कान का बजना रोग : - कान का बजना श्रवण तंत्र का विकार है,जो श्रवण तंत्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं का प्रमुख कारण मन जाता है। इसमें लोगों को एक कान या कानों में अंदर आवाज सीटी की तरह या भिनभिनाने जैसी सुनाई देती है। यह अलग - अलग व्यक्तियों के द्वारा सुनी जाने वाली ध्वनि अलग - अलग हो सकती है ; किन्तु इनमें एक समानता होती है कि यह आवाज का स्त्रोत बाहरी नहीं होता है। इसमें सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है और यह समस्या आपके एक कान या फिर दोनों कानों में हो सकती है। वास्तव में कान के बजने की समस्या को नजर अंदाज करना एक बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकती है और श्रवण शक्ति का ह्रास होना शुरू हो जाता है। इसलिए शुरुआत में ही चिकित्सा की आवश्यकता होती है ताकि गंभीर समस्या उत्पन्न न हो ,साथ ही कान के बजने की समस्या को समाप्त किया जा सके। 

लक्षण : - कान में आवाज आना,कान में फुसफुसाहट की आवाज,कान में भिनभिनाने जैसी आवाज,श्रवण शक्ति में ह्रास,कान में तेज दर्द,कान में वैक्स इकट्ठा होना, कान की हड्डी का बढ़ जाना आदि कान का बजना रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - कान की कोशिकाओं की क्षति,कान में मैल का होना,हार्मोनल असंतुलन,थायराइड,सिरदर्द,श्रवण शक्ति का ह्रास,कान में आघात,कान के अंदर नसों में विकार,ट्यूमर ब्रेन में,उम्र का बढ़ना,कान में पस,कान के पर्दे में छेद,सर्दी - जुकाम,सिर में चोट,अचानक विस्फोट या गोलियों की आवाज,उच्च रक्तचाप,अत्यधिक धूम्रपान एवं शराब का सेवन आदि कान का बजना रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) धनिया के बीजों की चाय सुबह - शाम पीने से कान का बजना ठीक हो जाता है। 

(2) लहसुन की कलियों को तेल में भून कर खाने से कान का बजना रोग ठीक हो जाता है। 

(3) संतुलित भोज्य पदार्थों के सेवन कान का बजना दूर हो जाता है। 

(4) धूम्रपान एवं शराब के अत्यधिक प्रयोग से परहेज से भी कान का बजना ठीक हो जाता है। 

(5) नमक का प्रयोग सीमित एवं कैफीन वाले पेय पदार्थों के निषेध द्वारा भी कान का बजना दूर हो जाता है। 

(6) अनानास के ताजे फल के सेवन से कान का बजना ठीक हो जाता है। 

(7) सूखे फल एवं मेवों के नियमित सेवन से भी कान का बजना दूर हो जाता है। 

(8) कच्चे फल,हरी सब्जियों एवं पकी फलियों के सेवन करने से प्राकृतिक तरीके से कान का बजना रोग ठीक हो जाता है। 

(9) समय - समय पर कान की सफाई करते रहने से भी कान का बजना रोग से मुक्त रह सकते हैं। 

(10) प्रतिदिन कान में सरसों तेल की एक - दो बूंदें डालने से कान का बजना रोग से बचे रह सकते हैं। 

योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी,भस्त्रिका,ॐ का उच्चारण आदि। 


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