रहता,साथ ही मानसिक स्थिति में भी परिवर्तन आ जाता है। कभी - कभी तो पीड़ित व्यक्ति कुछ करने में भी सक्षम नहीं रहता यूँ कहें कि अपाहिज हो जाता है। तंत्रिका शोथ रोग में तंत्रिका का विघटन हो जाना एक खतरनाक एवं गंभीर स्थिति है,जिसका जितना जल्दी हो उपचार की आवश्यकता होती है। समय पर चिकित्सा न हो पाने की स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की हालत गंभीर हो जाती है एवं प्राण हानि की संभावना बढ़ जाती है।
लक्षण : - पैरों में चुनचुनाहट,कमजोरी,लड़खड़ाहट,पेशियों में खिंचाव,हाथ - पैरों में पक्षाघात के लक्षण,हाथ - पैरों में सुन्नता,छूने में दर्द का अनुभव,स्नायु में ठण्ड,जलन एवं पीड़ा का अनुभव आदि तंत्रिका शोथ रोग के प्रमुख लक्षण हैं।
कारण : - रासायनिक पदार्थों जैसे - संखिया,पारा,ईथर आदि,का कुप्रभाव,उपदंश,मलेरिया,कुष्ठ,विटामिन की कमी,मधुमेह,गठिया रोग,कैंसर,आघात,अज्ञात विष का शरीर में प्रविष्ट हो जाना आदि तंत्रिका शोथ रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार : - (1) एलोवेरा के जूस के प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से तंत्रिका शोथ रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
(2) तंत्रिका शोथ में प्रभावित अंगों को सेंकने से बहुत आराम मिलता है।
(3) संतुलित आहार जैसे - सूखे मेवे,बीज,अंकुरित अनाज एवं हरी सब्ज़ियाँ एवं फलों के सेवन से तंत्रिका शोथ रोग में बहुत आराम मिलता है।
(4) साबुत गेहूँ,कच्चे अंकुरित अनाज एवं कच्चा दूध आदि सेवन से तंत्रिका शोथ रोग में अत्यंत लाभ होता है।
(5) कद्दू एवं सूरजमुखी के बीजों के सेवन से भी तंत्रिका शोथ रोग दूर हो जाता है।
(6) भाप से पकी सब्ज़ियाँ एवं गेहूँ की रोटियां के सेवन से तंत्रिका शोथ में बहुत लाभ होता है।
(7) गाजर,चुकुन्दर,संतरा,सेब एवं अनानास के फलों के रस का सेवन तंत्रिका शोथ रोग में अद्भुत फायदा पहुँचाता है।
(8) विटामिन बी,बी 2 ,बी 6 ,बी 12 के सेवन से बहुत फायदा होता है।
(9) हरी सब्ज़ियाँ जैसे - गाजर,पत्तागोभी,मूली,ककड़ी,टमाटर,चुकुन्दर आदि के सेवन से तंत्रिका शोथ रोग में बहुत लाभ होता है।
(10) ब्राह्मी,शंखपुष्पी, बच आदि के सेवन से भी तंत्रिका शोथ में बहुत लाभ होता है।
योग,आसन एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी,ॐ का उच्चारण,भस्त्रिका,शीर्षासन,सर्वांसन आदि।
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