सन्निपातज अतिसार रोग :- सन्निपातज अतिसार एक गंभीर रोग है,जो वात, पित्त एवं कफ के कुपित होने पर होता है।इस बीमारी में मल सूअर की चर्बी की तरह सफ़ेद या मांस को धोने के बाद के पानी जैसा होता है।सन्निपातज अतिसार के कारन शारीरिक दुर्बलता बहुत अधिक बढ़ जाती है और भूख नहीं लगती है।दिन में नींद आती है और रात में नींद नहीं आती है।इस बीमारी में उपचार की अत्यंत आवश्यकता होती है।

लक्षण :- दस्त में मल सूअर की चर्बी की तरह सफ़ेद आना,मांस के धोबन के रंग जैसा मल आना,मल में खून आना,उल्टी,पसीना आना,पेट में दर्द,पेट में ऐंठन ,बुखार,अधिक नींद दिन में आना,रात में अनिद्रा,बेहोशी,भूख की कमी या नहीं लगना,प्यास अधिक लगना आदि सन्निपातज अतिसार के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- खान - पान में गड़बड़ी,एलोपैथिक दवाओं का कुप्रभाव,जठराग्नि का मंद पड़ जाना,कफ,वात एवं पित्त का कुपित होना,सन्निपात ज्वर का होना आदि सन्निपातज अतिसार के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1 ) बड़ी हरड़,मुनक्का,सोंफ एवं गुलाब के पुष्प को पीसकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से सन्निपातज अतिसार ठीक हो जाता है।

(2 ) पके हुए बेल का शरबत के सेवन से भी सन्निपातज अतिसार ठीक हो जाता है।

(3 ) कच्चे बेल का गूदा एवं सोंठ का चूर्ण समान भाग लेकर उसमें दुगुना गुड़ मिलाकर सेवन करें और ऊपर से लस्सी पीने से सन्निपातज अतिसार दूर हो जाता है।

(4 ) मैनफल पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से सन्निपातज अतिसार ठीक हो जाता है।

(5 ) नीम्बू को काटकर उसमें चने की दाल के बराबर हींग डालकर आग पर सेंके और उसे चूसने से सन्निपातज अतिसार ठीक हो जाता है।

(6 ) गिलोय,सोंठ,मोथा एवं अतीस समान भाग लेकर काढ़ा बनाकर पीने से सन्निपातज अतिसार दूर हो जाता है।

(7 ) अनार के रस में जायफल,लौंग एवं सोंठ का चूर्ण एवं शहद मिलाकर सेवन करने से सन्निपातज अतिसार ठीक हो जाता है। 


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