gestational diabets disease

गर्भकालीन मधुमेह रोग : - मधुमेह एक अत्यंत गंभीर रोग है;किन्तु गर्भकालीन मधुमेह अत्यंत कष्ट देने वाली स्थिति होती है। वैसे तो गर्भावस्था में अधिकांश मामलों में मधुमेह स्थायी नहीं होता। गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने के कारण गर्भस्थ शिशु के लिए खतरा बढ़ जाता है। अधिकांश मामलों में यह देखा जाता है कि गर्भावस्था के प्रारम्भ में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य था;किन्तु बाद में रक्त में शुगर की मात्रा अधिक पाई गई। ज्ञात होने पर इसे नजरअंदाज नहीं कर उचित चिकित्सा की आवश्यकता होती है,जिसे अनदेखा करना गर्भस्थ शिशु के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। 

लक्षण : - अत्यधिक प्यास की अनुभूति,मुँह का सूखना,थकावट अनुभव करना,अधिक अधिक पेशाब आना,दृष्टि में धुंधलापन,सिरदर्द आदि गर्भकालीन मधुमेह रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - आनुवंशिक कारण,खान - पान में अनियमितता,हार्मोन्स का असंतुलित होना,मोटापा,उच्च रक्त छाप ,पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम,अल्कोहल का सेवन आदि गर्भकालीन मधुमेह रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1 ) कोदो के चावल के दानों को पकाकर खाने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभकारी है। 

(2 ) एलोवेरा जूस को गुनगुने जल के साथ सुबह - शाम सेवन करना गर्भकालीन मधुमेह रोग में बहुत लाभकारी है। 

(3 ) करेले का रस 30 - 40 मिलीलीटर सुबह खाली पेट सेवन करने से गर्भकालीन मधुमेह रोग दूर हो जाता है। 

(4 ) मेथी के एक चम्मच दाने को रात में पानी में भिंगो दें और सुबह छानकर पानी को पीने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में बहुत लाभ होता है। 

(5 ) जामुन के फलों के सेवन से भी गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभ मिलता है। 

(6 ) दालचीनी के टुकड़े को एक कप पानी में भिंगो दे और सुबह पानी पीने से गर्भकालीन मधुमेह रोग में अद्भुत लाभ होता है। 

(7 ) जामुन की गुठली को छीलकर मिंगी निकालकर चूर्ण बनाकर ताजे जल के साथ सुबह खाली पेट सेवन करना गर्भकालीन मधुमेह रोग में अत्यंत लाभ होता है। 

प्राणायाम एवं योग : - अनुलोम - विलोम,भ्रामरी ,भस्त्रिका आदि 


nipple discharge disease

चुचुक विसर्जन रोग :- चुचुक विसर्जन या निप्पल निर्वहन रोग स्त्रियों का एक गंभीर रोग है,जिसमें स्त्रियों के स्तनों के निप्पल से लैक्टेशन के अलावा दूसरे प्रकार का स्राव होता है।वैसे तो चुचुक विसर्जन अलग - अलग परिस्थितियों में सामान्य है;किन्तु प्रजनन के कुछ दिनों या वर्षों तक सामान्य स्थिति हो सकती है। इसके अतिरिक्त महिला गर्भवती हो या नहीं हो,शिशु को स्तन पान कराती हो या नहीं ;किन्तु इसके अलावा भी यदि स्तनों से स्राव होता है तो यह सामान्य स्थिति नहीं ।स्तनों की दूध नलिकाओं में संक्रमण के कारण भी स्राव हो सकता है।इसके अतिरिक्त स्तनों के आसपास त्वचा में फोड़ा फुंसी के कारण भी स्राव होने की संभावना है।इसके अतिरिक्त पैगेट रोग के कारण भी स्तनों से स्राव होता है।

लक्षण :- दूधिया रंग का स्राव,हरा,पीला एवं भूरे रंग का स्राव,पानीदार स्राव,गाढ़ा एवं चिपचिपा स्राव,स्तनों के आसपास त्वचा में बदलाव,स्तनों 

            में दर्द स्तनों में भारीपन आदि चुचुक विसर्जन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- हार्मोनल बदलाव,दवाओं का कुप्रभाव,पैगेट रोग,स्तन में चोट लगना,फोड़ा - फुंसी होना,ट्यूमर,पिट्यूटरी ट्यूमर,स्तन पान न 

             कराना,गर्भावस्था,मासिक धर्म की अवधि के दौरान आदि चुचुक विसर्जन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) स्तन से दूध निकालकर स्तन के निप्पल के चारों तरफ लगाकर कुछ देर खुली हवा में सूखने दें। ऐसा करने से चुचुक विसर्जन 

                    रोग दूर हो जाता है।

(2) एक कप पानी में दो - तीन चम्मच सेब का सिरका मिलाकर स्तन के निप्पल के चारों तरफ लगाने से चुचुक विसर्जन रोग ठीक हो जाता है।

(3) गुनगुने जल में दो - तीन बूंदें टी ट्री ऑयल मिलाकर निप्पल के चारों तरफ लगाएं और सूखने पर ठंडे जल से धो लेने से चुचुक विसर्जन रोग 

      दूर हो जाता है।

(4) एलोवेरा के जुड़े को पीसकर निप्पल के चारों तरफ लेप करने से चुचुक विसर्जन रोग दूर हो जाता है।

(5) विटामिन सी युक्त खड़ी पदार्थों जैसे नीम्बू,ब्रोकली,शिमला मिर्च,संतरा,पपीता,तरबूज,कीवी आदि के सेवन से भी चुचुक विसर्जन रोग ठीक 

      हो जाता है।

(7) नारियल तेल को गुनगुना कर निप्पल के चारों तरफ मालिश करने से भी चुचुक विसर्जन रोग ठीक हो जाता है।

(8) अश्वगंधा चूर्ण के नियमित सेवन से निप्पल निर्वहन या चुचुक विसर्जन रोग ठीक हो जाता है।  

(9) दूध में तीनों प्रकार के हल्दी ( सामान्य,अम्बा,दारू हल्दी ) चूर्ण मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से निप्पल निर्वहन या चुचुक विसर्जन रोग दूर हो जाता है। 

(10) चाय के पौधे के तेल की मालिश द्वारा भी निप्पल निर्वहन या चुचुक विसर्जन को दूर किया जा सकता है। 

(11) कैलेंडुला के तेल की मालिश द्वारा भी चुचुक विसर्जन को दूर किया जा सकता है। 

(12) विटामिन सी के नियमित सेवन या विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से निप्पल निर्वहन या चुचुक विसर्जन को ठीक किया जा सकता है। 

(13) तुलसी के पत्तों का रस को निप्पल के चारों तरफ लगाने और मालिश करने से निप्पल निर्वहन या चुचुक विसर्जन में बहुत लाभ मिलता है। 

योग,आसान और प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी,भस्त्रिका,हलासन,शशकासन,शीर्षासन आदि। 


breast engorgement disease

स्तन अधिरक्तता रोग :- स्तन अधिरक्तता स्त्रियों में बच्चों को जन्म देने के उपरांत होने वाला एक स्तन रोग है,जो स्तनों में दूध की अधिकता से स्तन ठोस,सूजनयुक्त,गांठ वाला बना देता है।ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है,जब स्तनों से बच्चों को पर्याप्त दूध नहीं पिलाया जाता है। यह बच्चों के जन्म से पूर्व या बाद में भी हो सकता है।यह स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाने के साथ - साथ स्तनों में रक्त प्रवाह अधिक हो जाने की स्थिति में दृष्टिगोचर होता है;किन्तु स्तन पान करने से कुछ दिनों में धीरे - धीरे बेहतर हो जाता है।

लक्षण :- स्तनों में सूजन,स्तन की यवाचा का लाल हो जाना,निप्पल का आकार छोटा हो जाना,बुखार होना,दूध का बहाव कम हो जाना,निप्पल में लकीरों का बन जाना,स्तन की त्वचा चमकदार हो जाना,दूध का बहाव कम हो जाना आदि स्तन अधिरक्तता रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- स्तन पा नहीं कराना,स्तनों में दूध का अत्यधिक बनना,शिशु का दूध नहीं पीना,स्तन का प्रत्यारोपण,नियमित रूप से बने हुए दूध को नहीं हटाना,हार्मोनल असंतुलन आदि स्तन अधिरक्तता रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) स्तन से दूध की अधिकता को पम्प की सहायता से निकालकर स्तन अधिरक्तता रोग को दूर किया जा सकता है।

(2) नियमित स्तनपान कराने से भी स्तन अधिरक्तता रोग दूर हो जाता है।

(3) स्तनों की बर्फ से सिकाई करने से स्तन की दूध की अधिकता के कारण सूजन एवं दर्द में राहत मिलती है।

(4) सूती एवं ढ़ीला ब्रा पहनने से स्तन अधिरक्तता रोग में बहुत आराम मिलता है।

(5) गुनगुने पानी में सूती कपड़े को भिंगों कर स्तनों पर 10 मिनट रखने से भी स्तन अधिरक्तता रोग दूर हो जाता है। 

(6) स्तन पान कराने से पहले स्तनों को हल्के गर्म सेंक दें जिसमें निप्पल मुलायम हो जाये और नवजात शिशु निप्पल से दूध पी सकें।


breast hypertrophy

स्तनों का बड़ा होना :- स्तनों का आकार बड़ा होना भी स्त्रियों की परेशानियाँ बढ़ा देती है।स्तनों का आकार बढ़ जाने की वजह से स्त्रियों की शारीरिक समस्याएँ अत्यंत कष्टकारी सिद्ध होती हैं।रीढ़ की हड्डी एवं कंधे में दर्द होने लगता है।साथ ही आकार की वजह से शरीर सुंदर एवं आकर्षक नहीं दिखाई देता है,जिसके कारण उन्हें सोशियल और मेन्टल प्रॉब्लम झेलनी पड़ती है।दूसरों के सामने शर्म आती है और मानसिक तनाव झेलनी पड़ती है।वास्तव में किसी भी औरतों को सुन्दर एवं सुडौल स्तनों का होना बड़े गौरव की बात होती है।

लक्षण :- गर्दन में दर्द,साँस लेने में परेशानी,कन्धों में दर्द,स्तनों का अत्यधिक बड़ा होना,चर्बी का ज्यादा स्तनों पर जमाव आदि स्तनों का आकार बड़ा होने के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आनुवांशिक,चर्बी बढ़ जाने से,जंक फ़ूड का अधिक प्रयोग,कम नींद लेना,हार्मोनल बदलाव,गर्भावस्था,वजन का बढ़ना,स्टेरॉइड्स युक्त दवाइयाँ आदि स्तनों का बड़ा होने के मुख्य लक्षण हैं।

उपचार :- (1) एक कप गर्म पानी में पीसा हुआ अदरक एवं एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से स्तनों की चर्बी कम हो जाती है 

                   और स्तनों का आकार छोटा हो जाता है।

(2) सप्ताह में तीन बार अंडे के सफ़ेद भाग में एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर पीने से स्तनों में कठोरता आ जाती है और आकार छोटा हो 

     जाता है।

(3) लाजवंती या छुईमुई के पत्तों एवं जड़ को पीसकर उसमें अश्वगंधा मिला दें और स्तनों पर लेप करने से स्तनों का आकार सुन्दर एवं सुडौल 

     हो जाता है।

(4) नीम के पत्ते को उबालें और उसमें थोड़ी सी हल्दी एवं शहद मिलाकर सेवन करने से स्तनों के आकार में कमी आ जाती है।

(5) मछली के तेल के सेवन से भी स्तनों का आकार छोटा हो जाता है।

(6) अलसी के बीजों को गर्म पानी में डालकर उबालें और छानकर पीने से स्तनों के आकार में बदलाव आ जाता है और स्तन सुन्दर एवं सुडौल 

      हो जाता है।

(7) मेथी के बीजों को भिंगो कर पीस लें और स्तनों पर लेप करने से स्तनों का आकार सुडौल एवं सुन्दर हो जाता है।

(8) हरी चाय ( ग्रीन टी ) की पत्तियों को उबालें और ठंडा होने पर एक चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से स्तनों की सुंदरता एवं आकार में 

     परिवर्तन आ जाता है।

(9) हरी सब्जियों जैसे गाजर,मूली आदि के सेवन से भी स्तन सुडौल एवं सुन्दर हो जाता है।


vaginal burning

योनि में जलन :- महिलाओं को योनि में जलन होना एक आम समस्या है;किन्तु अनवरत जलन होना किसी गंभीर समस्या का संकेत भी हो सकता है।योनि में जलन यीष्ट इन्फेक्शन,अत्यधिक सम्भोग क्रिया में लगे रहने,सूजन आदि के कारण होता है।ज्यादातर मामले में योनि में वैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण ही जलन होती है।कभी -कभी काम पानी पीने के कारण शरीर में जल की कमी हो जाती है और पेशाब की कमी हो जाने के कारण जलन होती है।जागरूकता की कमी के कारण योनि की स्वच्छता नहीं रख पाने की वजह से भी जलन होना सामान्य सी बात है।

लक्षण :- योनि में जलन होना,निचले हिस्से में दर्द होना,सम्भोग एवं पेशाब के दौरान परेशानी,चिड़चिड़ापन,रात में पसीना,खुजली होना,पतला सफ़ेद रंग का डिस्चार्ज,सेक्स के उपरांत मछली जैसी गंध आना,कामेच्छा में कमी,थकान,सूजन,लालिमा,योनि के बाहर लाल चकत्ते,मूत्र विसर्जन के समय अंदरूनी जलन होना,दर्द होना,मूत्र का कम होना,बुखार एवं ठंड लग्न,मूत्र विसर्जन के समय दर्द,पेशाब झागदार होना,बार - बार पेशाब आना आदि योनि सूजन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- मूत्र पथ में संक्रमण होना,गर्भ निरोधक या कंडोम का प्रयोग,योनि में यीष्ट संक्रमण,ट्राइकोमोनिएसिस,गोनोरिया,जननांग में दाद होना,जननांग में मस्से होना,लाइकेन स्क्लेरोसिस,रजोनिवृत्ति,स्वीमिंग पूल या वाटर पार्क में स्नान करना,जननागों पर सुगन्धित या परफ्यूम का प्रयोग करना आदि योनि में जलन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) एक कप गुनगुने जल में एक छोटा चम्मच सेब का सिरका एवं दो चम्मच शहद मिलकर सुबह शाम पीने से योनि की जलन दूर 

                   हो जाती है।

(2) नारियल तेल को अपनी योनि के प्रभावित हिस्से पर लगाएं और कुछ समय पश्चात् गुनगुने जल से धोने से योनि की जलन ठीक हो जाती है।

(3) लहसुन की दो -तीन कलियों की प्रतिदिन सेवन से योनि की जलन ठीक हो जाती है।

(4) विटामिन सी से युक्त फलों जैसे संतरा,अंगूर,अनानास,मुसम्मी आदि की रस प्रतिदिन सुबह -शाम सेवन करने से योनि की जलन दूर हो 

     जाती है।

(5) दही की प्रतिदिन सेवन से योनि की जलन दूर हो जाती है।

(6) मिल्क शेक की सेवन से भी योनि की जलन दूर हो जाती है।

(7) खीरे,टमाटर,आलू की रस में नीम्बू एवं लहसुन की रस को मिलाकर पीने से योनि की जलन दूर हो जाती है।

(8) ठंडे जल में मुट्ठी भर लहसुन एवं आधा नीम्बू का रस एवं चुटकी भर नमक मिलाकर पीने से योनि की जलन दूर हो जाती है।


breast swelling

स्तन की सूजन :- स्तन की सूजन स्तनपान करानेवाली महिलाओं की एक सामान्य बीमारी है,जो आमतौर पर स्तनपान से जुड़ा होता है।स्तनों में सूजन जीवाणु स्टेफीलोकोक्क्स एवं स्त्रेप्तोकोच्ची के कारण होता है।सूजन की स्थिति में स्तन की नसें त्वचा की अपेक्षा अधिक साफ दृष्टिगोचर होने लगती है और स्तनों में एवं आसपास दर्द की अनुभूति तथा भारीपन का अनुभव होने लगता है।इसके अतिरिक्त स्तन की दुग्ध ग्रंथियों के आकार में वृद्धि के कारण स्तनों में सूजन आना स्वाभाविक होता है।स्तनों में सूजन मुख्यतः मिल्क स्टेसिस एवं मैस्टाइसिस दोनों के कारण भी होता है।

लक्षण :- छाती में दर्द,बुखार,गर्मी,अच्छा महसूस न होना,निप्पल से रिसाव,सामान्य दर्द,स्तनों में लाली,स्पर्श करने पर गर्म महसूस होना,बेचैनी,स्तनों में मवाद या सूजन,स्तनपान के दौरान दर्द या जलन,ठंड लग्न,थकान आदि स्तनों में सूजन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- स्तनपान न कराना,ब्रा का टाइट होना,जीवाणुओं का संक्रमण,स्तन का फोड़ा,मधुमेह,कोई पुरानी बीमारी,रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी,गर्भावस्था,मासिक धर्म के पहले स्तनों में सूजन,मिल्क डक्ट में इन्फेक्शन होना,दूध नलिकाओं का अवरुद्ध होना,कैफीन एवं नमक का अत्यधिक सेवन आदि स्तनों में सूजन के मुख्य लक्षण हैं।

उपचार :- (1) एलोवेरा जैल में थोड़ी सी हल्दी डालकर अच्छी तरह से मिलाकर हल्का गर्म करके स्तनों पर लेप करने से स्तन की सूजन ठीक 

                    हो जाती है।

(2) कैस्टर ऑयल के साथ नारियल तेल मिलकर स्तनों की मालिश से स्तन की सूजन समाप्त हो जाती है।

(3) चार - पांच धतूरे के पत्तों को पीसकर उसमें थोड़ी सी हल्दी मिलाकर स्तनों पर कर और कुछ देर बाद पानी से धो लें ।

     ऐसा करने से स्तनों की सूजन दूर हो जाती है।

(4) अजवाइन के तेल को हल्का गुनगुना कर स्तनों की मालिश करने से स्तनों की सूजन ठीक हो जाती है।

(5) नारियल तेल में थोड़ी से हल्दी मिलाकर स्तनों पर लगाने से स्तनों की सूजन ठीक हो जाती है।


small breast

स्तनों का आकार छोटा होना :- स्त्रियों के आकर्षक एवं सुन्दर व्यक्तित्त्व के लिए स्तनों का पुष्ट आकार एवं सुडौल होना अत्यंत आवश्यक हैं;किन्तु स्तनों का आकार छोटा होना अत्यंत चिंताजनक स्थिति है।स्त्रियां हमेशा अपने स्तनों को पुष्ट,सुडौल एवं आकर्षक बनाने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं।उम्र के अनुसार स्तनों का ठीक तरह से विकसित न होना उन्हें सामाजिक एवं मानसिक रूप से तनावग्रस्त बना देती हैं और अपने समाज एवं परिवेश में शर्म एवं हीन भावना से ग्रसित बना देती है।इसका प्रभाव उनके जीवन में स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।

लक्षण :- स्तनों का आकार छोटा होना,अविकसित स्तनों का होना,शारीरिक दृष्टि से कमजोर,वजन कम होना आदि स्तनों के आकार का छोटा होने के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आनुवंशिक कारण,पोषक तत्त्वों का उपयोग नहीं करना,शारीरिक कमजोरी,एस्ट्रोजेन हार्मोन्स की कमी,अत्यधिक मानसिक तनाव,थाइराइड की समस्या,शरीर में वसा की कमी आदि स्तनों का आकार छोटा होने के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) मेथी के तेल से प्रतिदिन स्तनों की मालिश करने से स्तनों का छोटा आकार बढ़ कर पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

              (2) एक चम्मच सोंफ,दो कप पानी में उबालें और उसमें एक या दो चम्मच शहद मिलकर सुबह - शाम पीने से स्तनों के आकार में 

                    वृद्धि होने लगती है और पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

               (3) दूब घास को सुखाकर रख लें और दो चम्मच सूखा हुआ दूब दो कप पानी में उबालें और शहद मिलकर दिन में दो - तीन बार 

                    सेवन करने से स्तनों का आकार पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

               (4) जैतून के तेल की नियमित सुबह - शाम मालिश से स्तनों का आकार बढ़ जाता है और पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

               (5) अश्वगंधा पाउडर का सेवन प्रतिदिन सुबह - शाम दूध के साथ करने से स्तनों का आकार बढ़ जाता है\

               (6) अलसी के प्रतिदिन सेवन से भी स्तनों का आकार बढ़ जाता है।

               (7) वॉल पुश अप व्यायाम द्वारा भी स्तनों के आकार में वृद्धि हो जाती है।

               (8) पोषक तत्त्वों युक्त आहारों के सेवन जैसे - पालक,गाजर,सी फ़ूड,नट्स - काजू,पिस्ता,अखरोट आदि के सेवन से स्तन पुष्ट और 

                    सुडौल हो जाते हैं।

                (9) बादाम तेल की नियमित मालिश द्वारा भी स्तनों का आकार पुष्ट एवं सुडौल हो जाता हैं।

                (10) महानारायण तेल की मालिश से भी स्तन पुष्ट एवं सुडौल हो जातें हैं।

                (11) अश्वगंधा एवं शतावरी लेकर चूर्ण बनाकर सेवन करें और ऊपर से धारोष्ण लेने से स्तनों का आकार बढ़कर पुष्ट एवं सुडौल हो 

                       जाता हैं।

                       




               


sagging breast

स्तनों का ढीलापन :- स्त्रियों की सुंदरता एवं यौवन का आकर्षक निखार विकसित एवं सुडौल स्तनों से दृष्टिगोचर होता है,किन्तु जब स्तनों का  विकसित एवं सुडौल न होना,यूँ कहें कि स्तनों का ढीलापन स्त्रियों को अत्यंत पीड़ा देती है।प्रायः सभी स्त्रियां अपना स्तन पुष्ट,उभार युक्त,विकसित एवं सुडौल बनाने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं।वास्तव में स्तनों का ढीलापन होना,उनमें कठोरता का अभाव होना एवं साथ ही समय एवं उम्र के हिसाब से विकास नहीं होना उन्हें सामाजिक एवं मानसिक रूप से तनावग्रस्त बना देती हैं,जो उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक सिद्ध होती हैं।उन्हें घर -परिवार,स्त्री - समाज में लज्जा महसूस होती है।साथ ही हीन भावना से ग्रसित होकर चिंतित रहती हैं,जिसका उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है।

लक्षण :- स्तनों का ढीला होना,आकार में छोटा होना,स्तनों में कठोरता का अभाव होना,स्तनों का अविकसित होना,स्तनों की गोलाई कम होना आदि स्तनों के ढीलापन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- शारीरिक कमजोरी,अत्यधिक सहवास,मासिक धर्म का अनियमित होना,बुखार रहना,स्तनों को पुष्ट करने वालों है हार्मोन्स की कमी,कुपोषण,पौष्टिक आहारों का असंतुलित उपयोग आदि स्तनों के ढीलेपन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :-  (1) गाय का घी,काले तिल,निशोथ,बच एवं सोंठ को मिलाकर पीस लें और आधा किलो तिल के तेल में पकाकर रख लें।प्रतिदिन 

                    सुबह-शाम तेल की मालिश से स्तन पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

(2) जैतून के तेल में थोड़ी सी फ़िटकरी पीसकर मिलाकर मालिश करने से स्तन पुष्ट एवं सुडौल हो जाता है।

(3) अनार के छिलके को पानी के साथ पीसकर उसमें चार ग्राम हल्दी मिलाकर पेस्ट बना लें और निप्पल को छोड़कर बांकी हिस्सों पर लेप लगाएं ।ऐसा करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(4) बरगद के दूध से स्तनों की मालिश करने से भी स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(5) माजूफल को पीसकर शहद में मिलाकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(6) एक अंडा,पांच ग्राम वेसन,पांच ग्राम नीम्बू का रस सबको दूध के साथ मिलाकर स्तनों पर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(7)एरंड के पत्तों को पीस लें और उसमें गन्ने का रस सिरका मिलाकर लेप करने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(8) राई को पीस कर स्तनों पर लेप लगाने से स्तनों का ढीलापन ठीक हो जाता है। 


vaginal dryness

योनि का सूखापन :- जन्म से लेकर आयु के अधिक होने के दौरान अलग -अलग परिवर्तन आना प्रकृति का नियम है। स्त्रियों में योनि का सूखापन महसूस करना भी एक ऐसा ही परिवर्तन है।वास्तव में स्त्रियॉं रजोनिवृत्ति की अवस्था में पहुँचने के बाद अक्सर योनि में सूखापन अनुभव करने लगती है और सम्भोग के दौरान अत्यंत कष्ट का अनुभव करती हैं।वास्तव में योनि की दीवारों पर एस्ट्रोजन की मदद से तरल पदार्थ का स्राव होता हैं और सम्भोग क्रिया को आनंदप्रद बनाती हैं। किन्तु जब एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी हो जाती हैं तो योनि में सूखापन की स्थिति हो जाती हैं।

लक्षण :- योनि के अंदर एवं आसपास खुजली होना,सम्भोग के समय अत्यंत कष्ट होना,सम्भोग की इच्छा में कमी,बार-बार यूरिन त्याग करना,सम्भोग के दौरान रक्त आना,योनि में इंफेक्शन होना,बार-बार यूरिनल इंफेक्शन होना आदि योनि के सूखापन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- रजोनिवृत्ति,एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी,शिशु के जन्म के समय,तनावपूर्ण जीवनशैली,धूम्रपान,अत्यधिक शराब का सेवन,शरीर के गर्भाशय का निकल जाना,रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी होना,कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी के कारण,दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव,योनि में सुगन्धित स्प्रे आदि योनि के सूखापन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :-  (1) दैनिक आहार में सोडियम,पोटेशियम,कैल्सियम,प्रोटीन युक्त आहारों के सेवन द्वारा योनि में नमी प्राकृतिक रूप से बनाये रख 

                    सकते हैं।

               (2) दैनिक आहार में सोया उत्पाद,अलसी के बीज,मेथी के बीज आदि के नियमित सेवन से योनि के सूखापन को दूर किया जा 

                    सकता हैं।

               (3) फैटी एसिड,ओमेगा -3  आदि को आहार में शामिल करने से योनि का सूखापन दूर हो जाता हैं।

               (4) कच्चा पपीता,सफ़ेद टिल,सूरजमुखी के बीज आदि के नियमित सेवन से योनि के सूखापन को दूर किया जा सकता हैं।

               (5) मांसाहारी आहार सेलोमन मछली के सेवन से योनि के सूखेपन से बचा जा सकता हैं।

               (6) नियमित व्यायाम करने से रक्त का संचरण समुचित रूप में होने से योनि का सूखापन प्राकृतिक रूप से दूर हो जाता हैं।


loose of vagina

योनि का ढीलापन :- योनि का ढीलापन एक आम समस्या है ,जो बच्चों को जन्म देने या सेक्स में अधिक लिप्त रहने के कारण आता है।वास्तव में मानव शरीर प्रकृति द्वारा प्रदत्त स्त्री व पुरुष दोनों के लिए एक अनुपम भेंट है।फिर अगर हम सेक्स अंगों की बात करें तो प्राकृतिक रूप में अत्यधिक आनंद देने वाला होता है।योनि स्त्री का एक अद्भुत एवं प्रमुख आकर्षक अंग है और सम्भोग के दौरान प्राकृतिक रूप से स्त्री एवं पुरुष दोनों जो अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है,उसमें योनि का विशेष योगदान है।किन्तु संतानोत्पत्ति के पश्चात उनमें ढीलापन आ जाने से सम्भोग के दौरान आनंद में कमी आ जाती है।योनि में ढीलापन योनि की तंतुओं में ढीलापन आ जाना की वजह से होता है।

लक्षण :- योनि का फ़ैल जाना,योनि के दीवारों की तंतुओं का ढीला हो जाना,योनि के तंतुओं में कसाव कम हो जाना,सम्भोग के समय आनंद में कमी,योनि में कसाव कम हो जाना,सम्भोग करते समय लिंग का योनि की दीवारों से घर्षण कम होना आदि योनि के ढीलापन के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- शारीरिक दुर्बलता,अप्राकृतिक सम्भोग,प्रसव,सेक्स के विभिन्न आसनों का प्रयोग,अश्लील फिल्में देखकर सम्भोग करना,योनि स्राव में अधिकता,योनि की दीवारों के तंतुओं का ढीला हो जाना आदि योनि के ढीलापन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से योनि को धोने से कुछ ही दिनों में योनि में कसाव आ जाता है और उसका ढीलापन 

                   दूर हो जाता है।

(2) फिटकरी,दालचीनी,जायफल समान भाग लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन रात में सोते समय योनि पर लगाकर सोने से कुछ ही दिनों           

     में योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(3) दो तीन ग्राम सुपारी पाक गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(4) शहद,कपूर और माजूफल के साथ मिलाकर प्रतिदिन योनि की मालिश करने से योनि का ढीलापन दूर हो जाता है। 

(5) पालक के बीज,गूलर के फल को शहद एवं तिल के तेल के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर योनि पर लेप करने से योनि का ढीलापन ठीक हो 

      जाता है।

(6) आंवला के पेड़ की छाल रात में पानी में भिगोकर रखें और सुबह उस पानी से योनि को धोने से योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(7) मलमल के कपडे में भांग रखकर एक पोटली बनाकर योनि के अंदर रात में रख दें और सुबह निकाल दें।ऐसा कुछ दिनोतक तक करने से 

     योनि एकदम कुंवारी लड़की की तरह हो जाती है।

(8) बेंट के जड़ के काढ़े से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर हो जाता है।a(9) अशोक के वृक्ष की छाल के काढ़े से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर हो जाता है।

(10) चार ग्राम काले तिल का पाउडर,आठ ग्राम गोखरू का चूर्ण,सोलह ग्राम शहद मिलाकर एक गिलास दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करने से योनि का ढीलापन दूर होकर संकुचित हो जाता है।

(11) एलोवेरा के सेवन से योनि की दीवारों में संकुचन पैदा होने से योनि का ढीलापन ठीक हो जाता है।

(12) पलाश के वृक्ष की छाल के काढ़े से योनि को धोने से योनि का ढीलापन दूर हो जाता है।


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