परिगर्भिक रोग :- यह बच्चों की एक बीमारी है,जो गर्भिणी माता का दूध पीने से होता है।यह बीमारी दूसरे बच्चे के जन्म से पहले बड़े बच्चे को आकस्मिक दूध मिलना बंद हो जाने की वजह से भी अक्सर हो जाने की सम्भावना ज्यादा रहती है।परिगर्भिक बीमारी में शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध होने लगता है।इसे आयुर्वेद के आचार्य चरक ने इसे फक्का रोग के नाम से सम्बोधित किया है।जब गर्भिणी माता स्तनपान की अवधि के दौरान गर्भ धारण करती है तो दूध का स्राव न्यून हो जाता है।कम दुग्धपान की वजह से शिशु कुपोषित होने लगता है ;इसलिए इसे गर्भजा फक्का रोग भी कहा जाता है।
फक्का बीमारी के कई चरण होते हैं -(1)क्षीरजा फक्का रोग (2)गर्भजा फक्का रोग(3)व्याधिजा फक्का रोग ।
लक्षण :- परिगर्भिक रोग में गर्भिणी माता के दूध पीने से बच्चों को खांसी,वमन,मंदाग्नि,अरुचि,श्वांस जलन,भ्रम,तन्द्रा,दुर्वल ता,उदर का बढ़ना आदि प्रमुख लक्षण हो जाते हैं।
कारण : - गर्भिणी माता का दूध बच्चों को पिलाना परिगर्भिक रोग के मुख्य कारण हैं।
उपचार :-(1) विदारीकंद को गाय के दूध के साथ देने से परिगर्भिक बीमारी से उत्पन्न लक्षण नष्ट हो जाता है।
(2) पिप्पली चूर्ण को घृत के साथ बच्चों को देने से इस बीमारी का नाश हो जाता है।
(3) दूध के साथ भरपूर मात्रा में शहद मिलाकर देने से परिगर्भिक बीमारी दूर हो जाती है।
(4) शक्कर को दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से भी परिगर्भिक बीमारी नष्ट हो जाती है।
सावधानियां : - इस बीमारी में माता का दूध पिलाना बंद कर गाय का दूध या दूध के स्थान पर वैकल्पिक पदार्थ जैसे दाल का पानी,दलिया आदि देना चाहिए ।
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