स्टैसिस डर्मेटाइटिस रोग :- स्टैसिस डर्मेटाइसिस एक गंभीर त्वचा रोग है,जो घुटने से नीचे की त्वचा में होता है। इस रोग में त्वचा में काले दाग हो जाते हैं और खुजली वाले दाने हो जातें ,जो चकत्ते के रुप में होते हैं। अत्यंत खुजली होने से पीड़ित बहुत खुजाते हैं जो अल्सर में भी परिवर्तित हो सकते हैं। वास्तव में यह रोग ऐसे लोगों को ज्यादा होता है ,जो ज्यादा देर तक खड़े रहते हैं। ज्यादा देर तक लगातार खड़े रहने के कारन खून का बहाव हृदय की ओर सुचारु रुप से नहीं हो पाता है एवं गुरुत्वाकर्षण की वजह से ऊपर वाला खून वेन के वाल्व पर दबाव डालकर कमजोर कर देता है। परिणामस्वरूप गन्दा खून पैर में जमने लगता है और त्वचा का रंग काला हो जाता है। 

लक्षण :- घुटने के नीचे की त्वचा में काला दाग का हो जाना ,खुजली होना ,चकत्ते जैसा दाग हो जाना ,घाव का जल्दी ठीक नहीं होना ,घाव का नहीं भरना ,पैर में दर्द आदि स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - लगातार खड़े रहना , खून का प्रवाह हृदय की ओर समुचित रुप से नहीं होना आदि स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर प्रतिदिन प्रभावित स्थानों पर लगाने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग में बहुत आराम मिलता है। 

(2) कच्चे दूध में सूती कपड़ा भिगों कर प्रभावित हिस्से पर आधा घंटा रखें और फिर हटा दें ,ऐसा करने से भी कुछ दिनों में स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(3) हल्दी को पीसकर पेस्ट बना लें और उसमे दूध या गुलाब जल मिलाकर प्रभावित स्थानों पर लगाने से स्टासिस डर्मेटाइसिस रोग ठीक हो जाता है। 

(4) तुलसी के बीज को पीसकर नीम्बू के रस में मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से स्टासिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(5) थूअर के एक किलो रस में 250 ग्राम सरसों तेल डालकर धीमी आंच पर सात - आठ घंटे गरम करें और ठंडा कर उसे एक शीशी में रखकर प्रतिदिन लगने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 

(6) सफ़ेद आक के छाया में सुखाये हुए लगभग 100 ग्राम फूलों को नारियल के तेल में धीमी आंच में पकाएं और ठंडा कर उसमे ढेले वाला कपूर मिलाकर रख लें और प्रतिदिन सुबह शाम प्रभावित हिस्से पर लगाने से स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग निःसंदेह दूर हो जाता है। 

(7) शहद को प्रभावित हिस्से पर लगाने सभी स्टैसिस डर्मेटाइसिस रोग दूर हो जाता है। 


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